रोज की छोटी-छोटी आदतें कर सकती हैं बच्चों की आंखें खराब, बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय
मायोपिया जिसे निकट दृष्टि भी कहा जाता है आंखों की एक ऐसी समस्या है जिसमें दूर की चीजें धुंधली दिखाई पड़ती हैं। बच्चों में आजकल यह समस्या (Myopia in Kids) तेजी से बढ़ रही है लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आइए जानें बच्चों में मायोपिया के मामले बढ़ने के कारण और इससे किन तरीकों से बचाव (Myopia Prevention) किया जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Myopia in Kids: भारत में बच्चों में मायोपिया (Myopia) के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि मायोपिया न केवल बच्चों की पढ़ाई और खेलकूद को प्रभावित करती है, बल्कि भविष्य में गंभीर आंखों की समस्याओं का कारण भी बन सकती है। इसलिए यह समझना जरूरी है कि मायोपिया की समस्या बच्चों में बढ़ क्यों रही है (Myopia Causes in Kids) और कैसे इससे बचा (Myopia Prevention in Kids) जा सकता है।
मायोपिया क्या है?
मायोपिया एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। यह आमतौर पर आंख के आकार बढ़ने या कॉर्नियाॉ के बहुत ज्यादा कर्व होने के कारण होता है। इसके कारण आंखें ठीक से फोकस नहीं कर पाती हैं और दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। इसके लक्षणों में धुंधला दिखाई देना, आंखों में दर्द, सिरदर्द और आंखों में जलन शामिल हैं।
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बच्चों में मायोपिया क्यों बढ़ रहा है?
- ज्यादा स्क्रीन टाइम- स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर और टीवी के ज्यादा इस्तेमाल से आंखों पर दबाव बढ़ता है, जिससे मायोपिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
- आउटडोर एक्टिविटीज में कमी- बच्चों का ज्यादातर समय घर के अंदर बिताना और बाहरी खेलों में कम भाग लेना भी मायोपिया का एक कारण है।
- जेनेटिक कारक- अगर माता-पिता में से किसी एक को मायोपिया है, तो बच्चों में भी होने की संभावना बढ़ जाती है।
- पढ़ाई का दबाव- समय के साथ कॉम्पिटिशन भी तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण बच्चों पर पढ़ाई का ज्यादा दबाव रहता है। इस वजह से वे ज्यादा समय किताबें या स्मार्टफोन पर पढ़ते हुए बिताते हैं, जिससे आंखों पर तनाव बढ़ता है।
मायोपिया से कैसे बचा जा सकता है?
- स्क्रीन टाइम कम करें- बच्चों को स्क्रीन टाइम को सीमित करना चाहिए। उन्हें नियमित इंटरवेल पर ब्रेक लेने की सलाह दें।
- आउटडोर एक्टिविटीज को बढ़ावा दें- बच्चों को बाहर खेलने और फिजिकल एक्टिविटीज में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
- आंखों की नियमित जांच- बच्चों की आंखों की नियमित जांच करवाएं।
- हेल्दी डाइट- बच्चों को पौष्टिक खाना खिलाएं, जिसमें विटामिन-ए और अन्य जरूरी पोषक तत्व शामिल हों।
- प्राकृतिक रोशनी- बच्चों को नेचुरल लाइट में समय बिताने की सलाह दें।
- आंखों की एक्सरसाइज- बच्चों को आंखों की एक्सरसाइज करना सिखाएं। इससे उनकी आंखों की मांसपेशियों का तनाव कम होगा।
- चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस- अगर बच्चे को मायोपिया हो जाए, तो डॉक्टर से जांच करवा कर चश्मा बनवाएं और इसका इस्तेमाल करने को कहें, नहीं तो चश्में का नंबर बढ़ सकता है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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