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    Children Eye Problem: 10 साल के बच्चों को भी क्यों लग रहा चश्मा? पेरेंट्स की इस आदत से डॉक्टर हुए हैरान

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Tue, 01 Apr 2025 10:50 AM (IST)

    Eye Problem खानपान और बिगड़ी जीवनशैली के असर बड़ों पर ही नहीं बल्कि बच्चों पर भी पड़ रहा है। कम उम्र में बच्चों की आंखों को रोशन घट रही है। इससे 10 साल के बच्चों को भी चश्मा लग रहा है। नोएडा जिला अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ हर साल पांच से छह हजार मरीजों की रोशनी सुरक्षित कर रहे हैं।

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    बच्चों में बढ़ रही आंखों की परेशानी। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, नोएडा। टीवी, मोबाइल की लत और जंक फूड से बढ़ती नजदीकी आपके घर के "चिराग" की रोशनी कम कर रहा है। विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि बच्चे की आउटडोर एक्टिविटी में लगातार घटती सक्रियता को अभिभावक भी नजरअंदाज कर रहे हैं।

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    कम उम्र में लग रहा चश्मा

    40-45 वर्ष की उम्र में आंखों पर लगने वाला चश्मा अब पांच-छह साल तक के बच्चों को भी लगने लगा है। जिला अस्पताल में हर वर्ष करीब छह हजार मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर बीमारी का इलाज किया जा रहा है।

    डॉ. विक्रांत शर्मा एचओडी, नेत्र विभाग। फोटो- जागरण

    क्या बोले चाइल्ड पीजीआई के डॉक्टर?

    चाइल्ड पीजीआई में नेत्र विभाग के हेड डॉ. विक्रांत शर्मा ने बताया कि मौसम बदलने पर बच्चों की आंखों में लालीपन, खुजली, ड्राइनेस और अन्य दिक्कतें होती हैं।

    समय पर इलाज न होने से रोशनी प्रभावित हो रही हैं। सर्दियों में ज्यादा समय घर से बाहर रहने पर आंखों की नस फट जाती है जबकि गर्मी में जलन, खुजली, पानी बहने और अन्य परेशानी होती हैं।

    क्यों बढ़ रही आंखों की बीमारी?

    उन्होंने दावा कि सरकारी स्कूलों में प्रशासन की मदद से जागरूकता कार्यक्रम किया। इसमें 800 से 450 बच्चों की आंखों में सफेद मोतियाबिंद, फंगल इन्फेक्शन, एलर्जी, खुजली, लालपन जैसी कई समस्या थीं। दूसरा यह कि ज्यादातर लोग डॉक्टर से बिना परामर्श किए मेडिकल स्टोर से स्टेराइड या ड्राप लेकर आंखों में डाल लेते हैं, जिससे उनमें काला मोतिया के मामले बढ़े हैं।

    वहीं, नवजात शिशु को जन्म के समय ज्यादा ऑक्सीजन देने से आंखों में खून की नली का विकास रुक जाता है। इससे रेटिनोपैथी हो जाती है। आंकड़े बताते हैं कि 80 में से 30 बच्चों की जांच में आरओपी यानी रेटिनोपैथी और प्री-मैच्योर मिलता है।

    प्रतिवर्ष छह हजार मरीजों का ऑपरेशन

    जिला अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ डॉ. पंकज ने बताया कि प्रतिवर्ष पांच से छह हजार मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन होता है। 10 वर्ष के बच्चों को भी चश्मा लग रहा है। इनकी संख्या 10 से 12 प्रतिशत है।

    ओपीडी में रोजाना 200-300 मरीज रोशनी कम होने की शिकायत करते हैं। बच्चे पांच-छह घंटे टीवी और मोबाइल देखते हैं। बेड पर लेटकर पढ़ने से ब्लैकबोर्ड व टीवी स्क्रीन पर क्रिकेट स्कोर नहीं देख पा रहे हैं। विद्यार्थी सुबह उठकर 40 से 45 मिनट धूप में विटामिन लें। पढ़ाई के समय कमरे में सही रोशनी रखें।