बंगाल नहीं, इस देश से आई है आपकी पसंदीदा Mishti Doi! बेहद दिलचस्प है इसकी कहानी
History Of Mishti Doi भारत में हर व्यंजन का अपना स्वाद है पर बंगाली मिठाइयों की बात ही अलग है। मिष्टी दोई का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। ये बंगाल की एक फेमस मिठाई है। इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है। हर शुभ अवसर पर ये मिठाई बनाई जाती है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हमारे यहां भारत में हर एक व्यंजन का अपना अलग स्वाद होता है। यहां आपको एक से एक खाने की चीजें मिल जाएंगी। भारतीय व्यंजनों के तो विदेशी भी दीवाने हैं। बात स्पाइसी फूड्स की हो या फिर स्वीट डिश की, यहां आपको किसी भी चीज में कमी नहीं मिलेगी। यहां जितनी वैरायटीज हैं, सबका अपना एक अलग इतिहास है। यहां जितने भी राज्य हैं, वहां खाने पीने की चीजों की खासियत को पूरी दुनिया सलाम करती है।
स्वीट डिश की बात करें तो वेस्ट बंगाल सबसे ज्यादा फेमस है। जो भी पर्यटक यहां घूमने आता है वो कोलकाता आकर यहां की मिठाइयों का स्वाद न चखे, ऐसा हो ही नहीं सकता है। लोगों के यहां आने का मकसद ही यहां की मिठाइयां होती हैं। रसगुल्ले, संदेश, चमचम जैसी मिठाइयों के स्वाद के तो लोग कायल हो चुके हैं। जब भी बंगाली मिठाइयाें की बात होती है तो मिष्टी दोई का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
क्या है मिष्टी दोई का इतिहास
ये एक ऐसी स्वीट डिश है जो सभी को खूब पसंद आती है। कोलकाता का नाम जब भी लिया जाता है तब सबसे दिमाग में मिष्टी दोई का ही ख्याल आता है, लेकिन क्या आपने कभी साेचा है कि इसका इतिहास क्या है। मिष्टी दोई को बनाने की शुरूआत कहां से हुई थी? अगर नहीं, तो आपको ये लेख जरूर पढ़ना चाहिए। हम आपको मिष्टी दोई का इतिहास बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं विस्तार से-
150 साल पुराना है बंगाल से नाता
आपको बता दें कि ये मिठाई फर्मेंट की हुई होती है। बंगाल में इसका इतिहास 150 साल पुराना है। हालांकि इसका रिश्ता कोलकाता से नहीं, बल्कि बुल्गारिया से है। इस मिठाई को बनाने के लिए जिस यीस्ट का इस्तेमाल किया जाता है उसे लैक्टोबैसिलस बुल्गारिकुश कहते हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ये स्वीट डिश भी वहीं से आई है। Bulgaria के लोगों को दही खूब पसंद होता है।
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बोस परिवार ने की थी शुरुआत
वे अलग-अलग तरीकों से दही का सेवन करते थे। वहीं वेस्ट बंगाल की बात करें ताे मिष्टी दोई को बनाने की शुरुआत 150 साल पहले हुई थी। बताया जाता है कि यहां एक बोस परिवार रहता था। सबसे पहले इसी परिवार ने इस मिठाई को बनाया था। शेरपुर गांव का ये परिवार यही मिठाई बनाकर अपना गुजारा करता था।
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शुभता का है प्रतीक
धीरे-धीरे ये फेमस हो गई और शहरों तक ये मिठाई आ पहुंची। जब भी बंगाल में कोई शुभ काम होता है तो लोग मिष्टी दोई जरूर बनाते हैं। ये मिठाई दही से बनाई जाती है, इस कारण इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है।
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