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जांबाज 'ड्रोन' ने बलिदान देकर 100 जवानों की बचाई जान; पूरे सम्‍मान के साथ दी गई विदाई

Jharkhand News प्रशिक्षित डॉग ड्रोन कोबरा बटालियन का तेजतर्रार विस्फोटक विशेषज्ञ था। गुमला में नक्सलियों के प्रेशर आइईडी ब्लास्ट में शहीद हो गया। घटना में हैंडलर जख्मी हो गया है। उसे एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया। मेडिका में इलाज चल रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 12:10 PM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 12:35 PM (IST)
Jharkhand News प्रशिक्षित डॉग ड्रोन कोबरा बटालियन का तेजतर्रार विस्फोटक विशेषज्ञ था।

रांची, [दिलीप कुमार]। गुमला जिला के कुरुमगढ़ में मंगलवार की सुबह सीआरपीएफ 203 कोबरा बटालियन के लगभग 100 जवान घने जंगल में नक्सलियों की तलाश में पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहे थे। टीम के साथ आगे-आगे अपने हैंडलर के साथ चल रहा था प्रशिक्षित डॉग 'ड्रोन'। तभी एक जोरदार धमाका हुआ और 'ड्रोन' हवा में कई फीट ऊपर जाकर गिर पड़ा। बेल्जियन शेफर्ड नस्ल का यह प्रशिक्षित डॉग 27 दिसंबर 2015 को कोबरा बटालियन का हिस्सा बना था।

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महज छह साल नौ माह के इस बेजुबान ने मंगलवार को अपना बलिदान देकर लगभग 100 जवानों का जीवन बचाया। उसने खुद शहादत दे दी, लेकिन अपने पीछे चल रहे कोबरा बटालियन के कमांडो व झारखंड पुलिस के जवानों की जान बचा ली। इस घटना में उसका हैंडलर सिपाही विश्वजीत कुंभकार जख्मी है, जिसे एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया और मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्निफर 'ड्रोन' को विस्फोटक की पहचान करने में महारत हासिल थी।

अब तक 83 अभियान में शामिल हुआ

'ड्रोन' का जन्म 26 सितंबर 2014 को हुआ था। वह 27 दिसंबर 2015 को 203 कोबरा बटालियन में शामिल हुआ था। इसके बाद झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए 83 अभियान में शामिल हुआ। 'ड्रोन' की बदौलत सात अप्रैल 2016 को पारसनाथ क्षेत्र में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी थी। तब 40 किलोग्राम वजन के चार लैंड माइंस, डेटोनेटर, कोर्टेक्स, मोबाइल, वाकी-टॉकी आदि की बरामदगी हुई थी। तब भी भारी संख्या में सुरक्षा बलों की जान बची थी। इसके बाद उसे गुमला में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में शामिल किया गया, जहां उसने पूरी टीम, कोबरा बटालियन के कमांडो को शक्तिशाली आइईडी से बचा लिया।

पूरे सम्मान के साथ 'ड्रोन' को दी गई सलामी

जांबाज 'ड्रोन' के पार्थिव शरीर को एक शहीद की तरह सम्मान दिया गया। उसकी शहादत को सबने नमन किया और श्रद्धांजलि दी। उसे हजारीबाग के बरही स्थित उसके यूनिट में ले जाया गया। वहां पोस्टमार्टम के बाद उसे तिरंगे में लपेटा गया और शहीद बेदी पर रखकर उसे यूनिट के साथी जवान-पदाधिकारियों ने सलामी दी। फायरिंग की गई और पूरे सम्मान के साथ उसके दफन संस्कार का कार्यक्रम हुआ।

वर्ष 2017 में बूढ़ा पहाड़ पर एक श्वान हुआ था शहीद

पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में भी एक श्वान (डॉग)  नक्सल अभियान के दौरान शहीद हो गया था।


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