Health Tips: डाइनिंग टेबल पर खाना खाएंगे तो निकल जाएगा पेट, दिनचर्या की कई बातों को अपनाएंगे तो रहेंगे तंदुरुस्त
पेट बाहर निकलने का सबसे बड़ा कारण खड़े होकर या डाइनिंग टेबल या कुर्सी मेज पर बैठकर खाना और तुरंत बाद पानी पीना है। भोजन सदैव जमीन पर बैठ कर करें। ऐसा करने से आवश्यकता से अधिक खा नहीं पाएंगे। इस आदत से आपका निकला हुआ पेट पिचक सकता है।
By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 18 Jul 2021 09:00 AM (IST)Updated: Sun, 18 Jul 2021 10:49 AM (IST)
जमशेदपुर, जासं। पेट बाहर निकलने का सबसे बड़ा कारण खड़े होकर या डाइनिंग टेबल या कुर्सी मेज पर बैठकर खाना और तुरंत बाद पानी पीना है। भोजन सदैव जमीन पर बैठ कर करें। ऐसा करने से आवश्यकता से अधिक खा नहीं पाएंगे। इस आदत से आपका निकला हुआ पेट पिचक सकता है। जमशेदपुर की आयुर्वेद, प्राकृतिक व स्वदेशी चिकित्सा विशेषज्ञ सीमा पांडेय बता रही हैं सुखी व स्वस्थ जीवन की ऐसी कुछ जरूरी बातें, जिसे अपनाकर आप हमेशा तंदुरुस्त रह सकते हैं।
- आजकल बढ़ रहे चर्म रोगों और पेट के रोगों का सबसे बड़ा कारण दूधयुक्त चाय और इसके साथ लिया जाने वाला नमकीन है।
- कसी हुई टाई बांधने से आंखों की रोशनी पर नकारात्मक प्रभाव होता है।
- अधिक झुक कर पढने से फेफड़े, रीढ़ और आंख की रोशनी पर बुरा असर होता है।
- अत्यधिक फ्रीज किए हुए ठंडे पदार्थों के सेवन से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है।
- भोजन के पश्चात स्नान स्नान करने से पाचन शक्ति मंद हो जाती है। इसी प्रकार भोजन के तुरंत बाद मैथुन, बहुत ज्यादा परिश्रम करना एवं सो जाना पाचनशक्ति को नष्ट करता है।
- भोजन के प्रारंभ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अंत में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- भोजन के बाद हाथ धोकर गीले हाथ आंखों पर लगाएं। यह आंखों को गर्मी से बचाएगा।
- नहाने के कुछ पहले एक गिलास सादा पानी पीएं। यह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बहुत हद तक दूर रखेगा।
- नहाने की शुरुआत सिर से करें। बाल न धोने हो तो मुंह पहले धोएं। पैरों पर पहले पानी डालने से गर्मी का प्रवाह ऊपर की ओर होता है और आंख मस्तिष्क आदि संवेदनशील अंगों को क्षति होती है।
- नहाने के पहले सोने से पहले एवं भोजन कर चुकने के पश्चात मूत्र त्याग अवश्य करें। यह अनावश्यक गर्मी, कब्ज और पथरी से बचा सकता है।
- कभी भी एक बार में पूर्ण रूप से मूत्रत्याग न करें, बल्कि रूक-रुक कर करें। यह नियम स्त्री पुरुष दोनों के लिए है। ऐसा करके प्रजनन अंगों से संबंधित शिथिलता से आसानी से बचा जा सकता हैं (कीगल एक्सरसाइज)
- खड़े होकर मूत्र त्याग से रीढ़ की हड्डी के रोग होने की संभावना रहती है! इसी प्रकार खड़े होकर पानी पीने से जोड़ों के रोग ऑर्थराइटिस आदि हो जाते हैंं
- फल, दूध से बनी मिठाई, तैलीय पदार्थ खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। ठंडा पानी तो कदापि नहींं
- अधिक रात्रि तक जागने से प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती हैं
- जब भी कुल्ला करें आंखों को अवश्य धोएं। अन्यथा मुंह में पानी भरने पर बाहर निकलने वाली गर्मी आंखों को नुकसान पहुंचाएगी
- सिगरेट तंबाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से प्रत्येक बार मस्तिष्क की हजारों कोशिकाएं नष्ट हो जाती है। इनका पुनर्निर्माण कभी नहीं होता
- मल मूत्र शुक्र, खांसी, छींक, अपानवायु, जम्हाई, वमन, क्षुधा, तृषा, आंसू आदि कुल 13 अधारणीय वेग बताए गए हैं। इनको कभी भी न रोकें। इनको रोकना गंभीर रोगों के कारण बन सकते हैंं
- प्रतिदिन ऊषापान करने से कई बीमारी नहीं होती और डॉक्टर को दिया जाने वाला बहुत सा धन बच जाता है। ऊषापान को दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाएं।
- रात्रि शयन से पूर्व परमात्मा को धन्यवाद अवश्य दें। चाहे आपका दिन कैसा भी बीता हो। दिन भर जो भी कार्य किए हों उनकी समीक्षा करते हुए अगले दिन की कार्ययोजना बनाएं। अब गहरी एवं लंबी सहज श्वास लेकर शरीर को एवं मन को शिथिल करने का प्रयास करें। अपने सब तनाव, चिंता, विचार आदि परमपिता परमात्मा को सौंपकर निश्चिंत भाव से निद्रा की शरण में जाएं।
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