तवी नदी को पार करने के लिए ग्रामीणों ने निकाला अनोखा तरीका, ऑटो को कंधे पर उठाकर नदी पार करने का हैरतअंगेज तरीका!
ऊधमपुर के बंत गांव में तवी नदी पर बना पुल टूटने से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए ऑटो को कंधों पर उठाकर नदी पार करने को मजबूर हैं। प्रशासन की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। 26 अगस्त को बाढ़ में पुल बह गया था जिससे कई पंचायतों का संपर्क टूट गया है।

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर। जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित बंत गांव में तवी नदी पर बने पुल के बाढ़ की भेंट चढ़ जाने से ग्रामीणों की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही है।
हालात यह बन गए है कि लोग अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए गांव में फंसे ऑटो को अपने कंधों पर उठा कर तवी नदी को पार कर राजमार्ग तक पहुंचा रहे है। इसके साथ हर रोज ग्रामीण जान जोखिम में डाल कर तवी नदी को पार करके शहर व अपने घरों की तरफ जा रहे है। अभी तक इस स्थान पर तवी नदी को पार करने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।
यह भी पढ़ें- मां वैष्णो के दरबार में उमड़े श्रद्धालु, अब तीन दिनों तक यात्रा स्थगित; श्राइन बोर्ड ने दिया ये बड़ा अपडेट
आपको बता दें कि 26 अगस्त को जिला ऊधमपुर में बारिश ने बहुत ज्यादा कहर बरसाया था और इसी दौरान तवी नदी में आई बाढ़ में राजमार्ग के साथ जुड़ने वाला बंत पुल बाढ़ की भेंट चढ़ गया था। इससे करीब 10 पंचायतों का संपर्क जिला मुख्यालय के साथ कट गया था और अभी तक यह संपर्क कटा ही हुआ है।
ऑटो को कंधे पर उठा कर तवी नदी को किया पार
कई यात्री वाहन ग्रामीण इलाकों में फंसे हुए है। कई ऑटो ग्रामीण इलाकों में फंसे हुए हैं और ग्रामीणों ने ऑटो को कंधे पर उठा कर तवी नदी को पार करना शुरू किया है। शनिवार को ग्रामीणों ने दो ऑटो का कंधों पर उठा कर तवी नदी को पार करके राजमार्ग तक पहुंचाया और फिर काम करना शुरू किया गया है।
यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में रेलवे की बड़ी परियोजना, जम्मू से जालंधर तक बनेगा तीसरा ट्रैक, यात्रियों को होगा यह लाभ
करीब 15 ग्रामीणों ने मिलकर ऑटो को कंधों पर उठाने का काम किया। इस दौरान सभी जय श्री राम के जयघोष लगाते नजर आए। तवी नदी के अंदर चलते समय कई बार ग्रामीणों का संतुलन भी बिगड़ा, लेकिन फिर सभी ने हिम्मत करके संतुलन बना कर तवी नदी को पार किया।
महिलाओं को नदी पार करवाने के लिए दो लोग काम कर रहे
ग्रामीणों को केवल तवी नदी के अंदर ही मुश्किल नहीं हुई, बल्कि तवी नदी से बाहर निकल कर पत्थरों के बीच चलना उससे भी मुश्किल था। हर रोज सैकड़ों ग्रामीण जान जोखिम में डाल कर तवी नदी को पार करके आवाजाही कर रहे है। महिलाओं को तवी नदी को पार करवाने के लिए दो लोग काम कर रहे है।
हर रोज महिलाओं को पकड़ कर तवी नदी को पार करवाया जा रहा है। पंकज कुमार, देस राज व अन्य ग्रामीणों का कहना है कि पुल के बह जाने से हमारी परेशानियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अभी तक प्रशासन व सरकार की तरफ से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।
यह भी पढ़ें- कश्मीर घाटी के सेब उत्पादकों के लिए एक और नई चुनौती, मौसम विभाग की चेतावनी ने बढ़ाई चिंता
प्रशासन को कम से कम पैदल चलने के लिए तो एक अस्थायी फुट ब्रिज तैयार करके राहत प्रदान करनी चाहिए। इसके साथ ही सेना की मदद से काम से बैली पुल का तो निर्माण किया जा सकता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।