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    महबूबा मुफ्ती ने AAP विधायक की गिरफ्तारी को बताया लोकतंत्र के लिए खतरा, विधानसभा स्पीकर से की तुरंत सत्र बुलाने की मांग

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 03:57 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर में डोडा के विधायक मेहराज मलिक को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए जाने पर सियासत गरमाई हुई है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा स्पीकर से तुरंत सत्र बुलाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधि पर पीएसए लगाना लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।

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    मुफ्ती ने आप पर निशाना साधते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के समर्थकों को भी हकीकत समझ में आ गई।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। डोडा के विधायक मेहराज मलिक को जन सुरक्षा अधिनियम(पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने का मामला जम्मू कश्मीर में सियासत को लगातार तूल दे रहा है पीपुल्स डेमोक्रेटिक (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को विधानसभ स्पीकर से इस मामले पर तुरंत सत्र बुलाने का आग्रह किया है।

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    आज यहां पत्रकारों से बातचीत में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि में पर जिस तरह से पीएसए लगाया गया है,वह लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों पर हमला है।

    यह जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के केंद्र सरकार के दावों की असलियत बताता है। उन्होंने इस दौरान आप पर भी निशाना साधा और हा कि अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के समथ्रकों को भी अब हकीकत समझ में आ गई है।

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    किसी विधायक पर पीएसए लगाना अस्वीकार्य

    महबूबा मुफ्ती ने कहा कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि को सलाखों के पीछे डालने के बजाय विधायी प्रक्रियाओं के माध्यम से मामले का समाधान करना चाहिए था। किसी विधायक पर पीएसए लगाना अस्वीकार्य है।

    स्पीकर को एक आपातकालीन विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए था, इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए थी और दिल्ली भेजने के लिए एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए था। लोकतंत्र इसी तरह काम करता है।लेकिन यहां ऐसा कुछनहीं हो रहा है।

    लोकतांत्रिक संस्थानों को हाशिए पर धकेलने का लगाया आरोप

    महबूबा मुफ्ती ने सरकार पर जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक संस्थानों को हाशिए पर धकेलने और अपने विरोधी स्वरों को ताकत के दम पर दबाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पीडीपी के साथ आपको जो भी राजनीतिक हिसाब-किताब करना है, खुलकर करें। लेकिन निर्वाचित नेताओं को निशाना बनाकर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करना सरासर अन्याय है।

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    मेहराज को कानूनी सहायता देना उमर सरकार का ढकोसला

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा विधायक मेहराज मलिक को कानूनी सहायता प्रदान करने के आश्वासन पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह नेशनल कान्फ्रेंस का ढकोसला है।

    कानूनी सहायता देनी ही है तो देश भर की जेलों में बंद उन सैंकड़ों गरीब कश्मीरी कैदियों को दी जानी चाहिए, जो लंबे समय से जेल में बंद हैं। जिन पर बिना किसी ठोस आधार के पीएसए लगाया गया है।

    जिनके परिवारों के पास अदालत में उनकी पैरवी के लिए कोई संसाधन नहीं है। तिहाड़, आगरा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की जेलों में हज़ारों कश्मीरी बंदी बंद हैं। उनके परिवारों को उनसे मिलने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

    मुख्यमंत्री उमर और उनकी सरकार को सिर्फ कुर्सी से सरोकार

    महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनकी सरकार को सिर्फ अपनी कुर्सी से सरोकार है। अगर उन्होंने गंभीरता से जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली के लिए काम किया होता, कश्मीरी कैदियों की रिहाई के लिए अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए गंभीरता से कोई प्रयास किया होता तो आज मेहराज मलिक पर न पीएसए लगता और न उमर अब्दुल्ला को कानूनी सहायता देने का एलान करना पड़ता। आज देश की जेलों में बंद कश्मीरी नौजवान अपने घरों में एक सामान्य जिंदगी जी रहे होते।

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    आप सांसद को नजरबंद करने की भी निंदा की

    आप सांसद संजय सिंह को कश्मीर में मीडियाकर्मियों से बातचीत से रोके जाने की पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह वही लोग हैं, जिन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया था, वे अब इसके परिणाम भुगत रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में आम आदमी पार्टी ने अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में मतदान किया थाऔर कहा था कि यह जम्मू-कश्मीर के लिए अच्छा है। आज उन्हें वास्तविकता का एहसास हो गया है। आज आप नेता खुद कह रहे हैं कि जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र नहीं तानाशाही है।

    स्पीकर को जल्द बुलाना चाहिए सत्र

    महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यहां कानून में सुधार जरुरी है, हालात को सामान्य बनाए जाने और लोगों में लोकतंत्र में विश्वास को मजबूत बनाना जरुरी है। जिस तरह से एक निर्वाचित प्रतिनिधि को पीएसए के तहत बंदी बनाया गया है, लोगों का लोकतंत्र में कहीं न कहीं विश्वास भंग हुआ है। उन्होंने कहा कि विधानसभा स्पीकर को दलगत राजनीति से ऊपर उठ बिना किसी देरी के विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए।

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    विधायक पर पीएसए का दुरुपयोग मिसाल न बने

    सत्र में मेेहराज मलिक के मामले और पीएसए जैसे काले कानूनों पर चर्चा होनी चाहिए। एक प्रस्ताव पारित कर मेहराज मलिक को रिहा करने की मांग होनी चाहिए। निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ पीएसए का ऐसा दुरुपयोग मिसाल नहीं बनना चाहिए। यह जम्मू कश्मीर जैसे संवेदनशील प्रदेश में लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।