जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक तनाव: डाॅ फारूक ने PM Modi से की AAP MLA की रिहाई की मांग, गिरफ्तारी को गलत बताया
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से विधायक मेहराज मलिक को पीएसए के तहत हिरासत में लेने के मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि मलिक पर पीएसए लगाना अनुचित है इसे हटाया जाए। उन्होंने बाढ़ और भूस्खलन से जम्मू-कश्मीर में हुए नुकसान पर चिंता जताई और पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

राज्य ब्यूरो,जागरण, श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से विधायक मेहराज मलिक को जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने के मामले में हस्ताक्षेप का आग्रह किया।
उन्होंने विधायक पर लगाए गए पीएसए को हटाने और उनकी रिहाई का आग्रह करते हुए कहा कि एक निर्वाचित विधायक को पीएसए तहत बंदी बनाना जल्दबाजी में लिया गया अनुचित निर्णय है। यह मामला बातचीत से हल हो सकता था।
आज यहां पत्रकारों से बातचीत में फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मेहराज मलिक ने गुस्से में आकर असंसदीय शब्द कहे होंगे, लेकिन उन पर पीएसए लगाना गलत है। अगर बातचीत होती और मलिक अपने शब्द वापस ले लेते, तो यह मामला सुलझ सकता था। डॉ अब्दुल्ला ने कहा कि मैने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मलिक पर से पीएसए हटाने की अपील की है।
यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में डेंटल की पढ़ाई को युवा नहीं दे रहे प्राथमिकता; निजी कालेज बंद होने की कगार पर, क्या है इसकी वजह?
जब इंसान गुस्से मे होता है, आवेश में होता है तो गलतियां हो जाती हैं, लेकिन इन गलतियों और विवादों को आपसी सुलह और समझ के साथ हल किया जा सकता है, टकराव से नहीं। पूरा डोडा क्षेत्र अशांत है वहां तनाव बना हुआ है,केवल सहानुभूति और बातचीत ही शांति बहाल की जा सकती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर में ऐसे राजनीतिक मामलों से निपटने के लिए कठोर उपायों की बजाय सुलह और समझदारी से काम लेना चाहिए।
बाढ़ और भूस्खलन से जम्मू कश्मीर में हुआ व्यापक नुक्सान
बाढ़ और भूस्खलन से उपजे हालात पर उन्होंने कहा कि इससे व्यापक नुक्सान हुआ है। प्रदेश सरकार नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र के साथ लगातार संपर्क मं है। उन्होंने कहा कि कश्मीर को पहले पहलगाम हमले ने और उसके बादबाढ़ से उपजे हालात ने बहुत नुक्सान पहुंचाया है। 22 अप्रैल की घटना ने कश्मीर के पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया है, लेकिन जनता का विश्वास बहाल करना और पर्यटन को पुनर्जीवित करना घाटी की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
कश्मीर के पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करना जरूरी
कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन आवश्यक है। गरीब और संपन्न, दोनों ही इस पर निर्भर हैं।सर्दियों के छह माह यहां कुछ खास कारोबार नहीं होता, सारी कमाई गर्मियों में होती है और सर्दियों में खर्च हो जाती है। इसलिए, 22 अप्रैल के बाद, हमने न सिर्फ घाटी में बल्कि देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों में जो कश्मीर को लेकर डर और अविश्वास की भावना पैदा हुई ,उसे दूर करने का प्रयास किया है। इसका असर हो रहा है।
यह भी पढ़ें- विधानसभा स्पीकर मेरे पिता समान... मेरा कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं, पर... पीडीपी विधायक वहीद परा ने नोटिस का दिया जवाब
कश्मीर में धीरे-धीरे सुधर रहे हालात
डॉ अब्दुल्ला ने कहा कि 22 अप्रैल को जो पहलगाम में हुआ है, वह हम कश्मीरियों की वजह से नहीं हुआ, पूरा कश्मीर इस निंदनीय घटना के खिलाफ खड़ा था। उन्होंने कहा कि अब कश्मीर में पर्यटकों की आमद बढ़ रही है और हमारे समर्थक-साथी और दोस्त यहां विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। उन्होंने गोल्ड टूर्नामेंट का भी आयोजन किया है ताकि यह संदेश हर समय जाए कि यहां हालात सुधर रहे हैं। आइए और हमारी मेहमानवाजी की परम्परा का आनंद लें।
जम्मू-कश्मीर की जनता जल्द चाहती है राज्य का दर्जा
राज्य का दर्जा बहाल करने की लंबे समय से चली आ रही मांग का उल्लेख करे हुए डाॅ फारूक अब्दुल्ला नेकह कि अल्लाह की इच्छा से, हमें उम्मीद है कि ऐसा होगा। दिल्ली इस पर ध्यान देगी। प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर के लोगों की राज्य का दर्जा बहाल करने की इच्छा को समझेंगे। वक्फ और डोडा घटना से जुड़े विवादों का हवाला देते हुए, शांति के दौर के बाद समय-समय पर होने वाले घटनाओं के के बारे में पूछे जाने पर, फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसी घटनाएं दशकों से इस क्षेत्र की समस्याओं का हिस्सा रही हैं।
यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में हंगुल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए CM Omar Abdullah का बड़ा वचन, बोले- सभी सिफारिशों पर अमल होगा
हम 1947 से ही इसे झेल रहे हैं। यह कोई नई घटना नहीं है, लेकिन हमें इससे बाहर आना होगा। कुछ भी स्थिर नहीं रहता। मुझे उम्मीद है कि यहाँ हालात सुधरेंगे। हमारे नेताओं को यह समझना चाहिए कि हालात बेहतर बनाने के लिए हमें अपने लोगों की आकांक्षाओं पर भी ध्यान देना होगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।