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    जम्मू-कश्मीर में डेंटल की पढ़ाई को युवा नहीं दे रहे प्राथमिकता; निजी कालेज बंद होने की कगार पर, क्या है इसकी वजह?

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 01:08 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में डेंटल चिकित्सा को मजबूत करने के बावजूद डेंटल डॉक्टरों को रोजगार देने में उपेक्षा हो रही है जिससे उनमें आक्रोश है। 2008 के बाद से कोई नई भर्ती नहीं हुई है जिससे लगभग एक हजार डॉक्टर बेरोजगार हैं। रोजगार की कमी के चलते युवा डेंटल की पढ़ाई को प्राथमिकता नहीं दे रहे एकमात्र निजी डेंटल कॉलेज बंद होने की कगार पर है। डॉक्टर आंदोलन की राह पर हैं।

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    पहले भी कई आंदोलन हुए पर कोई नतीजा नहीं निकला।

    रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में बेशक डेंटल चिकित्सा को मजबूत बनाने के लिए सरकार काम कर रही है लेकिन जहां तक डेंटल डाक्टरों को रोजगार देने की बात है तो इसकी पूरी तरह से उपेक्षा की जा रही है। इससे डेंटल डाक्टरों में आक्रोष है और फिर से आंदोलन की राह पर हैं।

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    वहीं रोजगार न मिलने के कारण डेंटल की पढ़ाई को भी युवा प्राथमिकता नहीं दे रहे। इस कारण एकमात्र निजी डेंटल कालेज बंद होने की कगार पर है।

    जम्मू-कश्मीर में अंतिम वर्ष डेंटल डाक्टरों के पद वर्ष 2008 में निकले थे। इसके कुछ डेंटल डाक्टरों को इंदिरा गांधी डेंटल कालेज और श्रीनगर डेंटल कालेज तथा नेशनल हेल्थ मिशन के तहत जरूरत रोजगार दिया गया लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है।

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    अधिकांश डेंटल डाक्टर बेरोजगार हैं। इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस समय जम्मू-कश्मीर में बेरोजगार डेंटल डाक्टरों की संख्या एक हजार के करीब पहुंच गई है।

    डेंटल कालेजों में 63-63 सीटें, युवाओं की नहीं प्राथमिकता

    जम्मू-कश्मीर में दो सरकारी डेंटल कालेज हैं। दोनों में पहले बीडीएस की 25-25 सीटें होती थी। लेकिन बाद में दनकी संख्या पहले पचास और फिर 63-63 कर दी गई। अब दोनों ही कालेजों में हर वर्ष 126 विद्यार्थी बीडीएस में प्रवेश लेते हैं लेकिन युवा इस पढ़ाई को प्राथमिकता नहीं देते हैं।

    वे लगातार एमबीबीएस के लिए प्रयास करते रहते हैं। हर वर्ष पांच से दस विद्यार्थी दोनों कालेजों से एमबीबीएस के लिए चयनित हो जाते हैं और अंतिम वर्ष आने तक डेंटल का 63 का बैच 30 तक सीमित रह जाता है। युवाओं का कहना है कि जब रोजगार ही नहीं है तो पढ़ाई करके क्या करेंगे।

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    प्राइवेट कालेज बंद होने की कगार पर

    जम्मू-कश्मीर में एक प्राइवेट डेंटल् कालेज जम्मू के सियोड़ा में था लेकिन रोजगार न मिलने के कारण विद्यार्थियों ने पढ़ाई करने को प्राथमिकता नहीं दी। कालेज में 100 सीटों की क्षमता होने के बावजूद पचास भी विद्यार्थी एडमिशन नहीं ले रहे थे। इस कारण प्रबंधन ने कालेज को बंद करने का फैस्ला किया और अब दो वर्ष से इसमें कोई एडमिशन नहीं हुई है। कालेज बंद होने की कगार पर है।

    कई बार हुए आंदोलन

    बेरोजगार डाक्टरों ने कई बार आंदोलन किया लेकिन किसी ने भी उनको आश्वासन के सिवा कुछ नहीं दिया। एक बार अस्सी दिनों तक बेरोजगार डाक्टर जम्मू की सड़कों पर आंदोलन करते लेकिन किसी ने भी रोजगार के लिए कदम नहीं उठाए। बेरोजगार डेंटल डाक्टर एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है। उनका कहना है कि रोजगार न मिलने के कारण वे अवसाद में है।

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    आंदोलन करने जा रहे डाक्टरों में शामिल डा. राबिन टिक्कु का कहना है कि तीन वर्ष पहले भी उन्होंने आंदोलन किया था। मगर एक भी पद नहीं निकला। उन्होंने कहा कि वे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू, विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिल चुके हें लेकिन आश्वासन के अतिरिक्त कुछ भी नहीं मिला।

    गली-गली अब क्लीनिक

    बेरोजगार डाक्टरों का कहना है कि सरकार उनसे कहती है कि वे क्लीनिक खोले। इसमें उनकी सहायता की जाएगी। पहले से ही गगली गली में क्लीनिक खुले हुए हैं। ऐसे में लाखों रुपये सरकार से ऋण लेकर अगर क्लीनिक स्थापित कर भी दें तो कुछ नहीं होगा। उधार में ही डूब जाएंगे।