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    'विधायिका केवल ईंटों-पत्थरों से बनी इमारत नहीं, लोकतंत्र का मंदिर है', 11वें सीपीए सम्मेलन में बोले अब्दुल रहीम राथर

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 12:04 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने बेंगलुरु में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विधानसभाओं में सार्थक बहस पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विधायिका लोकतंत्र का मंदिर है जहाँ जनता की आवाज़ गूंजती है। राथर ने सदस्यों से ज़िम्मेदार आचरण का आह्वान करते हुए कहा कि बहसों में नागरिकों के मुद्दों को महत्व दिया जाना चाहिए।

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    सीपीए में जम्मू कश्मीर की सदस्यता बहाल करने के लिए आभार व्यक्त किया।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने बेंगलुरु में 11वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए विधानसभाओं में सार्थक बहस और चर्चा के महत्व पर जोर दिया।

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    उन्होंने कहा कि विधायिका केवल ईंटों और पत्थरों से बनी इमारत नहीं है, यह लोकतंत्र का मंदिर है जहां जनता की आवाज़ गूंजती है और हमारे राष्ट्र का भविष्य गढ़ा जाता है।

    सम्मेलन में देश भर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अध्यक्षों और सचिवों ने भाग लिया। हमारे लोकतंत्र के मूल में स्थित विषय पर बोलना अत्यंत गौरव और सौभाग्य की बात है। उन्होंने विधानसभा में सूचनाप्रद विचार-विमर्श के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चर्चा लोकतंत्र की आत्मा है।

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    जब विधायक सार्थक चर्चाओं में शामिल होते हैं, तो लोग व्यवस्था पर भरोसा करने लगते हैं। जब हम व्यवधान से आगे बढ़कर चर्चा की ओर, व्यक्तिगत हमलों से आगे बढ़कर नीति विश्लेषण की ओर, और शोरगुल से आगे बढ़कर बारीकियों की ओर बढ़ते हैं, तो विश्वास मज़बूत होता है।

    बहस में नागरिकों के वास्तविक मुद्​दों को महत्व देना चाहिए

    उन्होंने कहा कि बहसों में नागरिकों के वास्तविक मुद्दों को प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए, समावेशी विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और व्यावहारिक समाधान निकाले जाने चाहिए। हर बार जब कोई कानून गहन बहस के बाद पारित होता है, हर बार जब सदन में सुझावों के माध्यम से किसी नीति में सुधार किया जाता है, तो यह लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान होता है।

    सदन में शोरशराबा लोगों तक कमजोरी का संदेश देता है

    सदस्यों से ज़िम्मेदार आचरण का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि जब बहसें शोर-शराबे तक सीमित हो जाती हैं, जब चर्चाएँ बहिर्गमन में बदल जाती हैं, तो लोगों तक संदेश ताकत का नहीं, बल्कि कमज़ोरी का होता है। हमें यह मांग करनी चाहिए कि हमारे प्रतिनिधि तैयार होकर आएं, शिष्टाचार का सम्मान करें और समाधानों पर ध्यान केंद्रित करें, न कि नौटंकी पर।

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    सम्मेलन के दौरान, जम्मू कश्मीर विधानसभा के स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के महासचिव स्टीफन ट्विग के साथ भी बैठक की। उन्होंने सीपीए में जम्मू कश्मीर की सदस्यता बहाल करने के लिए महासचिव के प्रति आभार व्यक्त किया।

    महासचिव ने अध्यक्ष राथर को अक्तूबर 2025 के पहले सप्ताह में बारबादोस में आयोजित होने वाले आगामी सीपीए सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।