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    जम्मू-कश्मीर राज्य दर्जे को लेकर नेकां के हस्ताक्षर अभियान पर विपक्ष-मजहबी नेताओं का बड़ा बयान, बोले-जनता को मूर्ख बनाने का तरीका

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 08:03 PM (IST)

    नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान पर विवाद गहराता जा रहा है। विपक्षी दलों के बाद अब धार्मिक नेताओं ने भी इस अभियान की आलोचना की है इसे जनता को मूर्ख बनाने का तरीका बताया है। पीडीपी और अन्य दलों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस से विधानसभा में प्रस्ताव लाने की मांग की है।

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    जम्मू कश्मीर राज्य दर्जे को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस का अभियान विवादों में।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए हस्ताक्षर अभियान चला रही नेशनल कान्फ्रेंस जैसे तैसे विपक्ष की आलोचना से निपट रही थी, लेकिन अब मजहबी नेताओं ने भी इस मामले में हस्ताक्षेप कर उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सभी सत्ताधारी दल के हस्ताक्षर अभियान को सिर्फ एक ड्रामा और जनता को मूर्ख बनाने का तरीका बता रहे हैं।

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    उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 15 अगस्त को अपने भाषण में जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाने का एलान किया। उन्होंने कहा कि यह अभियान प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में चलाया जाएगा और पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता,विधायक औार मंत्री इस अभियान के दौरान लोगो के पास उनके घर घर जाएंगे।

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    सीएम उमर को जम्मू कश्मीर की जनता से माफी मांगने की जरुरत है

    पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा इकाई के प्रधान और विधायक वहीद उर रहमान परा ने कहा कि नेशनल कान्फ्रेस और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हस्ताक्षर अभियान की नहीं जम्मू कश्मीर की जनता से माफी मांगने की जरुरत है। लाेगों ने लोकसभा और विधानसभा में नेशनल कान्फ्रेंस को हस्ताक्षर अभियान चलाने के लिए नहीं बल्कि उन्हें उनका हक दिलाने के लिए जम्मू कश्मीर से जो छीना गया है, उसे वापस दिलाने के लिए, जम्मू कश्मीर को राजय का दर्जा दिलाने के लिए वोट दिया है।

    नेशनल कान्फ्रेंस ने वोट भी इसी मुद्दे पर मांगा है। हस्ताक्षर अभियान चलाने से कुछ हासिल नहीं होगा। जब मामला सर्वाेच्च न्यायालय में है तो हस्ताक्षर अभियान से क्या होगा। नेशनल कान्फ्रेसं को यह मामला संसद में, विधानसभा में उठाना चाहिए, वहां यह चुप रहती हे और अगर कोई दूसरा यह मुद्दा उठाने का प्रयास करती है तो उसका विरोध करती है।

    नेकां को विधानसभा में लाना चाहिए था प्रस्ताव

    नेशनल कान्फ्रेस पांच अगस्त 2019 के फैसले को मान्य बना रही है। बेहतर होगा कि वह विधानसभा में यह प्रस्ताव लाते और उसे पारित कर, केंद्र सरकार पर दबाव बनाते, सर्वाेच्च न्यायालय भी इसका संज्ञान लेता। वह इस अभियान को सिर्फ अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए चला रहे हैं। जम्मू कश्मीर को एक राजनीतिक समाधान के जरुरत है।

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    पीपुल्स कान्फ्रेस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने कहा कि दुनिया जानती है कि हस्ताक्षर अभियान की कोई वैधानिक बाध्यता नहीं होती। यासीन मलिक ने भी आजादी के नाम पर हस्ताक्षर अभियान चलाया था,उससे क्या हुआ? उमर अब्दुल्ला सिर्फ समय बिता रहे हैं,लोगों केा मूर्ख बना रहे हैं। वह भाजपा को बचाव का मौका दे रहे हैं।

    अगर वह राज्य का दर्जा चाहते हैं तो उन्होंने विधानसभा मे इसका प्रस्ताव पारित करना चाहिए था। अभी भी वक्त है, वह विधानसभा का सत्र बुलाकर प्रस्ताव पारित करें,हम उनका साथ देंगे। मेरी उन्हें सलाह है कि वह जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे को मजाक न बनाएं।

    अपनी साख बचाने के लिए है नेकां का हस्ताक्षर अभियान

    जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने कहा कि उमर अब्दुल्ला का हस्ताक्षर अभियान राज्य के दर्जे की बहाली के लिए कम, नेशनल कान्फ्रेंस की साख बचाने और कश्मीरियो ंको मूर्ख बनाने का एक हथकंडा है। उन्होंने आज क्यों हस्ताक्षर अभियान की यादआई, कांग्रेस तो पहले ही एक अभियान चला रही है। बेहतर है कि वह सभी दलों के साथ मिलकर एक साझी रणनीति तय करते। लेकिन उन्हें तो सिर्फ अपनी राजनीति से मतलब है।

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    अवामी इत्तिहाद पार्टी के प्रवक्ता इनाम उन्न नबी ने कहा कि सभी जानते हैं कि हस्ताक्षर अभियान किसलिए चलाया जा रहा है। यह जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिएनहीं बल्कि केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर को राजय के दर्जे से वंचित रखने का समय देने के लिए। हमने पिछले विधानसभा सत्र में इस संदर्भ में प्रस्ता लाने का प्रयास किया था,जिसे सत्ताधारी दल ने विफल बनाया। संसद में नेशनल कान्फ्रेंस के तीन सांसद हैं,लेकिन तीनों इस मुद्दे पर बोलने से बचते हैं। यह सिर्फ लोगों को मूर्ख बना रहे हैं

    कश्मीर में मजहबी नेता भी इस मामले में कूदे

    विपक्षी दलों के विरोध के बीच अब मजहबी नेता भी इस मामले में कूद गए हैं। कश्मीर में शिया समुदाय के एक प्रमुख धर्मगुरू आगा सैयद मोहम्मद हादी ने एक धार्मिक समागम में अपने संबोधन में उमर अब्दुल्ला को उनके चुनावी वादों को पूरा करने में उनकी "विफलता" के लिए निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि आपकी बाडी लैंग्वेज से पता चलता है कि आप नाकाम रहे हैं। आप लोगों को इस अभियान में शामिल होने के लिए कहकर उन्हें बेवकूफ़ बना रहे हैं।

    उन्होंने आपको किस लिए चुना था? राज्य का दर्जा पाने के लिए? उन्होंने आपको हमारी पहचान के लिए लड़ने को कहा था, जो हमसे छीन ली गई, "आप लोगों के लिए कहाँ लड़े? शालीमार गार्डन में? कश्मीरी लोगों ने आप पर भरोसा किया और आपसे अपने अधिकारों के लिए लड़ने की उम्मीद की। लेकिन आपने सत्ता, गाड़ियों और फ्लैटों के लिए समझौता किया..। आगा सैयद मोहम्मद हादी के बयान के बाद से यह मामला अब कश्मीर के गली-बाजारों में चर्चा का विषय बन चुका है।

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    मजहबी नेताओं को राजनीतिक मामलों में नहीं बोलना चाहिए

    सत्ताधारी दल को इसका जवाब देते नहीं बन रहा है। हालांकि नेशनल कान्फ्रेंस की प्रवक्ता इफ्रा जान ने आगा सैयद मोहम्मद हादी का नाम लिए बगैर यह जरुर कहा कि मजहबी नेताओं को राजनीतिक मामलों में नहीं बोलना चाहिए। लेकिन बात बनती हुई नजर नहीं आ रही है।

    सत्ताधारी दल में पैदा बेचैनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक वरिष्ठ नेेता ने कहा कि हमारे विरोधी राजनीतिक दलों के बयान को लेकर जनता बेशक ज्यादा तरजीह न दे,लेकिन एक मजहबी नेता के बयान का असर होता है और अगर हम इस मामले पर चुप रहते हैं तो जनता के बीच गलत संदेश जाएगा।

    लोग यही कहेंगे कि जम्मू कश्मीर की मौजूदा स्थिति के लिए हम जिम्मेदार हैं। उन्होंने हस्ताक्षर अभियान को "आत्मसमर्पण" और "समय बर्बाद करने की कोशिश" बताया और तर्क दिया कि इसका उद्देश्य मतदान जैसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के मूल्य को "कम" करना है, जिसके ज़रिए लोगों ने लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में अपनी इच्छा व्यक्त की है।

    विपक्ष का काम ही सरकार के कामों की आलोचना करना है

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हस्ताक्षर अभियान पर विपक्ष की आलोचना का जवाब दिया है और कहा कि विपक्ष का काम ही सरकार के कामों की आलोचना करना,विरोध करना होता है। हम अपना अभियान चलाएंगे। लेकिन वह आगा सैयद मोहम्मद हादी के मामले पर चुप हो जाते हैं।

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    पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आगा सैयद मोहम्मद हादी के बयान की आलोचना करना, पार्टी को भारी पड़ सकता है। शिया समुदाय पार्टी से नाराज हो सकता है। पहले ही पार्टी के भीतर शिया नेता आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी को लेकर कलह जारी है, वह नाराज हैं। आगा रुहुल्ला और आगा हादी दोनो करीबी रिश्तेदार भी हैं और दोनों की नाराजगी बडगाम में निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को भारी पड़ सकती है।