राजौरी जिले में बडाल त्रासदी के मृतकों को आठ माह बाद मिला इंसाफ, मुख्यमंत्री ने 17 मृतकों के निकटतम परिजनों के लिए 30 लाख किए मंजूर
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राजौरी जिले के बडाल में हुई त्रासदी में मारे गए लोगों के परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 30 लाख रुपये की सहायता राशि दी है। दिसंबर 2024 में बडाल गांव में 17 लोगों की जान चली गई थी जिससे पूरे क्षेत्र में शोक फैल गया था। मुख्यमंत्री ने परिवारों को राहत देने के लिए यह वित्तीय सहायता दी है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राजौरी जिले के बडाल में हुई त्रासदी के मृतकों के निकटतम परिजनों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 30 लाख की सहायता राशि स्वीकृत और जारी की।
दिसंबर 2024 में राजौरी जिले के बडाल गांव में एक दुखद घटना घटी जिसमें 13 बच्चों सहित 17 लोगों की जान चली गई। इस त्रासदी ने पूरे क्षेत्र में व्यापक सदमे और शोक का माहौल पैदा कर दिया।
शोक संतप्त परिवारों के जीवित सदस्यों को अपना जीवन फिर से शुरू करने में सक्षम बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने इस कठिन समय में प्रभावित परिवारों को कुछ राहत प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता को मंजूरी दी।
मुख्यमंत्री की इस इस घोषणा पर बडाल के विधायक जावेद इकबाल चौधरी ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। बडाल त्रासदी के मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए मैं आपका हार्दिक आभार एवं आभार व्यक्त करता हूं।
दुख की इस घड़ी में आपके द्वारा दिए गए सहयोग से प्रभावित परिवारों को राहत मिली है और मैं इसकी तहे दिल से सराहना करता हूं। मुख्यमंत्री द्वारा समय पर किए गए इस हस्तक्षेप से पीड़ित परिवारों को सांत्वना मिली है और संकट के समय में लोगों के साथ खड़े रहने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई है।
गौरतलब है कि बडाल में हुई इन माैतों से पूरा राजौरी नहीं जम्मू-कश्मीर हिल गया था। एक ही गांव में लगातार हुई मौतों का कारण जानने के लिए देश भर से विशेषज्ञ डाक्टरों की टीमें भी पहुंची थी। कई प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में टेस्ट भेजे गए। इनमें खाने में जहरीला पदार्थ होने की पुष्टि भी हुई थी।
बडाल गांव में रहस्यमय तरीके से 17 लोगों की मौत का कारण कीटनाशक आर्गेनो फास्फोरस बताया गया था। भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण ने गांव में जाकर लिए सैंपल की जांच में पाया कि आर्गेनोफास्फोरस के कारण मौत हुई।
कई मरीजों को एंटीडोट-एट्रोपिन इंजेक्शन दिया गया था जिसके अच्छे परिणाम सामने आए थे। एट्रोपिन इंजेक्शन का उपयोग आर्गेनोफास्फोरस के कारण होने वाले विषाक्तता के इलाज के लिए किया जाता है। लेकिन यह आर्गेनोफास्फोरस कहां से आया, इसकी जानकारी आज तक नहीं मिल पाई।

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