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    पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की कश्मीर साजिश का पर्दाफाश, TTP के पूर्व कमांडर एहसान ने किया खुलासा

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 06:00 PM (IST)

    खुफिया एजेंसी आईएसआई कश्मीर में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने में सक्रिय है। लश्कर ए तैयबा के कमांडर राणा अश्फाक और आईएसकेपी के कमांडर मीर शफीक मेंगल की मुलाकात ने आतंकी संगठनों के बीच बढ़ते संबंधों को उजागर किया है। तहरीके तालिबान पाकिस्तान के कमांडर एहसानुल्ला ने इस मुलाकात का खुलासा किया जिससे आईएसआई का समर्थन स्पष्ट होता है।

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    यह गठजोड़ कश्मीर में अशांति फैलाने की साजिश है।

    नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विस इंटेलिजेन्स (आईएसआई) कश्मीर में मरनासन्न आतंकवाद को अब दुर्दांत आतंकी संगठन आइएसआइएस एक घटक आइएसकेपी-इस्लामिक स्टेट खुरासान प्राविंस के सहारे जिंदा रखने का षडयंत्र रच रही है।

    इसी षड्यंत्र के तहत लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षण शिविर को अफगानीस्तान सीमा के साथ सटे निचले दीर में स्थानांतरित किया गया है और गत दिनों लश्कर कमांडर राणा अश्फाक की आइएसकेपी और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले मीर शफीक मेंगल के साथ एक बैठक भी हुई है।

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    पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी द्वारा कश्मीर जिहाद के नाम पर तैयार किए जा रहे इस नए आतंकी गठजोड़ का खुलासा तहरीके तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के पूर्व कमांडर एहसानुल्लाह एहसान ने भी किया है।

    लश्कर ने आईएसआई के सहयोग से शुरू किया नया कैंप

    आपको बता दें कि लगभग दो माह पहले पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग ने लश्कर-ए-तैयबा ने निचला दीर में अपना एक नया कैंप मरकज जिहाद ए अक्सा शुरु किया है। इस शिविर में आइएसकेपी के कईं कमांडर जो अफगानीस्तान में तालिबान के सत्तासीन होने के बाद से अफगानीस्तान छोड़ने को मजबूर हुए हैं, लश्कर के कैडर को प्रशिक्षण दे रहे हैं।

    इसके अलावा लश्कर और आइएसकेपी के बीच कश्मीर जिहाद के नाम पर एक समझौता भी हुआ है। इस समझौते के तहत आइएसकेपी और लश्कर मिलकर न सिर्फ पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सक्रिय बलूच संगठनों बल्कि टीटीपी को खत्म करने में पाकिस्तानी सेना का सहयोग करेंगे। यही नहीं कश्मीर में भी दोनों आपसी तालमेल से आम कश्मीरियों का खून खराबा करने के षड्यंत्र को बढ़ाएंगे।

    टीटीपी पूर्व कमांडर पाकिस्तान मेजर की बातचीत में हुआ खुलासा

    पाकिस्तान द्वारा रचे गए इस नए षड्यंत्र का पता खुफिया एजेंसियों ने टीटीपी के पूर्व कमांडर एसानुल्ला एहसान और पाकिस्तानी सेना के मेजर आदिल राजा के बीच हुई बातचीत की रिकार्डिंग के आधार पर लगाया है।

    इस बातचीत में टीटीपी कमांडर ने बताया कि बलूचीस्तान के मस्तुंग इलाके में आइएसआइएस के शिविर पर एक अन्य जिहादी संगठन के हमले को पाकिस्तानी सेना ने बलूच संगठनों की कार्रवाई बताया।

    हालांकि एहसानुल्ला ने आइएसआइए के शिविर पर हमला करने वाले संगठन का नाम नहीं लिया है, लेकिन यह हमला टीटीपी ने किया था, क्योंकि टीटीपी और आइएसकेपी में दुश्मनी है।

    उसने बताया कि अब पाकस्तानी सेना ने लश्कर-ए-तैयबा को भी टीटीपी व बलूच संगठनों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए लश्कर व आइएसकेपी के बीच समझौता कराया है। उसने बताया कि आइएसकेपी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हथियार, पैसा व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही है।

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    यलगार में भी कश्मीर जिहाद के मिले संकेत

    खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आइएसकेपी के मुखपत्र यलगार में भी कश्मीर जिहाद को लेकर आइएसकेपी के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा इस्तेमाल किए जाने का संकेत मिलता है। उन्होने बताया कि यलगार में कश्मीर को लेकर आइएसकेपी के मंसूबों और उसमें लश्कर की भूमिका का भी उल्लेख किया गया है।

    उन्होंने बताया कि गत दिनों लश्कर कमांडर राणा मोहम्मद अशफाक की आइएसकेपी व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले मीर शफीक मेंगल के बीच एक बैठक भी हुई है।

    पाकिस्तानी मंसूबो को पूरा करेगा आइएसकेपी

    जम्मू कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिरीक्षक और रक्षा मामलों के जानकार अशकूर वानी के अनुसार, आइएसकेपी का इस्तेमाल पाकिस्तान के कई मंसूबों को पूरा करेगा। आइएसकेपी की कश्मीर गतिविधियों से वह आसानी से पल्ला झाड़ते हुए कहेगा कि इसके साथ हमारा कोई नाता नहीं है, यह एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन है।

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    यह पाकिस्तान में भी सकिय है और हम भी इसके पीड़ित हैं। इसके अलावा अफगानीस्तान में सत्तासीन तालिबान के साथ पाकिस्तान के संबंध पहले की तरह नहीं है और टीटीपी को अफगानीस्तान में बैठे तालिबान का प्रत्यक्ष-परोक्ष समर्थन हैं। आइएसकेपी और तालिबान दोनों आज आमने सामने खड़े हैं।

    आइएसकेपी-लश्कर करेंगे पाकिस्तानी सेना की मदद

    लश्कर-ए-तैयबा और टीटीपी के बीच वैचारिक मतभेद और एक दूसरे के प्रति खूनी रंजिश भी जगजाहिर है। इसलिए आइसकेपी और लश्कर दोनों मिलकर टीटीपी व बलूच संगठनों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की मदद करेंगे। इसके अलावा पाकिस्तानी सेना उन्हें कश्मीर में अपने नेटवर्क के विस्तार में मदद करेगी।

    कश्मीर में भी नजर आता था आइएसआइएस का झंडा

    कश्मीर मामलों के एक अन्य जानकार सलीम रेशी ने कहा कि कश्मीर में आज बेशक आपको आइएसआइएस या दाएश के बारे में कोई बात करता नजर नहीं आए, लेकिन आज से छह-सात वर्ष पहले तक यहां इसका झंडा लगातार नजर आने लगा था।

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    कुछ नए आतंकियां ने आइएसआइएस के प्रति अपनी वफादारी का भी एलान किया और आइएसआइएस के कश्मीर विंग के गठन का एलान किया। उन्होंने कई आतंकी वारदातों को भी अजाम दिया। इनमें ईसा फाजली, मुगीस, दाउद और जाकिर मूसा के नाम आसानी से लिए जा सकते हैं। उस समय कश्मीर में आइएसआइएस को अपने पांव पूरी तरह जमाने का अवसर इसलिए नहीं मिला था कि पाकिस्तानी सेना ने उसका विरोध किया था।

    इस बातचीत को आप हल्के में नहीं ले सकते

    अब हालात बदल गए हैं और कश्मीर में उथल पुथल पैदा करने के लिए अब वह उसका सहारा ले सकती है। इसलिए टीटीपी के कमांडर और पाकिस्तानी सेना के मेजर के बीच हुई बातचीत या लश्कर कमांडरों के आइएसकेपी के करीबियों के साथ बैठक को आप हल्के में नहीं ले सकते।

    पूर्व आतंकी कमांडर फारूक अहमद उर्फ सैफुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को आप सिर्फ खुफिया एजेंसी नहीं कह सकते, यह एक संगठित आतंकी संगठन है। दुनिया में कहीं भी इस्लाम के नाम निर्दाेषों का खून बहाने वाले आतंकी संगठनों की आप जांच करें, उनके तार कहीं न कहीं आईएसआई के साथ जुड़ते हैं।

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    आतंकी संगठनों को फौज की तरह इस्तेमाल करती है आईएसआई

    वह आतंकी संगठनों को अपनी एक फौज की तरह इस्तेमाल करती है, अगर ऐसा न होता तो लश्कर ए तैयबा के कमांडर बलूच और टीटीपी के खिलाफ जिहाद का एलान क्यों करते। रही बात लश्कर और आइसकेपी के बीच गठजोड़ की, यह पुराना है।

    आपको पता होगा कि बलूचीस्तान में आइएसकेपी के एक कैंप पर हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा के कमांडरों ने आइएसकेपी के साथ मिलकर एक बैठक की थी और स्थानीय समुदायों के नेताओ का जिरगा भी बुलाया था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसकेपी को पाकिस्तान में सुरक्षित ठिकाना देने के बदले उसे कश्मीर जिहाद में जरुर इस्तेमाल करेगी।