'आई लव मुहम्मद' नारे के समर्थन में बोले CM Omar, 'मुसलमानों को भी अपने पैगंबर के प्रति प्रेम व्यक्त करने का अधिकार'
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आई लव मुहम्मद नारे का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपने पैगंबर के प्रति प्रेम व्यक्त करने का अधिकार है जैसे अन्य धर्मों के लोग करते हैं। उमर अब्दुल्ला ने इस नारे को अपमानजनक बताने वालों की आलोचना की और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की बात कही।

डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को 'आई लव मुहम्मद' नारे के इस्तेमाल का पुरज़ोर बचाव करते हुए कहा कि केवल "विक्षिप्त मानसिकता" वाले लोग ही इसका विरोध कर सकते हैं।
उन्होंने तर्क दिया कि अन्य धर्मों के अनुयायियों की तरह मुसलमानों को भी अपने पैगंबर के प्रति प्रेम और श्रद्धा व्यक्त करने का पूरा अधिकार है। किसी को भी इस नारे को अपमानजनक नहीं मानना चाहिए।
श्रीनगर में पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस नारे को लिखने या प्रदर्शित करने में कुछ भी गलत नहीं है।
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मुसलमान 'आई लव मुहम्मद' लिखकर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं
अगर आप कश्मीर से बाहर जाएंगे, तो आप पाएंगे कि हमारे हिंदू भाई-बहन अपने भगवानों की तस्वीरें और नारे लगाते हैं। हमारे सिख भाई भी अपने गुरुओं के सम्मान में ऐसा ही करते हैं।
जब मुसलमान 'आई लव मुहम्मद' लिखकर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं, तो यह कब और कैसे गलत हो जाता है? नकारात्मक प्रतिक्रिया देना सही नहीं है।"
यहां से उठा आई लव मुहम्मद पर विवाद
मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी इस नारे को लेकर पूरे देश में बढ़ते विवाद के बीच आई है। यह मुद्दा सबसे पहले इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के कानपुर में बारावफात के जुलूस के दौरान सुर्खियों में आया था।
जहां प्रतिभागियों ने इस नारे को प्रमुखता से प्रदर्शित किया था। इस पर कुछ समूहों ने तुरंत आपत्ति जताई, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस के साथ टकराव हुआ।
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उस दौरान से कई भारतीय राज्यों में विरोध प्रदर्शन, जुलूस और प्रति-जुलूस आयोजित किए गए हैं। जहां मुसलमानों ने अपनी धार्मिक आस्था की पुष्टि के लिए इस नारे के तहत खुलेआम रैली निकाली।
कुछ जगह पुलिस झड़प तक पहुंच गई बात
कुछ मामलों में, स्थिति पुलिस के साथ झड़पों तक पहुंच गई, जिसके परिणामस्वरूप लाठीचार्ज, गिरफ़्तारी और प्राथमिकी दर्ज की गईं। यह मामला इंटरनेट मीडिया पर भी फैल गया है। रोजाना इस मुद्दे को लेकर गरमागरम बहस और ध्रुवीकृत बहसें होती रहती हैं।
उमर अब्दुल्ला ने उन लोगों की आलोचना की जो उनके अनुसार, इस नारे को भड़काऊ बताने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना सीखना चाहिए।
हम बदले में उसी शिष्टाचार की अपेक्षा करते हैं
जिस तरह हम दूसरे समुदायों का सम्मान करते हैं जब वे सार्वजनिक रूप से अपनी आस्था व्यक्त करते हैं, हम बदले में उसी शिष्टाचार की अपेक्षा करते हैं।
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'आई लव मुहम्मद' नारे को उसके वास्तविक रूप में देखा जाना चाहिए, यह मुसलमानों द्वारा अपने पैगंबर के प्रति प्रेम और सम्मान की अभिव्यक्ति है।"
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