Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कश्मीर के इस स्कूल में सुविधाएं तो पर्याप्त पर फिर क्यों बारिश के मौसम में स्कूल का नाम सुनते ही सहम जाते हैं बच्चे?

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 04:08 PM (IST)

    बारामुला जिले के वुसन खुई में स्थित सरकारी बॉयज मिडिल स्कूल की इमारत जर्जर है। छत टूटी है दीवारें प्लास्टर उखड़ने से खराब हैं और खिड़कियाँ-दरवाज़े भी टूटे हैं। बारिश में बच्चे छुट्टी पर रहते हैं क्योंकि छत से पानी टपकता है। अभिभावक चिंतित हैं क्योंकि 60 साल पुरानी इमारत कभी भी गिर सकती है।

    Hero Image
    नई शिक्षा नीति जम्मू कश्मीर के तहत स्कूलों में सुधार की उम्मीद है।

    पंपोश रशीद, जागरण, बारामुला। ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी स्कूलों की इमारतें सरकार और शिक्षा विभाग के दावे के विपरित हैं। इसका प्रमाण बारामुला जिले के वुसन खुई इलाके में स्थित सरकारी ब्वायज मिडिल स्कूल है। इस स्कूल की छत टूट चुकी है, जगह-जगह दीवारों से प्लास्टर उतर गया है, दरारें पड़ गई हैं। इतना ही नहीं, खिड़कियां व दरवाजे भी टूट चुके हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बच्चों को बैठने के लिए फर्श तक ठीक नहीं है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब हवा तेज चलती है तो इमारत गिरने का डर बना रहता है। बारिश के मौसम में स्कूल के ज्यादातर बच्चे छुट्टी कर लेते हैं, क्योंकि टूटी छत से टपकती बारिश की बूंदों में बच्चों का इन कमरों में पढ़ाई करना संभव नहीं हो पाता है।

    शिक्षकों के अनुसार ऐसे में पढ़ाना तो दूर बच्चों को कमरे में बैठाना ही चुनौती बन जाता है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता और स्कूल प्रशासन की अनदेखी चलते बच्चे रोजाना मौत के साये में अपना भविष्य संवारने को विवश हैं।

    यह भी पढ़ें- पहली बार मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने संसद में कश्मीर के सांसदों की एकजुटता का किया स्वागत

    स्कूल की खस्ताहाल इमारत को लेकर अभिभावक भी उस समय तक चिंतित रहते हैं जब तक बच्चे सुरक्षित अपने घर नहीं पहुंच पाते हैं। अभिभावकों का कहना है कि 60 वर्ष पुराना सरकारी ब्वाइज मिडिल स्कूल में सुविधाएं तो बढ़ा दी गई, लेकिन नई इमारत आज तक नसीब नहीं हुई।

    2004 के बाद अपग्रेड होकर बना था मिडिल स्कूल

    बारामुला जिले के वुसन खुई इलाके में वर्ष 1959 में प्राइमरी स्कूल की स्थापना हुई थी। लोगों की मांग पर 2004 के बाद इसे अपग्रेड कर मिडिल स्कूल बना दिया गया। दर्जा बढ़ने के बाद सुविधाएं भी बढ़ी। बच्चों के लिए पेयजल, शौचालय, बिजली जैसी मौलिक सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई गई, लेकिन आज भी स्कूल 60 वर्ष पुरानी खस्ताहाल इमारत में चल रहा है।

    कभी भी गिर सकती है इमारत : स्कूल प्रशासन

    स्कूल के हेडमास्टर मोहम्मद रमजान भट ने कहा कि स्कूली इमारत के पुनर्निमाण के लिए संबंधित अधिकारियों से लगातार आग्रह के बावजूद अभी तक नई इमारत के निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। इमारत की दशा उनके लिए चिंता का कारण बनी हुई है। जर्जर हो चुकी यह इमारत कभी भी किसी दुर्घटना का कारण बन सकती है। इमारत के निर्माण के बाद ही यह समस्या हल हो सकती है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य ठीक नहीं के चलते पिछले 20 दिन से वह स्कूल नहीं जा रहे हैं। स्वस्थ होने के बाद एक बार फिर इमारत के निर्माण को लेकर उच्च अधिकारियों से बात करेंगे।

    यह भी पढ़ें- Kulgam Encounter: कुलगाम में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में दो आतंकी ढेर, जंगलों में कई आतंकियों के छिपे होने की आशंका

    वर्षा होने पर ज्यादातर बच्चे नहीं आते हैं स्कूल : विद्यार्थी

    वर्षा के दौरान स्कूल की खस्ताहाल इमारत में बच्चों को पढ़ना उन्हें मौत के मुंह जैसा धकेलना है। इस स्कूल में पढ़ने वाले सातवीं कक्षा के छात्र आबिद यासीन ने बताया कि हमारे क्लास रूम की छत टूटी हुई है। बारिश के दिनों छत से बारिश की बूंदें हमारे क्लास में गिरती रहती हैं। कई बार किताबें व बस्ते भी गिले हो जाते हैं।

    आबिद ने कहा कि बारिश के दिनों में पहले टीचर हमें दूसरे क्लास रूम में शिफ्ट करते थे। उस क्लास रूम में भीड़ इतनी हो जाती है कि न तो टीचर ठीक से हमें पढ़ा पाते और न ही हम ठीक से ध्यान केंद्रित कर पाते। ऐसे में कई बच्चे बारिश के दिनों में स्कूल नहीं आते हैं। आठवीं कक्षा के एक अन्य छात्र ने कहा कि मेरे क्लास रूम की दीवारों से सीमेंट का कचरा गिरकर फर्श पर फैल जाता है और उसी फर्श पर हमें बैठकर पढ़ाई भी करनी पड़ती है और खाना भी खाना पड़ता है। इसी कक्षा के छात्र अनवर माजिद ने कहा कि मेरी मां को रोजाना मेरी वर्दी धोनी पड़ती है। क्योंकि गंदे फर्श पर बैठने से स्कूल की वर्दियां गंदी हो जाती हैं।

    यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के बाद अब पीडीपी राज्य दर्जे पर सत्तारूढ़ नेकां को कर रही असहज; दरक चुके सियासी किले को बचाने की कोशिश

    शिक्षक अच्छे पढ़ाते हैं पर जर्जर इमारत बढ़ा रही चिंता : अभिभावक

    बारामुला जिले के वुसन खुई इलाके में स्थित सरकारी ब्वायज मिडिल स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि जर्जर हो चुकी स्कूल की इमारत ही उनके लिए चिंताजनक है, लेकिन बच्चों को अच्छी तरह पढ़ाया-लिखाया जाता है। अभिभावक तारिक अहमद हजाम ने बताया कि स्कूल के सभी टीचर मेहनती हैं।

    बच्चों को जी-जान से पढ़ाते हैं। लेकिन हमें सिर्फ एक ही बात की फिक्र सताती है, वह है खस्ताहाल इमारत है। हम चाहते हैं कि स्कूल की नई इमारत जल्द से जल्द बने।" एक अन्य अभिभावक मोहम्मद रफीक वानी ने बताया कि स्कूल में बच्चों के लिए अच्छी सुविधाएं हैं। लड़कों-लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट्स बनवाए गए हैं। पीने के पानी की सुविधा भी है। लेकिन स्कूली इमारत ठीक हालत में नहीं है। अगर स्कूल की इमारत नई बना दी जाए तो यह स्कूल निजी स्कूल से भी आगे निकल सकता है। लेकिन अफसोस शिक्षा विभाग इस तरफ नहीं दे रहा है।

    इस स्कूल की पुरानी इमारत को गिराकर इसके स्थान पर नई इमारत का निर्माण जरूरी है। नई स्कूली इमारत के निर्माण का मामला अब गंभीरता से लिया गया है। यह मुद्दा लंबे समय से अधर में रहने के चलते इस स्कूल की पुरानी इमारत अब असुरक्षित हो चुकी है। गुलाम नबी, जेडईओ, बारामुला

    बारामुला जिले के वुसन खुई इलाके में स्थित सरकारी ब्वायज मिडिल स्कूल की इमारत जर्जर हो चुकी है। इस मामला देश के भविष्य से जुड़ा है। इसे गंभीरता से लिया गया है। जल्द ही यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि वर्ष 2004 में अपग्रेड होने के बाद भी स्कूल की नई इमारत आज तक क्यों नहीं बन सकी। इमारत के निर्माण के लिए जल्द ही उचित कदम उठाया जाएगा। बशीर अहमद शाह, सीईओ, बारामुला जिला

    यह भी पढ़ें- कितने सुरक्षित हैं स्कूल: पांच कमरों का मिडिल स्कूल, तीन असुरक्षित, जान जोखिम में डाल पढ़ाई करने के लिए मजबूर नौनिहाल