जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के बाद अब पीडीपी राज्य दर्जे पर सत्तारूढ़ नेकां को कर रही असहज; दरक चुके सियासी किले को बचाने की कोशिश
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और उमर अब्दुल्ला पर राज्य के दर्जे को लेकर हमला बोला है। उन्होंने उमर पर भाजपा से समझौता करने का आरोप लगाया और गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। महबूबा कश्मीर में खोए जनाधार को वापस पाने और दक्षिण कश्मीर में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं जिससे नेशनल कॉन्फ्रेंस को नुकसान हो सकता है।

नवीन नवाज, जागरण, जम्मू। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती इन दिनों अपने भाषणों में केंद्र सरकार पर कम, सत्तारूढ़ नेशनल कान्फ्रेंस और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर ज्यादा हमलावर हो रही हैं।
वह राज्य के दर्जे के मुद्दे पर नेशनल कान्फ्रेंस पर अस्पष्ट नीतियां अपनाने और चुनावी वादों को पूरा करने में विफलता का आरोप लगाकर कश्मीर में खोए अपने जनाधार को वापस पाने का प्रयास कर रही हैं। पहले ही राज्य के दर्जे को लेकर कांग्रेस के 'हमारी रियासत-हमारा हक' अभियान से असहज हो चुकी नेशनल कान्फ्रेंस के लिए महबूबा मुफ्ती के तेवर लगातार परेशानी का कारण बन रहे हैं।
महबूबा ने पिछले सप्ताह श्रीनगर में पार्टी मुख्यालय के बाहर एक रैली को संबोधित करते हुए राज्य के दर्जे की बहाली के लिए केंद्र को कम, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को ही ज्यादा जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि उमर ने सत्ता के लिए भाजपा के साथ समझौता किया है।
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इसके अलावा पीडीपी प्रमुख ने जम्मू में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के गोली लगने से मारे गए युवक परवेज के परिजनों के साथ गत गुरुवार को संवेदना प्रकट की। उन्होंने सीधे आरोप लगाया कि गुज्जर-बक्करवाल समुदाय को उसके धर्म के कारण निशाना बनाया जा रहा है।
उसे जमीनों से बेदखल किया जा रहा है और मुख्यमंत्री मूकदर्शक बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह मुद्दे तब तक हल नहीं होंगे जब तक यहां एक सशक्त सरकार नहीं होगी, राज्य का दर्जा नहीं होगा।
पीडीपी नेताओं ने भी शुरू किया है बैठकों का दौर
इसके साथ ही महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती व पीडीपी के अन्य नेता अब्दुल रहमान वीरी, सरताज मदनी, खुर्शीद आलम और वहीद उर रहमान परा ने बैठकों को दौर चला रखा है, जिसमें वह कश्मीर के विभिन्न वर्गों के साथ संपर्क साध रहे हैं और उनके साथ मौजूदा प्रदेश सरकार की विफलताओं पर चर्चा कर रहे हैं।
राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर नेकां पर पीछे हटने का आरोप लगा रहे हैं। महबूबा स्वयं पार्टी की गतिविधियों की लगातार निगरानी करते हुए क्षेत्र विशेष के लिए एजेंडा तय कर रही हैं। स्थिति यह है कि नेकां नेता चाहकर भी पीडीपी के आरोपों का जवाब नहीं दे पा रहे, वह ले-देकर पूर्व में रहे पीडीपी-भाजपा गठबंधन पर आकर अटक जाते हैं।
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पीडीपी की दक्षिण कश्मीर पर नजर
महबूबा जानती हैं कि राज्य के दर्जे की बहाली का मुद्दा लोगों की भावनाओं को प्रभावित करता है। केंद्र सरकार इसे बहाल करने के लिए कोई समय सीमा नहीं बताएगी और उमर इस मांग को जोर-शोर से आगे बढ़ाने में अनिच्छुक हैं। इसलिए पीडीपी की उन इलाकों विशेषकर दक्षिण कश्मीर पर नजर है, जहां कभी पहले उसका बड़ा वोट बैंक था।
जानकार बोले-नेकां को नुकसान होगा
कश्मीर मामलों के जानकार अजय बाचलू ने कहा कि महबूबा ने अगर जम्मू में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का मुद्दा उठाया है तो इसका नुकसान नेशनल कान्फ्रेंस को ही है। अगर वह राज्य के दर्जे की बहाली के लिए शोर मचा रही हैं तो भी भी नेकां को ही नुकसान हो रहा है, क्योंकि नेकां नेताओं को अपने मतादाताओं को जवाब देने के लिए कोई बहाना नहीं है। महबूबा यह बात अच्छी तरह से जानती हैं।
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