कितने सुरक्षित हैं स्कूल: पांच कमरों का मिडिल स्कूल, तीन असुरक्षित, जान जोखिम में डाल पढ़ाई करने के लिए मजबूर नौनिहाल
जम्मू कश्मीर के मीरां साहिब स्थित एक सरकारी स्कूल में बच्चे असुरक्षित माहौल में पढ़ने को मजबूर हैं। जर्जर कमरों के कारण अभिभावक चिंतित हैं। स्कूल के तीन कमरे असुरक्षित घोषित किए गए हैं जिनमें दरारें हैं। शिक्षकों को एक ही कमरे में सभी कक्षाएं लगानी पड़ती हैं जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शौचालय में पानी की व्यवस्था न होने से बच्चों को खेतों में जाना पड़ता है।

जैबल चौधरी, जागरण, मीरां साहिब। सरकार एक तरफ सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने के लिए अभियान चला रही है, लेकिन दूसरी ओर असुविधाएं और असुरक्षित माहौल नौनिहालों को दूर कर रहा है।
सरकारी स्कूलों के भवनों की हालत ऐसी है कि वहां बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने से अभिभावक डर रहे हैं। ऐसा ही एक स्कूल है गवर्नमेंट मिडिल स्कूल खेपड़, जो मीरां साहिब जोन में आता है। कहने को इस स्कूल में पांच कमरे हैं, लेकिन उनमें से तीन को असुरक्षित घोषित किया गया है, जो कभी भी गिर सकते हैं। इन तीन कमरों की दीवारों में दरारें आ चुकी हैं और वहां से सीमेंट भी गिरने लगा है। आलम यह है कि इन कमरों में बैठना तो दूर, वहां जाने से भी बच्चे कतराते हैं।
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इस कारण शिक्षकों ने अब एक ही कमरे में सभी कक्षाएं लगाना शुरू कर दी हैं, जिसका असर वहां बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। अभिभावकों का कहना है कि चाहे बच्चों को एक नए बनाए गए कमरे में बिठाकर पढ़ाया जा रहा हो, लेकिन उन्हें हर समय हादसे का डर बना रहता है। अभिभावकों की मांग है कि खस्ताहाल कमरों को गिराकर सरकार वहां फिर से नए कमरे बनवाए, ताकि बच्चों को पढ़ने के लिए अतिरिक्त जगह और सुरक्षित माहौल मिले।
सरकारी मिडिल स्कूल खेपड़ में मौजूदा समय 45 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और आठ शिक्षक तैनात हैं, लेकिन असुविधाओं के कारण माहौल पढ़ाई करने योग्य नहीं है।
खेतों में शौच के लिए जाते हैं बच्चे व शिक्षक
सरकार गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं सरकारी मिडिल स्कूल खेपड़ इस अभियान को ग्रहण लगा रहा है। इस स्कूल में एक शौचालय है, लेकिन उस पर पानी की टंकी नहीं है। ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों और शिक्षकों को शौच के लिए खेतों में जाना पड़ता है।
शौचालय की पर्याप्त व्यवस्था न होने इसका असर बच्चों के नामांकन पर भी पड़ रहा है। बच्चों का कहना है कि उन्हें खेतों में जाना अच्छा नहीं लगता, लेकिन कई बार उन्हें शौच आने पर मजबूरन खेतों में जाना पड़ता है। बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि सरकार को स्कूल के जो असुरक्षित कमरे हैं उनकी मरम्मत का काम जल्द से जल्द शुरू करवाना चाहिए, ताकि कोई हादसा न हो।
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स्कूल में कमियां
शौचालय में पानी की व्यवस्था नहीं
बच्चों की संख्या की कक्षाओं के अनुसार कमरे नहीं
एक ही कमरे में हो रही पढ़ाई
स्टाफ रूम की भी सुविधा नहीं
सरकारी स्कूलों में अगर बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं तो पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा। अपने कार्यकाल में स्कूल में कुछ विकास के कार्य करवाए थे। उसके बाद से ही किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया और आज हालात यह हैं कि जो असुरक्षित कमरे हैं उनके अंदर तो बच्चे जाने से भी डरते हैं। जो एक बड़ा सा नया कमरा बना है उसमें ही सभी कक्षाएं लगाई जा रही हैं। यह सही नहीं है। सरकार को जल्द से जल्द स्कूल की हालत सुधारनी चाहिए। -हरबंस लाल, पूर्व सरपंच
आज सरकारी स्कूलों में कहा जाए तो गरीब लोगों के बच्चे ही पढ़ाई करते हैं और सरकार को अब बच्चों की जान की भी कोई कीमत नजर नहीं आती। लगता है कि स्कूल में किसी बड़े हादसे का शिक्षा विभाग इंतजार कर रहा है। स्कूल के जो भी विकास के कार्य अधूरे पड़े हैं, उनको जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए, नहीं तो शिक्षा विभाग के खिलाफ अभिभावक प्रदर्शन करेंगे। -चैन राम, अभिभावक
स्कूल के असुरक्षित कमरों की मरम्मत के बारे में शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है। उम्मीद है कि बहुत जल्द जो काम अधूरे पड़े हैं उनका पूरा किया जाएगा। -सुषमा शर्मा, हेडमास्टर, सरकारी मिडिल स्कूल खेपड़
स्कूल में कुछ कमरे असुरक्षित हैं, उनकी मरम्मत के लिए विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है। इसके अलावा बच्चों को संयुक्त रूप से एक कमरे में शिक्षा दिला रहे हैं। शिक्षकों को भी परेशानी होती है। जैसे ही कमरों की मरम्मत हो जाएगी तब अलग-अलग से कक्षाएं लगाई जाएंगी। -बरथाना शर्मा, जोनल शिक्षा अधिकारी, मीरां साहिब
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