लद्दाख में दुश्मन की तबाही के निशान मिटा रही सेना, पाकिस्तान द्वारा कारगिल युद्ध में दागे गए गोले अभी भी जमीन में हैं दफन
कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान द्वारा दागे गए मोर्टार के गोले लद्दाख की जमीन में अभी भी दफन हैं। सेना इन विस्फोटकों को ढूंढकर नष्ट करने का अभियान चला रही है। 2023 से अब तक 500 से अधिक विस्फोटक नष्ट किए गए हैं। कारगिल का कुरबाथांग इलाका सबसे अधिक प्रभावित है।

विवेक सिंह, जागरण, जम्मू। छब्बीस साल पहले लड़े गए कारगिल युद्ध के दौरान लद्दाख में तबाही के लिए पाकिस्तान द्वारा दागे गए मोर्टार के गोले अभी जमीन में दफन हैं। रेत में धंसने के बाद फट न पाए इन गाेलों से लोगों को बचाने के लिए सेना का व्यापक अभियान जारी है।
वर्ष 2023 से अब तक ऐसे पांच सौ से अधिक विस्फोटकों को तलाश कर उन्हें तबाह किया गया है। ऐसे लद्दाख के सीमांत क्षेत्राें की निवासियाें की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। सेना द्वारा मंगलवार को लद्दाख के उपशी के पास कुलुम गांव में छेडे गए अभियान के दाैरान विस्फोटक तलाश कर उसे तबाह किया गया है।
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कारगिल का कुरबाथांग जमीन में दफन विस्फोटकों से सबसे अधिक प्रभावित है। उसके साथ पूर्वी लद्दाख के फोबरांग, यूरगो, लुकंग गांवों में भी ऐसे विस्फोटक तलाश कर उन्हें तबाह किया गया है।
वर्ष 2022 से लद्दाख के लेह, कारगिल में पाकिस्तान की मोर्टार फायरिंग की रेंज में आने वाले इलाकों में सेना की इंजीनियर रेजीमेंट के जवान आधुनिक यंत्रों से लैस होकर सैकड़ों किलोमीटर जमीन को खंगाल रहे हैं।
कारगिल का कुरबाथांग का इलाका दुश्मन द्वारा की गई गोलाबारी में सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। ऐसे में इस इलाकों में सेना ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए अब तक चार सौ से अधिक विस्फोटकों को तलाश कर उन्हें तबाह किया है।
इस वर्ष जुलाई माह में भी कारगिल में 2 व मई माह में कारगिल एस्ट्रो टर्फ मैदान के पास ऐसे तीन विस्फोटों को तबाह किए गए हैं। वर्ष 2023 में कुरबाथांग में तबाह किए गए करीब साढे तीन सौ विस्फोटकों में से 134 को 17 नवंबर को एक ही दिन में तबाह किया गया था। इसके साथ पूर्वी लद्दाख सागा गांव के पास डेढ़ किलाेमीटर में फैले इलाके में एक ही दिन में 65 विस्फोटकों को तबाह किए गए थे।
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जमीन पर गिरने के बाद फट न पाए ये गोले हादसों का कारण बनते हैं। अप्रैल 2023 में, कारगिल हवाई अड्डे के पास नवनिर्मित एस्ट्रोटर्फ के पास विस्फोट में एक 8 वर्षीय लड़के की मौत व दो बच्चे घायल हो गए थे। इसके बद अगस्त 2023 में कारगिल में एक कबाड़ विक्रेता की दुकान पर ऐसे ही विस्फोटक के फटने से तीन लोगों की मौत हो थी।
वहीं 11 अन्य घायल हो गए। इसके बाद सेना की इंजीनियरिंग रेजीमेंटों के बम डिस्पोजल दस्तों ने जमीन में दफन इस चुनौती का सामना करने के लिए अपने अभियान को और तेज कर दिया था।
लद्दाख के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल पीएस सिद्धू का कहना है कि भारतीय सेना लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर रही है। ऐसे इलाकों को खंगाला जा रहा है यहां पर ऐसे विस्फोटक हो सकते हैं।
आधुनिक यंत्रों का इस्तेमाल कर प्रशिक्षित सैनिक ऐसे विस्फोटकों का पता लगाते हैं। उसके बाद उन्हें सुरक्षित तरीके से तबाह किया जाता है। यह कार्रवाई स्थनीय प्रशासन व गांवों के प्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर की जा रही है। बड़े पैमाने पर इस अभियान से सुनिश्चित किया जा रहा है कि ये विस्फोटक जान के लिए खतरा न बनें।
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लोगों काे खतरे से निपटने के लिए जागरूक किया जा रहा
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सीमांत क्षेत्र में फट न पाए दुश्मन के गोलों को तबाह करने के साथ सेना सीमांत क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चला रही है। लोगों को सिखाया जा रहा है कि खेतों य जमीन में कोई संदिग्ध चीज देखने पर उन्हें क्या कार्रवाई करनी है।
उन्हें बताया जा रहा है कि छेड़छाड़ करने के बजाए इसकी सूचना पुलिस, सेना या स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को दी जाए। इस अभियान के तहत कबाड़ ब्रिकेताओं को भी बताया जा रहा है कि वे विस्फोटक मिलने पर इससे छेड़छाड़ करने के बजाए तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दें।
रेतीली जमीन में धंसने पर नही फटते हैं कई गोले
आम तौर पर दुश्मन द्वारा दागे जाने वाले मोर्टार जमीन पर टकराने के बाद फट जाते हैं। लेकिन कई बार ये गोले रेत, गीली मिट्टी पर गिरने के बाद नीचे धंस जाते हैं। ऐसे होने पर उनका ट्रिगर काम नही करता है व वे नीचे छिप जाते हैं। लद्दाख की जमीनी रेतीली है।
विश्व के कई ऐसे देश भी हैं यहां पर युद्ध के पचास सालों के बाद भी आज ऐसे गोले लोगों के लिए जान का खतरा बने हुए हैं। लद्दाख में 999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी खासे गोले दागने के बाद फटे नही थे। भारतीय सेना की स्थानीय बटालियनें बम निरोधक अभियानों के माध्यम से इस खतरों को बेअसर करने के लिए सक्रिय हैं।
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