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    शरारती बच्ची से लेकर अंतरराष्ट्रीय तलवारबाज तक, युवाओं के लिए प्रेरणादायक है श्रेया गुप्ता की अनोखी कहानी

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 02:36 PM (IST)

    जम्मू की श्रेया गुप्ता एक अंतरराष्ट्रीय तलवारबाज हैं जिन्होंने 2026 एशियाई खेलों के लिए क्वालीफाई किया है। माता-पिता ने उन्हें ताइक्वांडो सिखाना शुरू किया लेकिन श्रेया तलवारबाजी में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने लगीं। उन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीता और एशियाई खेलों में भी भाग लिया। श्रेया ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई पदक जीते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भी स्वर्ण पदक हासिल किए हैं।

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    श्रेया गुप्ता पढ़ाई में भी अच्छी हैं और वर्तमान में एमए साइकोलॉजी की छात्रा हैं।

    विकास अबरोल, जम्मू। प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय तलवारबाज (फेंसिंग) श्रेया गुप्ता आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। हाल ही में एशियन गेम्स 2026 के कोर ग्रुप में शामिल होने वाली श्रेया को माता-पिता (रश्मि महाजन-संजय गुप्ता) ने उनकी शरारतों से तंग आकर ताइक्वांडो खेल सिखाना शुरू कर दिया लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

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    श्रेया एक दिन अपने बड़े भाई शिवालिक गुप्ता जो स्वयं एक अच्छे तलवारबाज रहें हैं और दो बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं, को अभ्यास करते हुए देखने गई और फिर उसी दिन से तलवारबाजी सीखने का सिर पर भूत सवार हो गया।

    बस फिर क्या था, वर्ष 2013 से लेकर आज तक श्रेया ने पीछे कभी मुड़कर नहीं देखा है। कामनवेल्थ खेलों में भाग लेकर एकल स्पर्धा में पदक जीतने वाली वह प्रदेश की पहली खिलाड़ी हैं जबकि एशियाई खेलों में भी प्रदेश की ओर से भाग लेकर पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं।

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    अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चार कांस्य, एक रजत पदक जीत चुकी है श्रेया

    वर्ष 2019 में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान स्टेट अवार्ड और वर्ष 2017-18 में शेर ए कश्मीर अवार्ड हासिल करने वाली श्रेया गुप्ता अभी तक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चार कांस्य पदक और एक रजत पदक जीत चुकी हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन के दम पर 21 स्वर्ण, पांच रजत और 13 कांस्य पदक अर्जित कर चुकी हैं। कुल मिलाकर श्रेया अभी तक 22 अंतरराष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं जबकि 26 बार राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेकर अपनी प्रतिभा साबित कर चुकी हैं।

    पढ़ाई में भी अव्वल है श्रेया

    श्रेया न सिर्फ खेल के मैदान में अव्वल हैं बल्कि पढ़ाई में भी उनका कोई सानी नहीं है। एमए साइकालजी के पहले वर्ष की छात्रा श्रेया ने 10वीं की परीक्षा में 91.8 प्रतिशत और 12वीं की परीक्षा में 93.4 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। इस समय वह अहमदाबाद स्थित विजय भारती स्पोर्ट्स एकेडमी में प्रशिक्षण हासिल कर रहीं है। श्रेया की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियों को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार के टाप्स (टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम) में शामिल हैं।

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    बचपन में शरारती श्रेया कैसे बनी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

    श्रेया ने अपने अब तक के खेल करियर के बारे में बात करते हुए कहा मैं बचपन में बहुत शरारती थी। मुझमें बहुत ऊर्जा थी। मेरे पिता संजय गुप्ता, जो एक आर्किटेक्ट हैं, ने मेरी ऊर्जा को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने के लिए मुझे खेलों में शामिल किया। मैं ताइक्वांडो खेलने अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो कोच एवं रेफरी अतुल पंगोत्रा के पास जाने लगी। मुझे इससे प्यार हो गया और लगभग चार वर्षों में मैंने कईं पदक जीते।

    बड़े भाई को देखकर हुई तलवारबाजी के लिए प्रेरित

    मेरे बड़े भैया शिवालिक गुप्ता जो स्वयं दो बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का प्रतिधित्व कर चुके हैं इंजीनियरिंग करने के बाद अब मुम्बई स्थित एक मल्टीनेशनल कम्पनी में कार्यरत हैं। वह तलवारबाजी के बेहतरीन खिलाड़ी थे। मैं एक दिन उसके साथ तलवारबाजी देखने गई थी। मुझे यह खेल बहुत पसंद था। बचपन से ही मुझे एक योद्धा' की तरह दिखना, मंच पर अभिनय करना और चीजों को अलग तरह से महसूस करना पसंद था।

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    तलवारबाजी की वर्दी ने भी मुझे आकर्षित किया

    मुझे तलवारबाजी अपनी खास वर्दी, मुखौटे और योद्धा जैसी ट्रेनिंग की वजह से पसंद थी और इसने मुझे बहुत आकर्षित किया। इसके बाद वर्ष 2013 से मैंने अपनी तलवारबाजी की ट्रेनिंग को आगे बढ़ाने के लिए जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में जाना शुरू कर दिया। मैंने फरवरी 2022 में अमृतसर में सीनियर फेंसिंग नेशनल्स के फाइनल में भारत की पहली और एकमात्र महिला ओलिंपिक फेंसर भवानी देवी से हार गई थी।

    एकमात्र महिला ओलिंपिक फेंसर भवानी से भी सिखने को मिला

    मुझे भवानी दीदी से बहुत कुछ सीखने को मिला है। भवानी दीदी ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। जब हम एक एक्सपोजर टूर के लिए हंगरी में थे, तो उन्होंने मुझे अपने शुरुआती वर्षों में आने वाली कठिनाइयों और उनसे कैसे पार पाया, के बारे में बताया। मैं हमेशा उनके शब्दों से प्रेरित रही हूं। मेरा दीर्घकालिक लक्ष्य 2028 ओलिंपिक में भारत के लिए पदक जीतना है।

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