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    जम्मू-कश्मीर में अपराध ग्राफ में बड़ी गिरावट, 3 साल में 2080 मामले हुए कम, आत्महत्या-यौन उत्पीड़न के आंकड़े चिंताजनक

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 12:42 PM (IST)

    राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर में अपराध दर में गिरावट आई है। वर्ष 2021 से 2023 के बीच कुल अपराध मामलों में 2080 की कमी आई है। देशद्रोह और साम्प्रदायिक हिंसा का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ। अपराध ग्राफ में गिरावट प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को दर्शाती है लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

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    अपराध मामलों में चार्जशीट की दर 90.7 प्रतिशत दर्ज की गई।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में अपराध दर में गिरावट दर्ज की गई है, जैसा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में बताया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी 71 वीं वार्षिक एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 से 2023 के बीच कुल अपराध मामलों में 2,080 की कमी आई है।

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    अपराध आंकड़ों में गिरावट

    जम्मू-कश्मीर में कुल अपराध मामलों (आईपीसी व विशेष एवं स्थानीय कानून) की संख्या वर्ष 2021 में 31,675 थी, जो 2022 में घटकर 30,197 और 2023 में और कम होकर 29,595 पर आ गई। आईपीसी अपराध के वर्ष 2021 में 27,447, वर्ष 2022 में 25,915 और वर्ष 2023 में घटकर 25,127। यानी तीन वर्षों में कुल 2,320 मामलों की कमी। इस प्रकार एसएलएल अपराध वर्ष 2021 में 4,228, वर्ष 2022 में 4,282 और वर्ष 2023 में बढ़कर 4,468। रिपोर्ट के अनुसार, इन मामलों में चार्जशीट की दर 90.7 प्रतिशत दर्ज की गई।

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    देशद्रोह और साम्प्रदायिक हिंसा के मामले शून्य

    रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2023 में जम्मू-कश्मीर में देशद्रोह का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ। इसी तरह, साम्प्रदायिक, धार्मिक या सांप्रदायिक हिंसा का भी कोई मामला सामने नहीं आया।

    अपराध ग्राफ में गिरावट के कारण

    एनसीआरबी के अनुसार, अपराध ग्राफ में आई गिरावट प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था और कानूनी प्रक्रियाओं की मजबूती को दर्शाती है। हालांकि, महिलाओं के खिलाफ अपराध, सड़क हादसे और आत्महत्या से जुड़े मामलों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

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    वर्ष 2023 में प्रमुख अपराधों का ब्यौरा

    • हत्या के 84 मामले दर्ज हुए है।
    • किडनैपिंग के कुल 1,004 मामले दर्ज हुए।
    • दुष्कर्म के 231 मामले दर्ज हुए।
    • महिलाओं पर हमले के 1,352 मामले दर्ज हुए।
    • यौन उत्पीड़न के 70 मामले दर्ज।
    • दंगे करने के 425 मामले दर्ज हुए।
    • लापरवाही से मौत के 673 मामले दर्ज हुए।
    • दहेज उत्पीड़ना के 9 मामले दर्ज हुए।
    • आत्महत्या के लिए उकसाने के 44 मामले दर्ज हुए।
    • हत्या की कोशिश के 438 मामले सामने आए
    • आत्महत्या की कोशिश के 434 मामले दर्ज थे।