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    जम्मू में दाे वर्षों में कम होती चली जाएगी कुत्तों की संख्या; 42 हजार की हुई नसबंदी, करीब 9 हजार शेष

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 01:05 PM (IST)

    जम्मू शहर को कुत्तों से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने अगले दो वर्षों में सभी कुत्तों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में 42 हजार कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। नसबंदी के बाद कुत्तों का प्रजनन रुक जाएगा जिससे उनकी संख्या में कमी आएगी और लोगों को कुत्तों के आतंक से राहत मिलेगी।

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    निगम के दो एनिमल केयर सेंटर में रोजाना 30-40 कुत्तों की नसबंदी की जा रही है।

    अंचल सिंह, जागरण, जम्मू। अब वो दिन दूर नहीं जब जम्मू शहर को कुत्तों से निजात मिल जाएगी। अगले दो वर्षों में इनकी आबादी बढ़ना रुक जाएगी।

    जम्मू नगर निगम ने सभी कुत्तों की नसबंदी का काम अगले दो वर्षों तक पूरा कर लेने का लक्ष्य निर्धारित किया है। नसबंदी के बाद कुत्तों की संख्या कम होती चली जाएगी।

    नसबंदी के बाद जहां कुत्तों का प्रजनन रुक जाता है तो वहीं धीरे-धीरे ये खूंखार भी नहीं रह जाते। लिहाजा कुत्तों के काटने के मामलों में भी कमी आएगी। इससे लोगों को एक बड़ी राहत मिलेगी।

    मौजूदा समय में 60 से 70 कुत्तों के काटने के मामले आते हैं। शहर की शायद ही कोई गली होगी जहां कुत्तों के झुंड नजर नहीं आते। यह कुत्ते आए दिन किसी न किसी को शिकार बना लेते हैं जिससे लोगों में इनका आतंक फैला हुआ है।

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    42 हजार कुत्तों की हुई नसबंदी

    जम्मू नगर निगम का दावा है कि मौजूदा समय तक 42 हजार के करीब कुत्तों की नसबंदी कर दी गई है। पहले इनकी संख्या 48 हजार के करीब थी जो बढ़कर 51 हजार के करीब हो गई है। अगले दो वर्षाें में सभी कुत्तों की नसबंदी कर दी जाएगी। इससे प्रजनन खत्म हो जाएगा। धीरे-धीरे यह खत्म होते चले जाएंगे।

    शहर में हैं एनिमल केयर सेंटर

    जम्मू नगर निगम ने रूपनगर और चौआदी में एनिमल केयर सेंटर बनाए हुए हैं। रूपनगर सेंटर में रोजाना 15 से 20 और चौआदी सेंटर में 10-15 कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। चौआदी में 5 जुलाई 2025 को ही सेंटर को खोला गया है। दोनों सेंटर में रोजाना 30 से 40 कुत्तों की नसबंदी हो रही है। यहां फ्रेंडिकोजत-एसईसीए नामक एनजीओ नसबंदी व टीकाकरण का काम पूरा कर रही है।

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    नसबंदी के फायदे

    कुत्ते की नसबंदी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें नर कुत्ते के अंडकोष या मादा कुत्ते के अंडाशय और गर्भाशय को निकाल दिया जाता है ताकि वे प्रजनन न कर सकें। इस प्रक्रिया को बधियाकरण कहते हैं। यह अवांछित पिल्लों को रोकने, हार्मोन-प्रेरित व्यवहार (जैसे भटकना, मूत्र चिह्नांकन, आक्रामकता) को कम करने और कुछ स्वास्थ्य समस्याओं (जैसे कैंसर) के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

    नर कुत्ते की नसबंदी (बधियाकरण) की प्रक्रिया में नर कुत्ते के अंडकोषों को निकाला जाता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन रुक जाता है। वहीं मादा कुत्ते की नसबंदी (ओवेरियोहिस्टेरेक्टॉमी) की सर्जरी में अंडाशय और गर्भाशय को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है, जिससे मादा कुत्ते गर्भवती नहीं हो पाती।

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    क्या कहते हैं लोग

    ‘नसबंदी करने की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए। हालांकि पहले की तरह अब कुत्तों के बच्चे नजर नहीं आ रहे। फिर भी ऐसी व्यवस्था बननी चाहिए कि देखने वाले को पता चल जाए कि इस कुत्ते की नसबंदी हुई है या नहीं।’ -राज कुमार, निवासी पुरानी मंडी

    ‘कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। इस समस्या का गंभीरता से समाधान करने की जरूरत है। कुत्तों को जंगलों में नहीं छोड़ सकते तो इन्हें पकड़ कर किसी एक जगह ही छोड़ दें। वहीं लोगों से खाना-पीना एकत्र कर पहुंचाया जा सकता है।’ -राजेश गुप्ता, निवासी बख्शी नगर

    ‘कुत्ते ज्वलंत समस्या हैं। कोई गली नहीं बची जहां इनका राज नहीं। घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। सरकार को सख्ती करनी ही चाहिए। इनकी नसबंदी और इन्हें पकड़ने की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए। लोगों को राहत प्रदान करें।’ -सुशील सिंह बंदराल, निवासी न्यू प्लाट

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    क्या कहते हैं अधिकारी

    ‘अगले एक-डेढ़ साल में सभी कुत्तों की नसबंदी हो जाएगी। फिर इनका प्रजनन रुक जाएगा और धीरे-धीरे शहर में कुत्तों की संख्या कम होती चली जाएगी। फिलहाल 42 हजार कुत्तों की नसबंदी कर दी गई है। मौजूदा समय में 51 हजार के करीब कुत्ते होंगे। निगम के दो सेंटर हैं जिनमें रोजाना 30 से 40 कुत्तों की नसबंदी हो रही है। एबीसी कार्यक्रम के तहत नसबंदी व टीकाकरण जारी है।’ -डा. गौरव चौधरी, पशु कल्याण अधिकारी, जम्मू नगर निगम