उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ऑपरेशन सिंदूर पर की बात, बोले- 'भारत की सैन्य रणनीति में नए युग की शुरुआत'
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस संतुलित रणनीति ने सुरक्षा बलों और नागरिकों का मनोबल बढ़ाया है। सिन्हा ने यह भी कहा कि भारत किसी भी आतंकी हमले को युद्ध मानेगा और मुंहतोड़ जवाब देगा। सीमावर्ती गांवों को अंतिम नहीं बल्कि पहला गांव मानकर विकसित किया जा रहा है। उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम के महत्व को भी रेखांकित किया।

राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर को आवश्यक बताते हुए कहा कि संयम के साथ उठाए गए इस संतुलित रणनीतिक कदम ने आतंकवाद के खिलाफ एक नयी लाल रेखा खींच दी है।
इससे हमारे सशस्त्र बलों और आम नागरिकों का मनोबल,विश्वास बढ़ा है। वहीं अब आतंकी और उनके आका भी अब कोई दुस्साहस करने से पहले बीसियों वार अपनी तबाही के बारे में साेचेंगे।
वह कश्मीर के दौरे पर आए भारतीय सशस्त्र सेना, सिविल सेवा और मित्र देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राजभवन में जम्मू कश्मीर के मौजूदा परिदृश्य और सुरक्षा मामलों पर बातचीत कर रहे थे। प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारी वर्तमान में नेशनल डिफेंस कालेज में एक कोर्स में भाग ले रहे हैं।
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ऑपरेशन सिंदूर भारत का सबसे साहसिक सैन्य जवाब
उपराज्यपाल ने नेशनल डिफेंस कालेज से आए सैन्याधिकारियों के साथ बातचीत में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर, हाल के इतिहास में भारत का सबसे साहसिक सैन्य जवाब था और संतुलित रणनीतिक संयम के साथ कड़े कदम ने आतंकवाद के खिलाफ एक नई रेड लाइन खींच दी है।
उपराज्यपाल ने कहा कि अगर भविष्य में भारत पर कोई आतंकी हमला होता है, तो इसे युद्ध का कार्य माना जाएगा और इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा और वह आतंकवादियों के ठिकानों पर सटीक और निर्णायक कार्रवाई करेगा।
सीमावर्ती गांवों को "आखिरी गांव" नहीं बल्कि "पहला गांव" माना जाए
जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के बारे में बात करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह दृष्टिकोण दिया कि सीमावर्ती इलाकों के गांवों को "आखिरी गांव" नहीं बल्कि "पहला गांव" माना जाए।
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उन्होंने कहा कि शब्दावली में यह बदलाव इन गांवों को देश की पहली सुरक्षा पंक्ति के रूप में उनकी अहमियत और सीमावर्ती गांवों के समग्र विकास को हमारी प्राथमिकता पर जोर देता है। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के दौरान आर्थिक विकास, सुरक्षा और सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाया गय है।
"वसुधैव कुटुंबकम" विश्व एक परिवार है
उन्होंने बताय कि बीते पांच वर्ष के दौरान जम्मू कश्मीर में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मजबूत कनेक्टिविटी बनाई। 1947 से बिजली से वंचित कई क्षेत्रों को ग्रिड बिजली और इंटरनेट से जोड़ा गया, जिससे जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है।
उपराज्यपाल ने कहा कि भारत का प्राचीन मंत्र और आदर्श वाक्य "वसुधैव कुटुंबकम-विश्व एक परिवार है, पूरे विश्व को सार्वभौमिक भाईचारे और वैश्विक एकता का मार्ग दिखाएगा। यह हमारी संस्कृति और परम्परा की पहचान भी है।
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