Himachal: बेटों के नाम हुई संपत्ति तो घर से निकाला वृद्ध पिता, कोर्ट की टिप्पणी- बुजुर्ग की देखभाल कानूनी नहीं नैतिक जिम्मेदारी
Himachal Pradesh News मंडी के पारिवारिक न्यायालय ने 75 वर्षीय पुरुषोत्तम राम को उनके बेटों से 5000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता दिलाने का आदेश दिया है। संपत्ति बेटों को हस्तांतरित करने के बाद उन्हें घर से निकाल दिया गया जिसके बाद वे मजदूरी करने को मजबूर हैं। न्यायालय ने बेटों को तीन महीने में भुगतान करने का आदेश दिया अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जागरण संवाददाता, मंडी। Himachal Pradesh News, पारिवारिक न्यायालय मंडी ने 75 वर्षीय बुजुर्ग को उसके दोनों बेटों से मासिक गुजारा भत्ता दिलाने का आदेश दिया है। दोनों बेटों को निर्देश दिया कि वह 2,500-2,500 रुपये प्रति माह भत्ता दें, जो याचिका दाखिल करने की तिथि से देय होगा। इसके अलावा 5,000 रुपये बतौर मुकद्दमे का खर्च भी अदा करना होगा।
कोटली उपमंडल के सरवारी निवासी पुरुषोत्तम राम ने अपनी पैतृक व स्वयं अर्जित संपत्ति दोनों बेटों दिलीप सिंह व नवल किशोर को पारिवारिक समझौते में दे दी थी। आरोप है कि इसके बावजूद बेटों ने उन्हें अक्टूबर 2023 में घर से निकाल दिया।
पुलिस चौकी कोटली में शिकायत के बाद समझौता हुआ, लेकिन 31 मई 2024 को फिर से घर से निकाल दिया गया। तब से वह कोटली निवासी अमरनाथ के घर में रह रहे हैं। जीवनयापन के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि दोनों बेटे आर्थिक रूप से सक्षम हैं। एक मिस्त्री का काम करता है। दूसरा आटो चलाने के साथ पर्याप्त जमीन का मालिक है, जिनकी मासिक आय 50,000 रुपये से अधिक है। न्यायालय में पेश सबूत व गवाही का बेटों ने खंडन नहीं किया। दोनों अंततः एकतरफा कार्यवाही में चले गए।
न्यायालय ने माना कि सक्षम होने के बावजूद बेटों ने अपने वृद्ध व असहाय पिता की देखभाल नहीं की, जो न केवल कानूनी बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है। आदेश में कहा गया है कि तीन माह के भीतर बकाया राशि का भुगतान किया जाए, अन्यथा कानूनी कार्रवाई होगी।
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