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    सरस्वती नदी को नहीं मिल रहा रास्ता, प्रवाह के लिए चाहिए 22 गांवों 68.36 एकड़ जमीन

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Fri, 26 Jun 2020 01:18 PM (IST)

    सेटेलाइट से जिस जगह पर सरस्वती के प्रवाहित होने के सबूत मिले थे वहां की जमीन पर कब्जा हो चुका है या फिर वह रिकार्ड में किसानों के नाम पर है।

    सरस्वती नदी को नहीं मिल रहा रास्ता, प्रवाह के लिए चाहिए 22 गांवों 68.36 एकड़ जमीन

    यमुनानगर [राजेश कुमार]। सरस्वती नदी को अपनी धारा के लिए जमीन नहीं मिल रही। सेटेलाइट से जिस जगह पर सरस्वती के प्रवाहित होने के सबूत मिले थे, वहां की जमीन पर कब्जा हो चुका है या फिर वह रिकार्ड में किसानों के नाम पर है। जिले के 22 गांव ऐसे हैं जिनकी 68.36 एकड़ जमीन नदी के लिए सरकार को खरीदनी है। जिन किसानों से सरकार को जमीन खरीदनी है उनसे ई-भूमि पोर्टल पर अप्लाई करने को कहा था। छह माह से अधिक समय बीतने के बावजूद एक भी किसान ने नदी के लिए जमीन देने की इच्छा नहीं जताई है। जमीन न मिलने से करीब 500 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट अधर में लटके हुए हैं।

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    इन 22 गांवों से खरीदनी है जमीन

    वर्ष 2015 में सरकार ने सरस्वती नदी की खुदाई शुरू की थी। जिन 22 गांवों से सरकार को जमीन खरीदनी है उसमें ऊंचा चांदना, दौलतपुर, मालीमाजरा, सरस्वती नगर, छप्पर, मंसूरपुर, खेड़ा खुर्द, अंबली, सबीलपुर, डेरा, तलाकौर, कोत्तरखाना, नगला जागीर, पाबनी कलां, जुड्डा जटान, जुड्डा शेखान, चंदाखेड़ी, बिलासपुर, मोहड़ी, भवानीपुर, मिल्कखास व मछरौली शामिल हैंं। यदि कोई किसान जमीन नहीं बेचता तो सरकार अधिग्रहण कर सकती है या फिर बदले में कहीं और जमीन दी जा सकती है।

    कहां बहती है नदी और कहां चाहिए जमीन

    आदिबद्री में रामपुर गेंडा गांव से 700 मीटर ऊपर बैराज बनेगा। इसमें एकत्रित पानी को पाइप लाइन से साढ़े सात किलोमीटर दूर रामपुर हेडियान, रामपुर कंबोयान व छलौर गांव में 350 एकड़ में बने जलाशय में लाया जाएगा। इस जलाशय से रामपुर हेडियान, नगली, बिहटा, संधाय, भवानीपुर, मछरौली गांव तक करीब 6100 फुट में सरस्वती का प्राकृतिक प्रवाह है। इससे आगे बिलासपुर के भवानीपुर से आंबवाला तक 17 हजार फुट जमीन चाहिए।

    भीलछप्पर से ककड़ौनी गांव तक फिर सरस्वती का प्राकृतिक प्रवाह है। ककड़ौनी से खेड़ा ब्राह्मण, चंदाखेड़ी में 1800 फुट जमीन चाहिए। टेही जटान, टेहा ब्राह्मण, जुड्डा शेखान तक नदी का प्राकृतिक प्रवाह है। जुड्डा शेखान से नगला जागीर तक करीब 15 हजार फीट जमीन चाहिए। नगला जागीर गांव में सरस्वती चेतंग नाले में मिलती है। यहां से कोत्तरखाना गांव तक सरस्वती को चेतंग नाले की मदद से लाया जाएगा। कोत्तरखाना से सबीलपुर जटान, खेड़ा खुर्द तक 15 हजार फुट जमीन चाहिए। खेड़ा खुर्द से छप्पर, सरस्वती नगर, माली माजरा, ऊंचा चांदना, से कुरुक्षेत्र के शाहबाद फीडर तक सरस्वती नदी एक बार फिर प्राकृतिक प्रवाह के साथ जमीन के नीचे बहती है।

    पोर्टल पर आवेदन करना है : बीबी कौशिक

    सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड के सीईओ भारत भूषण कौशिक का कहना है कि सरस्वती के रास्ते में जिन किसानों की जमीन है उसका अधिग्रहण करने की बजाय सरकार ने खरीदने का निर्णय लिया है। इसके लिए किसानों को ई-भूमि पोर्टल पर अप्लाई करना है। यदि किसान जमीन नहीं देते तो उस बारे में बाद में सरकार को नीतिगत फैसला लेना है।

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