लॉकडाउन में बड़ा गोलमाल, सेंट्रल जीएसटी ने हिसार व फतेहाबाद में पकड़ा 1500 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा
सेंट्रल जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) ने हिसार और फतेहाबाद में 1500 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा पकड़ा है। कुल रकम पर 18 फीसद जीएसटी की चोरी हुई है।
जेएनएन, रोहतक/हिसार। सेंट्रल जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) ने हिसार और फतेहाबाद में 1500 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा पकड़ा है। बैंकों से मिलने वाले गिफ्ट कार्ड खरीदकर पहले तो जीएसटी की चोरी की गई और उसके बाद कार्ड बेचकर रिफंड और कार्ड बिक्री पर मिलने वाले कमीशन का करोड़ों रुपये का भी गोलमाल कर दिया। सभी दस्तावेज फर्जी लगाए गए। मामले में फतेहाबाद के भट्टू से गिफ्ट कार्ड के एक सप्लायर के घर से बोरियों में रखे 950 मोबाइल फोन और 29 हजार सिम कार्ड मिले। यही नहीं, हजारों की तादाद में आइडी बरामद हुईं।
फिलहाल इस फर्जीवाड़े में सात फर्मों के नाम सामने आए हैं। कुछ दिन पहले एक रिफंड के मामले की जांच के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आया तो जांच शुरू हुई। प्राथमिक तौर से दिल्ली से यह रैकेट संचालित बताया जा रहा है। बैंकों की भूमिका भी इस प्रकरण में संदेह के दायरे में है।
सेंट्रल जीएसटी के हिसार मंडल के असिस्टेंट कमिश्नर सचिन अहलावत ने बताया है कि कुछ बैंक खातों की जांच की जा रही थी। इनमें से कुछ खातों में पिछले आठ-दस माह के अंदर ही करीब 1500 करोड़ के गिफ्ट कार्ड खरीदे गए। इनकी गहनता से जांच की गई तो सारा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए सिम कार्ड से लेकर आधार नंबर, पेन नंबर तक फर्जी लगाए गए। अभी सात ही फर्म-एजेंसियों की तरफ से यह खरीद-फरोख्त सामने आई है। जांच में फर्म और रकम कई गुना अधिक होने की संभावनाएं हैं। इसके साथ ही फर्म भी नकली पाई गई हैं।
ऐसे समझिए पूरा खेल
सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों ने बताया कि बड़े प्राइवेट बैंंक गिफ्ट कार्ड जारी करते हैं। इस मामले से जुड़े लोग फर्जी सिम व आइडी के आधार पर भारी संख्या में बैंक से 10 हजार रुपये का गिफ्ट कार्ड 9900 रुपये में खरीद लेते थे। इसके बाद इन कार्डों की ट्रेडिंग की जाती। आगे डिस्ट्रीब्यूटर को यह कार्ड बेच दिए जाते। इसके बाद डिस्ट्रीब्यूटर या तो खुद इस कार्ड को स्वाइप कर कमीशन ले लेता या आगे किसी फर्म को बेचकर स्वाइप करा लेता था। जिसके खाते में कार्ड स्वाइप होता, कमीशन की रकम उसी के पास जाती। ऐसा करके यह टर्नओवर और जीएसटी दोनों ही दिखा रहे थे। पूरा खेल डिस्काउंट और कमीशन पर चलता था। खास बात यह है कि गिफ्ट कार्ड किसी वस्तु या सर्विस पर दिया जाता है, मगर इस मामले में न तो माल मिला और न सर्विस दिखाई गई।
लॉकडाउन के दौरान बड़ा गोलमाल
लॉकडाउन के दौरान करीब 250 करोड़ रुपये के लेनदेन से मामले का खुलासा हुआ। इस अवधि में स्कूटरों व कारों के लिए पेट्रोल-डीजल की भारी मात्रा में बिक्री दिखाई गई। बिना लेनदेन के ही स्वाइप मशीनों से रकम का भुगतान दिखाया गया। जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि स्वाइप करने पर एक फीसद तक तक की बचत होती है। बिना लेन-देन के ही 50 लाख रुपये के स्वाइप करने पर एक फीसद पर चंद मिनट के अंदर ही पांच हजार रुपये खाते में आ जाते। इस तरह फर्जी फर्मों ने जीएसटी चोरी करने के बाद रिफंड से भी करोड़ों रुपये कमाए।
दिल्ली से लेकर दुबई तक जुड़े तार
विभागीय सूत्रों कहना है कि एक व्यक्ति हिसार जीएसटी कार्यालय में रिफंड की रकम न पहुंचने की शिकायत लेकर पहुंचा। दुबई में संबंधित व्यक्ति माल भेजता है। जब इस खाते की जांच की गई तो संबंधित व्यक्ति के खाते में करीब तीन करोड़ रुपये स्वाइप से जारी किए हुए पाए गए, जबकि माल सेल नहीं हुआ। ऐसे ही एक व्यक्ति ने गुरुग्राम से दिल्ली सामान भेजा, जबकि रिफंड के लिए हिसार कार्यालय में आवेदन किया। संबंधित युवक 25-30 साल का था। संबंधित युवक साधारण परिवार से लग रहा था, जबकि दिसंबर 2019 में 3.19 करोड़ का रिटर्न के लिए उसने आवेदन किया था। शक होने पर जांच शुरू हुई तो दिल्ली के एक व्यक्ति का नाम सामने आया।
मामले की जांच के बाद सब स्पष्ट होगा
सेंट्रल जीएसटी, रोहतक के आयुक्त विजय मोहन जैन का कहना है कि जीएसटी का 1500 करोड़ रुपये का प्राथमिक तौर से फर्जीवाड़ा सामने आया है। कुल रकम पर 18 फीसद जीएसटी की चोरी हुई। फर्जी रिफंड कितना लिया जा चुका है, इसकी जांच कर रहे हैं। कंपनी भी अस्तित्व में नहीं हैं। फिलहाल एक करोड़ रुपये का जीएसटी वसूला जा चुका है। मामले की जांच के बाद सब स्पष्ट होगा।