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    करोड़ों के नुकसान से बचेंगे पशुपालक, पशु की हीट में फायदेमंद होगी NDRI की तकनीक

    By Anurag ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 18 Feb 2020 05:27 PM (IST)

    थर्मो इमेजिंग तकनीक से पशु की हीट मिस नहीं होगी। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में डाटा का अध्ययन किया जा रहा। इससे पशुपालकों को करोड़ों के नुकसान से बचाय जा सकेगा।

    करोड़ों के नुकसान से बचेंगे पशुपालक, पशु की हीट में फायदेमंद होगी NDRI की तकनीक

    पानीपत/करनाल, [प्रदीप शर्मा]। तकनीक के अभाव में अकसर पशुपालक पहचान नहीं पाते कि पशु हीट में है या नहीं। इससे उन्हें ब्यांत नुकसान झेलना पड़ता है। विज्ञानियों के शोध के मुताबिक एक हीट मिस होने से गाय या भैस के ब्यांत पर एक माह का अंतर बढ़ जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान(एनडीआरआइ) में थर्मो इमेजिंग पर शोध से हीट की गतिविधियों को आसानी से पहचाना जा सकेगा। पशुपालक आसानी से पहचान सकेगा कि पशु हीट में है, तो कृत्रिम गर्भाधान कब होना है। हालांकि अभी इस तकनीक के डाटा का अध्ययन किया जा रहा है। शुरुआती चरण में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। शोध सफल रहा तो देशभर के पशुपालकों का हर माह करोड़ों रुपये का नुकसान बच जाएगा।

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    हीट का जलवायु परिवर्तन से भी संबंध

    एनडीआरआइ में चल रहे शोध में सामने आया है कि हीट का संबंध जलवायु परिवर्तन से भी है। अपनी तरह के पहले शोध में परखा जा रहा है कि बढ़ते तापमान और प्रदूषण का मवेशियों पर कैसा असर पड़ेगा? 100 वर्ष में विश्व का तापमान 0.7 से लेकर 1.2 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ा है। जिस तरह से ग्रीन हाउस गैस बढ़ रही हैं, उससे तापमान तेजी से बढऩे की आशंका है। इसी समस्या का समाधान ढूंढऩे के मकसद से यह शोध चल रहा है।

    NDRI

    इसी चैंबर में किया जा रहा शोध। 

    ऐसे काम करती तकनीक

    सेंटर में दो क्लाइमेंट चेंबर बनाए गए हैं। भविष्य को आधार बनाकर कंप्यूटर से चेंबर का तापमान, प्रदूषण यानि कार्बन डाइआक्साइड का स्तर फिक्स किया गया। चेंबर में ऐसा वातावरण बनाया जाता है जैसा तापमान और प्रदूषण बढऩे के बाद भविष्य में होगा। फिर देखा जाता है कि पशु का व्यवहार क्या रहता है। पशु हीट में है या नहीं, उसकी थर्मो इमेजिंग से फोटो क्लिक होगी। यह पता चलते ही कृत्रिम गर्भाधान किया जाएगा।

    इसलिए किया जा रहा शोध

    जब 48 डिग्री से ऊपर चला जाए तो पशुपालक कैसे बचाव करेंगे?

    पशु हीट में आते ही पहचान हो सके, और समाधान भी किया जा सके।

    सीओटू का स्तर बढ़ रहा है, इससे पशुओं को कैसे बचाया जाए?

    जलवायु परिवर्तन के कारण पशुओं में हारमोन बदलाव कैसे रोकें? कोर्टीसोल हारमोन के कारण पशु तनाव में आ रहा है।

    प्रजनन प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ सकता है? पशु हीट में आता है लेकिन कन्सीव नहीं कर पाता? 

    एक हीट मिस होने से कितना नुकसान

    एक गाय या भैस यदि रोजाना 20 लीटर दूध देती है, तो हीट मिस करने पर एक माह के दूध का नुकसान होता है। लगभग एक माह में 20 हजार का आर्थिक नुकसान होता है। एक माह देरी से ब्यांत मिलने पर नुकसान अलग होता है। दूध उत्पादन में दुनिया में प्रथम स्थान रखने वाले भारत में विश्व की कुल संख्या का 15 फीसद गाय और 55 फीसद भैंस हैं। देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 53 फीसद भैंस, 43 फीसद गायों और तीन फीसद बकरियों से मिलता है। 

    एनडीआरआइ थर्मो इमेजिंग तकनीक पर काम कर रहा है। फिलहाल डाटा विश्लेषण किया जा रहा है। शोध सफल रहा तो थर्मो इमेजिंग तकनीक से पशुपालक आसानी से पता लगा सकेंगे कि पशु हीट में है या नहीं। तापमान बढ़ रहा है और प्रदूषण का स्तर भी। इनका असर पशुओं पर न पड़े, इसके लिए शोध कार्य जारी है। प्रयास जारी है ओर सफल भी होंगे। 

    डॉ. महेंद्र सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, एनडीआरआइ, करनाल।

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