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    जिंदा जल गए तीन लंगोटिया यार, अग्नि में बुझी पहचान; दोस्ती की डोर ने आखिरी सांस तक नहीं छोड़ा साथ

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 02:12 PM (IST)

    नारनौल के नीरपुर गांव में भीषण सड़क हादसे में तीन दोस्तों की दर्दनाक मौत हो गई। कार में आग लगने से शव बुरी तरह जल गए, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो गई। ...और पढ़ें

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    हादसे में जान गंवाने वाले तीनों दोस्तों की फाइल फोटो। जागरण

    विपिन कुमार, नारनौल। Narnaul Accident नारनौल शहर के गांव नीरपुर में बृहस्पतिवार को तीन लंगोटिया यारों की पहचान बुझ गई। एनएच-152डी पर हुए भीषण सड़क हादसे ने केवल तीन जिंदगियां नहीं छीनी, बल्कि पहचान, रिश्तों और रोजमर्रा की जिंदगियों को भी राख में बदल दिया।

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    आग की लपटें इतनी भयावह थीं कि कार सवार तीनों दोस्तों के शव पूरी तरह से जल चुके थे। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर हर्ष चौहान के अनुसार, तीनों शव कंप्लीट बर्न हो चुके थे। हालात ऐसे थे कि शारीरिक पहचान तक संभव नहीं हो सकी। मजबूरी में डॉक्टरों को तीनों के डीएनए सैंपल लेने पड़े, जिन्हें अब डीएनए जांच के लिए भेजा जाएगा, ताकि कानूनी तौर पर औपचारिक पहचान सुनिश्चित की जा सके।

    यह केवल एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि उस त्रासदी का प्रमाण थी, जिसमें इंसान की पहचान भी आग में गल जाती है। जिस दोस्ती को लोग चेहरे और नाम से जानते थे, उसे अब कागजों पर साबित करना पड़ेगा।

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    आग लगने से कार पूरी तरह जल गई। (जागरण)

    ग्रामीणों के अनुसार, राजकुमार यदुवंशी, रविदत्त उर्फ दारा सिंह और प्रवीण उर्फ पौमी लंगोटिया यार थे। तीनों की जिंदगी के रास्ते अलग थे, लेकिन मंजिलें और भरोसा साझा था। 47 वर्षीय प्रवीण गांव में ही रहता था, लेकिन रोजाना नारनौल से गुरुग्राम टैक्सी चलाने जाता था। रात हो या दिन, परिवार की जिम्मेदारी निभाने के लिए वह हर सुबह निकलता और देर रात लौटता था। गांव वाले कहते हैं कि मेहनत उसकी पहचान थी।

    रविदत्त उर्फ दारा सिंह नारनौल शहर के हुड्डा क्षेत्र में रहते थे। सुभाष पार्क के सामने उनका बड़ा कपड़े का शोरूम था। शहर में उन्हें एक सफल व्यापारी और मिलनसार व्यक्ति के रूप में जाना जाता था।

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    वहीं, पूर्व पार्षद और पेशे से एडवोकेट राजकुमार यदुवंशी गुरुग्राम कोर्ट में वकालत करते थे। कानून की समझ और साफ छवि के कारण वे समाज में सम्मानित थे। गांव नीरपुर से लेकर शहर तक उनकी अलग पहचान थी। तीनों की दोस्ती बचपन से थी।

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    लोग बताते हैं कि चाहे गांव का कोई काम हो या शहर की जरूरत, तीनों अक्सर साथ ही नजर आते थे। शायद इसी वजह से उस रात भी वे एक ही कार में थे। किसे पता था कि यह साथ आखिरी साबित होगा।

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