आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन रहा फरीदाबाद, पुलिस सुरक्षा पर उठे सवाल; पहले कब पकड़े गए आतंकी?
फरीदाबाद आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। हाल ही में डॉ. मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। पहले भी कई आतंकी यहां पकड़े जा चुके हैं, लेकिन पुलिस किराएदारों के सत्यापन को लेकर गंभीर नहीं है। डॉ. मुजम्मिल एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था, जिससे यूनिवर्सिटी प्रशासन भी संदेह के घेरे में है।
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अल्फ़लाह यूनिवर्सिटी में पिछले एक साल से पढ़ा रहा था डॉ मुजम्मिल।
सुशील भाटिया, फरीदाबाद। देश की राजधानी दिल्ली से सटा औद्योगिक जिला फरीदाबाद आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन रहा है। अब जिस आतंकवादी डॉ. मुजम्मिल को दिल्ली, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में दस दिन पूर्व पकड़ा है, वह पहली घटना नहीं है, जिसमें ठिकाने के तौर पर फरीदाबाद का नाम सामने आया है।
इससे पहले भी विभिन्न आतंकियों ने यहां पनाह ली है।और यह सब इसलिए हो रहा है कि पुलिस की ओर से किराएदारों व घरेलू सहायकों के सत्यापन के मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। पुलिस ने सब कुछ ऑनलाइन भरोसे छोड़ रखा है।
इसी वर्ष मार्च माह में पाली गांव में बांस रोड से एक खेत में ट्यूबवेल के कोठरे में रह रहे अब्दुल रहमान नामक आतंकवादी को पकड़ा गया था। गिरफ्तार आरोपित अब्दुल रहमान को पाली में ही हैंड ग्रेनड मुहैया कराए गए जाने की बात सामने आई थी।
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2006 में पकड़ा गया था पाकिस्तानी आतंकी अबू हमजा
एसटीएफ पलवल को इस बाबत गुजरात एटीएस की ओर से एक सूचना दी गई थी। एसटीएफ पलवल व एटीएस गुजरात ने तब संयुक्त कार्रवाई में अब्दुल रहमान नामक आतंकी को पाली के बांस रोड से काबू किया थ। उससे तब दो जिंदा हैंड ग्रेनेड बरामद हुए थे।यह आतंकवादी कई दिन से वहां शंकर नाम से रह रहा था।
इसके अलावा मई 2006 में पाकिस्तानी आतंकी अबू हमजा बल्लभगढ़ में जगदीश कॉलोनी से पकड़ा गया था। आतंकी यहां एक मकान में किराए पर रहा था। तब दिल्ली पुलिस ने छापेमारी कर वहां से तीन किलो आरडीएक्स सहित हथियारों का भारी जखीरा पकड़ा था।
वर्ष 2005 में नोएडा पुलिस ने आतंकी हनीफ को गिरफ्तार किया था।तब पूछताछ में बताया था कि हनीफ ने दो साल फरीदाबाद में रहकर अपना नेटवर्क चलाया था। उससे पहले अगस्त 2004 में बीएसएफ का पूर्व सिपाही बल्लभगढ़ स्टेशन से पकड़ा गय था। यह मेवात में रहकर आइएसआइ के लिए कार्य कर रहा था।
सत्यापन के प्रति उदासीन है पुलिस
पुलिस विभाग की ओर से किराएदार व घरेलू सहायकों के सत्यापन के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाती। पुलिस सारा काम आनलाइन की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ती है। पुलिस के अनुसार जो सत्यापन नहीं कराएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पर सच तो यह है कि ऑनलाइन सत्यापन के प्रति लोगों को लगातार जागरूक करने की कोई मुहिम चलाई गई हो या सत्यापन न कराने वालों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई की गई हो तो ऐसी कोई जानकारी भी पुलिस नहीं दे पाती। अगर पुलिस सत्यापन के प्रति गंभीर होती तो डॉ. मुजम्मिल जैसा एक और आतंकी यहां सुरक्षित पनाह न ले पाता।
अल्फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था मुजम्मिल
डॉ. मुजम्मिल अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता था। अब संदेह के घेरे में यूनिवर्सिटी प्रशासन भी है कि उसने कैसे एक आतंकवादी को अपने यहां नौकरी दी हुई थी। यहां यह भी बता दें कि धौज थाना क्षेत्र अतंर्गत जिस फतेहपुर तगा गांव में डा.मुजम्मिल ने सामान रखने के बहाने कमरा लिया था, वह मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है।
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