Panchayat 4 की मंजू देवी ने इंडस्ट्री के चुनाव से की तौबा, Neena Gupta ने बताया क्यों सब एक-दूसरे से जलते हैं
नीना गुप्ता पिछले महीने रिलीज हुई अमेजन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज पंचायत-4 में एक बार फिर से मंजू देवी का किरदार निभाकर छा गईं। हाल ही में एक्ट्रेस न ...और पढ़ें
जागरण न्यूजनेटवर्क, मुंबई। हालिया प्रदर्शित और चर्चित वेब सीरीज पंचायत सीजन 4 में ग्राम प्रधान मंजू देवी की भूमिका में अभिनेत्री नीना गुप्ता खूब राजनीतिक दांव पेंच खेलते नजर आईं।
जनता की सेवा, विरोधी पक्ष के समर्थकों को अपने पक्ष में करने की कोशिश और वोट के बदले लोगों को मुफ्त समोसे खिलाना, शो में वह कई चुनावी रणनीतियां बनाती दिखीं। हाल ही में एक्ट्रेस ने बताया कि एक्टर्स की कभी कोई युनियन क्यों नहीं बन सकती है।
इंडस्ट्री में कोई एकता नहीं है- नीना गुप्ता
नीना ने हाल ही में बताया कि वह सिनेमा इंडस्ट्री में किसी भी ऐसे चुनावी माहौल से दूर ही रहना चाहेंगी। उनका कहना है कि अगर ऐसा कोई चुनाव हुआ तो उसमें खड़ी ही नहीं होएंगी। एक्ट्रेस ने कहा,
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"इस इंडस्ट्री में कोई एकता नहीं है। खासकर कलाकारों के बीच, वह कभी एक नहीं हो सकते हैं।कलाकारों की युनियन पर अपनी राय देते हुए एक्ट्रेस ने आगे कहा, "सिनेमा इंडस्ट्री में मेकअप, लेखन, प्रोडक्शन समेत दूसरे टेक्निकल क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मियों की यूनियन हैं, लेकिन कलाकारों की कोई बड़ी यूनियन नहीं है, न कभी होगी। क्योंकि हम एक दूसरे से जलते हैं। अगर मैं किसी प्रोड्यूसर से बोलूं कि मैं आपके साथ काम नहीं करूंगी, आप बहुत कम पैसे दे रहे हैं, तो सामने खड़ी दूसरी अभिनेत्री कहेगी कि लाओ मैं तो मुफ्त में कर देती हूं। तो मैं इस इंडस्ट्री की क्या एकता बताऊं"।
Photo Credit- Instagram
दूसरों के हिसाब से चलने पर बहुत बार गिरी
पंचायत शो में एक पड़ाव में नीना की पात्र मंजू अपने पति बृजभूषण दुबे के हाथों से कमान अपने हाथों में लेती है। फिर सिर्फ अपने पति द्वारा लिए निर्णयों पर हस्ताक्षर करने के बजाय सचिव जी के साथ मिलकर अपने निर्णय स्वयं लेती है।
वह बताती हैं, "ऐसा बार-बार हुआ। अपने संघर्ष के दौर में मैं कई बार हारी। किसी ने कहा कि अपने हिसाब से चीजें नहीं हो सकती हैं, दूसरे के हिसाब से चलना पड़ता है। ऐसे में मैं बहुत बार गिरी। जब गिर-गिरकर उठना होता है, तो उसमें आपको अपने निर्णय स्वयं ही लेने पड़ते हैं। आपको खुद ही उठना होता है। कोई दूसरा उठाने नहीं आता है। ऐसा मेरे साथ कई बार हुआ कि जब लोगों ने मुझे अपने मन की चीजें नहीं करने दी, तब मैंने कहा कि आगे तो मैं यह अपने दम पर स्वयं ही करके दिखाऊंगी"।
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नीना की जिंदगी में भी ऐसा कई बार हुआ, जब उन्हें लगा कि उनकी जिंदगी की दिशा कोई दूसरा तय कर रहा है और अब स्वयं निर्णय लेने समय है।
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