अकेले पाकिस्तान से भिड़ने वाला वो वीर... Border 2 में दिखेगी इकलौते परमवीर चक्र से सम्मानित 'सेखों' की वीरता
हाल ही में बॉर्डर 2 (Border 2) से दिलजीत दोसांझ का लुक सामने आया जिसमें वह जेट से हवाई लड़ाई करते हुए दिखाई दिए। इस फिल्म में वह जिस रियल लाइफ हीरो का ...और पढ़ें

बॉर्डर 2 में दिखेगी 'सेखों' की वीरता। फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 'मुझे लगता है कि मुझे गोली लगी है। जी-मैन, आओ और उन्हें ले जाओ!" ये आखिरी शब्द थे, उस वीर की जो अकेले ही पाकिस्तान से भिड़ गया था। भारत की रक्षा करने के लिए इस वीर ने अपनी जान की परवाह भी नहीं की। उनकी वीरता के किस्से इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं जो अब जल्द ही बड़े पर्दे पर दिखाया जाएगा।
अनुराग सिंह के निर्देशन में बनने वाली फिल्म बॉर्डर 2 (Border 2) में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध (India-Pakistan War 1971) का मंजर दिखाया जाएगा। इस फिल्म में 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले उस वीर की कहानी दिखाई जाएगी जो इकलौते इंडियन फोर्स ऑफिसर हैं जिन्हें परमवीर चक्र (Only Indian Air Force Officer to Win Parav Vir Chakra) से सम्मानित किया गया है।
दिलजीत दोसांझ निभाएंगे सेखों का किरदार
यह आर्मी ऑफिसर थे निर्मल जीत सिंह सेखों (Nirmal Jit Singh Sekhon) जिसका किरदार बॉर्डर 2 में दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) निभाने जा रहे हैं। हाल ही में, बॉर्डर 2 से दिलजीत का एक पोस्टर शेयर किया गया जिसमें वह निर्मल जीत सिंह सेखों के किरदार में खूब जंच रहे थे। फिल्म को रिलीज होने में अभी समय है, लेकिन इस आर्टिकल में हम आपको सेखों की वीरता के बारे में बताने जा रहे हैं।
बचपन से एयर फोर्स ऑफिसर बनने का था ख्वाब
निर्मल जीत बचपन से ही एयर फोर्स ऑफिसर बनने का ख्वाब देखते थे और इसकी वजह उनके पिता थे जो खुद भी एक एयर फोर्स ऑफिसर थे। 17 जुलाई 1945 को पंजाब के रुरका कलां में जन्मे निर्मल जीत का ये ख्वाब साल 1967 में पूरा हुआ, जब वह IAF में शामिल हुए। वह IAF के मशहूर नंबर 18 स्क्वाड्रन-द फ्लाइंग बुलेट्स का हिस्सा बन गए, जो आसमान में अपनी बेमिसाल स्किल और हिम्मत के लिए मशहूर थे। उस वक्त वह महज 22 साल के थे।
भारत-पाक के युद्ध में निभाई अहम भूमिका
साल 1971 में जब भारत-पाक बॉर्डर जंग का मैदान बन गया, तो 18 स्क्वाड्रन को पाकिस्तान एयर फोर्स (PAF) के लगातार हमलों से श्रीनगर एयरफील्ड की रक्षा करने का काम सौंपा गया। निर्मल जीत इस एयर डिफेंस का हिस्सा थे। 14 दिसंबर 1971 को सर्दियों के कोहरे की आड़ में 1965 की लड़ाई के अनुभवी विंग कमांडर चंगाजी के नेतृत्व में छह PAF F-86 सेबर विमानों ने पेशावर से श्रीनगर एयरबेस पर बमबारी करने के लिए उड़ान भरी।
पाकिस्तान के खिलाफ सेखों ने लड़ी थी लड़ाई
उस समय वैली में कोई रडार नहीं था। सिर्फ पहाड़ियों पर बने ऑब्जर्वेशन पोस्ट ही बेस को चेतावनी दे सकते थे और उन्होंने सही समय पर ऐसा किया। 'ब्रदर' कहे जाने वाले निर्मल जीत और उनके दोस्त 'जी-मैन' घुम्मन ने अपने जेट भेजे। एक रेडियो मिसमैच की वजह से ATC से उनका कॉन्टैक्ट टूट गया, लेकिन वे और देर नहीं करना चाहते थे, इसलिए जैसे ही रनवे पर बम फटे, उन्होंने उड़ान भर ली। निर्मल ने सेबर्स को अपने पास से उड़ते हुए देखा, फिर तेज स्पीड से उनका पीछा करने के लिए मुड़े।
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चार PAF से भिड़ गए थे एयर फोर्स ऑफिसर
जैसे ही दुश्मन ने ड्रॉप टैंक फेंके और बम गिराने के लिए गोता लगाया, निर्मल जीत ने अपनी बंदूकों से तेज फायरिंग करके उनका पीछा किया। जब सेखों अपने सामने दो सेबर्स पर फायरिंग करने में बिज़ी थे, तब दो और सेबर्स उनके पीछे आ गए थे - एक IAF ग्नैट ने चार PAF सेबर्स का सामना किया। उन्होंने अकेले ही दो PAF सेबर्स को मार गिराया लेकिन हालात उनके खिलाफ थे। आखिरकार एक सेबर सेखों के Gnat को मारने में कामयाब रहा। 37 गोलियों ने प्लेन को चीर दिया, जिससे फ्लाइट कंट्रोल खराब हो गए।
इकलौते परमवीर चक्र से सम्मानित एयर फोर्स ऑफिसर
जैसे ही प्लेन बेकाबू होकर नीचे गिरा, निर्मल ने इजेक्ट करने की कोशिश की लेकिन इजेक्शन सिस्टम खराब हो गया था। 26 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हुए निर्मल जीत भले ही वापस नहीं आए लेकिन उनकी वीरता की कहानी अमर हो गई। वह इकलौते इंडियन एयर फोर्स ऑफिसर हैं जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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