सनी देओल के बाद Border 2 में दिलजीत दोसांझ के किरदार से भी उठा पर्दा, निभाएंगे ये अहम किरदार
साल 1977 में आई फिल्म बॉर्डर (Border) की अगली कड़ी बॉर्डर 2 (Border 2) का निर्देशन जेपी दत्ता की बेटी निधि दत्ता कर रही हैं। फिल्म 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध पर आधारित है। सनी देओल मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी की भूमिका में वापसी करेंगे। वहीं अब दिलजीत दोसांझ का रोल भी सामने आ चुका है।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। साल 1977 में जेपी दत्ता एक फिल्म लेकर आए थे जिसका नाम था बॉर्डर। फिल्म की कहानी 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राजस्थान के लोंगेवाला पोस्ट पर हुए एक ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है, जहां 120 भारतीय जवानों ने रात भर पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट का सामना किया।
अनुराग सिंह है फिल्म के निर्देशक
इस बार, जेपी दत्ता की बेटी निधि दत्ता, अनुराग सिंह के साथ मिलकर बॉर्डर 2 का निर्देशन कर रही हैं। यह एक रोमांचक युद्ध महाकाव्य है, जो 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध की ओर ले जाने वाली घटनाओं पर प्रकाश डालता है। एक ऐसा संघर्ष जिसने दक्षिण एशिया के मानचित्र को हमेशा के लिए बदल दिया।
यह भी पढ़ें- 36 साल की उम्र में भी बॉलीवुड में भटक रहा है इस हीरोइन का बेटा, अब जाकर Sunny Deol ने दी है मंजिल
सनी देओल ने निभाया है मेजर कुलदीप का रोल
इस मूवी से अपनी शानदार भूमिका में वापसी करते हुए, सनी देओल एक बार फिर मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी की भूमिका में नजर आएंगे, जो एक निडर कमांडर थे जिन्होंने बॉर्डर में अपने साहस से एक पीढ़ी को प्रेरित किया था। सूत्र बताते हैं कि सनीदेओल का यह किरदार दोनों फिल्मों के बीच एक सेतु का काम करेगा और इस गाथा की भावनात्मक और ऐतिहासिक निरंतरता को जोड़ेगा।
क्या है वीर बहादुर सेखो की कहानी?
इस मूवी में सनी देओल के अलावा वरुण धवन, दिलजीत दोसांझ और अहान शेट्टी भी नजर आएंगे। वहीं अब मूवी में दिलजीत के रोल से भी पर्दा उठ गया है। सीक्वल में दिलजीत भारत के सबसे सम्मानित युद्ध नायकों में से एक फ्लाइंग ऑफिसर निर्मल जीत सिंह सेखों का रोल निभाएंगे। जिनका 1971 के युद्ध में अपनी बेजोड़ बहादुरी के लिए सेखों को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
14 दिसंबर, 1971 को जब छह पाकिस्तानी सेबर जेट विमानों ने श्रीनगर एयरफ़ील्ड पर हमला किया तो सेखों, जो एक ग्नैट पायलट के रूप में तैनात थे ने भारी गोलाबारी के बीच उड़ान भरी। दुश्मन से हवा में ही भिड़ते हुए, उन्होंने एक सेबर जेट को नष्ट कर दिया और दूसरे को भारी नुकसान पहुंचाया। इससे पहले कि वे संख्या में कम पड़ जाते। भारी बाधाओं के बावजूद, सेखों ने अपनी आखिरी सांस तक अदम्य साहस और बलिदान के साथ अपने अड्डे की रक्षा की।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।