Celebs Birthday September: सितंबर में जन्मे सिनेमा की शान बढ़ाने वाले ये दिग्गज सितारे, मिली बेतहाशा शोहरत
भारतीय मनोरंजन जगत का आकाश अनमोल कलाकारों-फिल्मकारों से भरा हुआ है मगर संयोग यह है कि इनमें से कुछ सबसे चमकदार सितारे जन्मे सितंबर महीने में जन्मे। आज हम आपको बॉलीवुड के उन दिग्गज सितारों के बारे में बताने जा रहे हैं जो सितंबर महीने में जन्मे थे। जानिए इस लेख में।

अनंत विजय, नई दिल्ली। हमारे यहां विभिन्न कलाओं का कैनवस इतना बड़ा है कि वर्ष के हर महीने में इनसे जुड़े कलाकारों की जन्मतिथि या जयंती उनके स्मरण का अवसर देती हैं। भारतीय फिल्मों का इतिहास 100 वर्षों से अधिक का हो गया है। कई कलाकारों ने भारतीय फिल्मों में अपने हुनर से उसको
समृद्ध किया। हर महीने इन कलाकारों में से कइयों से जुड़ी घटनाएं, फिल्में, फिल्मों में उनके गाए गानों आदि की चर्चा होती है पर सितंबर ऐसा महीना है जिसमें कई दिग्गज कलाकारों की जन्मतिथि पड़ती है।
सितंबर में जन्मीं सिंगर्स ने इंडस्ट्री में रचा इतिहास
भारत रत्न लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का जन्म 28 सितंबर को हुआ। लता मंगेशकर बनने के लिए उन्होंने कई सालों तक तपस्या की। मुंबई (तब बॉम्बे) के नाना चौक इलाके के दो कमरे के छोटे से फ्लैट में मां और भाई-बहनों के साथ रहते हुए लता मंगेशकर ने न दिन देखा और न रात, बस एक ही
सपना देखा कि कैसे अपनी गायिकी को बेहतर करना है।
लता मंगेशकर कोई भी गाना गातीं तो अपने पिता मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की दी सीख याद रखतीं। पिता ने कहा था ‘गाते समय हमेशा ये सोचना कि तुमको अपने पिता या गुरु से बेहतर गाना है।’ लता ने इसको अपने जीवन में उतार लिया। अपनी गायिकी से वो उस ऊंचाई पर पहुंच गई जहां पहुंच पाना किसी के लिए आसान नहीं।
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लता मंगेशकर की छोटी बहन आशा भोसले का जन्म आठ सितंबर को हुआ था। लता मंगेशकर की लोकप्रियता के बीच उनके रूप में हिंदी फिल्मों की दुनिया में एक ऐसी आवाज आई जिसे संगीतकार राहुल देब बर्मन के हुनर ने वो ऊंचाई दे दी जो लंबे समय तक बनी रही। फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ में आशा भोसले और मोहम्मद रफी के गाए युगल गीत अमर हो गए। ‘ओ मेरे सोना रे सोना’ हो या ‘ऐ हसीना जुल्फों वाली’ हो या ‘आ जा आ जा मैं हूं प्यार तेरा’ को याद करिए, आज भी वेलेंटाइन डे पर ‘तीसरी मंजिल’ फिल्म के ये गीत अवश्य बजते हैं।
सितंबर में इन सुपरस्टार्स का हुआ जन्म
गीतों से अगर अभिनय की ओर बढ़ें तो सदाबहार अभिनेता देव आनंद (Dev Anand) का जन्म 26 सितंबर को हुआ। उनका सपना था कि वो प्रसिद्ध हों, इसलिए उन्होंने फिल्मों का रास्ता चुना। बॉम्बे आए, लेकिन फिल्मों में काम नहीं मिल पा रहा था। मिलिट्री सेंसर ऑफिस में नौकरी की। फिर
प्रभात स्टूडियो की एक फिल्म ‘हम एक हैं’ में काम मिला। फिल्म चली नहीं तो संघर्ष और बढ़ गया। इस फिल्म के दौरान उनकी दोस्ती कोरियोग्राफर गुरु दत्त से हो गई थी। एक दिन अचानक ट्रेन में उनकी मुलाकात अशोक कुमार से हुई। देव आनंद ने उनसे फिल्मों में काम मांगा।
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अशोक कुमार ने देव आनंद को बॉम्बे टॉकीज बुलाया। वहां निर्देशक शाहिद लतीफ ने देव आनंद को ये कहकर खारिज कर दिया कि वो चॉकलेटी दिखते हैं। अशोक कुमार अड़े रहे। देव आनंद को फिल्म ‘जिद्दी’ में काम मिला। उसके बाद की कहानी इतिहास में दर्ज है। एक समय राज कपूर, देव आनंद और दिलीप कुमार हिंदी फिल्मों पर राज करते थे। इसी दौर में देव आनंद की दोस्ती किशोर कुमार से हुई, जो आजीवन चलती रही।
हाल में हिंदी फिल्मों में 50 वर्ष पूर्ण करने वाली शबाना आजमी (Shabana Azmi) भी सितंबर में ही पैदा हुईं। कपूर खानदान के दो सितारे रणबीर कपूर (Ranbir Kapoor) और करीना कपूर (Kareena Kapoor) का जन्म भी सितंबर में हुआ। रणबीर कम फिल्में करते हैं, लेकिन दर्शकों को अपने अभिनय का कायल बना लेते हैं। करीना भी एक समय हिंदी फिल्मों में टॉप की अभिनेत्री थीं और ढाई दशक से अभिनय जगत में सक्रिय हैं।
अभिनेता अक्षय कुमार भी सितंबर में ही जन्मे। जब हिंदी फिल्मों में तीन खान अभिनेताओं का डंका बज रहा था तो उसके बीच अक्षय कुमार की फिल्मों की सफलता ने उनको सुपरस्टार बना दिया। अक्षय ने एक्शन से लेकर कॉमेडी फिल्मों तक में काम किया, जो दर्शकों को खूब भाया।
निर्देशकों ने भी छोड़ी अमिट छाप
सितंबर के इन सितारों में कुछ तो बात है जो इनको विशेष बनाती है। भारतीय फिल्मकारों में अगर हम बात करें दो फिल्म निर्देशकों हृषिकेश मुखर्जी और यश चोपड़ा की, तो वो भी सितंबर में ही जन्मे थे। आज दोनों हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इन दोनों ने हिंदी फिल्मों के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। बिमल राय जब कलकत्ता (अब कोलकाता) से बॉम्बे आए तो उनके साथ चार अन्य युवा भी मुंबई पहुंचे, उनमें से हृषिकेश मुखर्जी एक थे। बिमल राय के सहायक के तौर पर हिंदी फिल्मों में आए हृषिकेश मुखर्जी ने एक से एक श्रेष्ठ और लोकप्रिय फिल्में बनाईं।
उनकी निर्देशित फिल्म ‘आनंद’ ने अमिताभ बच्चन के अभिनय के नए आयाम से दर्शकों का परिचय करवाया। ‘गोलमाल’ और ‘मिली’ जैसी फिल्में मुखर्जी की फिल्म कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। लता मंगेशकर ने कहा भी था कि वी. शांताराम, गुरुदत्त और बिमल राय की परंपरा को हृषिकेश मुखर्जी ने आगे बढ़ाया। सितंबर के एक और सितारे हैं यश चोपड़ा।
यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘दीवार’ का निर्देशन किया, जहां से ‘एंग्री यंग मैन’ का युग आरंभ होता है, लेकिन यश चोपड़ा एक प्रयोगधर्मी निर्देशक थे। ‘एंग्री यंग मैन’ को गढ़ने के बाद उन्होंने जब ‘सिलसिला’ या ‘चांदनी’ बनाई तो उसमें प्यार का एक अलग ही रूप दर्शकों को देखने को मिला। यश चोपड़ा ने एक्शन फिल्में कीं तो उनमें भी अपनी छाप छोड़ी और जब रोमांस या लवस्टोरी को विषय बनाया तो दर्शकों को उनकी फिल्म से प्यार हो गया।
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