राजनीति का ककहरा इंदिरा जी से ही सीखा : सोनिया
कांग्र्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि वह साहस की प्रतिमूर्ति थीं और जनता का दुख-दर्द समझती थीं। उन्होंने कहा कि राजनीति की ककहरा उन्होंने अपनी सास इंदिराजी से ही सीखा।
इलाहाबाद (जेएनएन)। स्व. इंदिरा गांधी के जन्म शताब्दी के तहत स्वराज भवन में आयोजित चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करने पहुंची कांग्र्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को यहां कहा कि वह साहस की प्रतिमूर्ति थीं और जनता का दुख-दर्द समझती थीं। उन्होंने कहा कि राजनीति की ककहरा उन्होंने अपनी सास इंदिराजी से ही सीखा। इस अवसर पर अपने पुश्तैनी घर में परिवार की पांचवी पीढ़ी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी पहुंचे। इस दौरान स्वराज भवन से बाहर कांग्र्रेसियों की भीड़ जमा रही।
जन्म शताब्दी के तहत स्वराज भवन में इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की तरफ से उनके जीवन पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई हैं। यह पहला अवसर था जबकि सोनिया, राहुल और प्रियंका एक साथ यहां मौजूद रहे। उद्घाटन अवसर पर शहर के तमाम बुद्धिजीवियों, विशिष्ट लोगों और पार्टी के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इंदिराजी बहुत संवेदनशील थीं। वह इसी आनंद भवन में पली-बढ़ीं और यहीं उनका विवाह हुआ। शहादत के बाद उनकी अस्थियों को भी इसी आनंद भवन में लाया गया था।
वह उनकी मां जैसी थीं। सोनिया ने उनके साथ बिताए पलों को साझा करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय संस्कृति का जो भी ज्ञान मिला, वह उन्हीं की देन है। चर्चा में बीच-बीच भावुक हुईं सोनिया ने प्रधानमंत्री के तौर पर इंदिराजी द्वारा उठाए गए निर्णायक कदमों का भी जिक्र किया। कहा कि विदेश नीति, युद्ध और आतंकवाद की गंभीर चुनौतियों का उन्होंने डटकर मुकाबला किया। शहादत के एक दिन पहले उनका कहा यह वाक्य कि 'उनके रक्त का एक-एक कतरा देश के काम आएगा आज भी देश को झकझोर देता है।
इससे पहले कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सोनिया और प्रियंका पहले पहुंची। कार्यक्रम शुरू होने के ठीक पहले राहुल गांधी पहुंचे। संबोधन से पहले सोनिया ने कानपुर के भीषण रेल हादसे में जान गंवाने वालों के लिए संवेदना भी व्यक्त की। संबोधन के दौरान उन्होंने किसी भी राजनीतिक टिप्पणी से परहेज किया। इससे पहले उन्होंने और राहुल व प्रियंका चित्र प्रदर्शनी को देखा।
अजान होते ही खामोश हुईं सोनिया
कांग्र्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का संबोधन चल ही रहा था कि बगल की मस्जिद से अजान सुनाई दी। इस पर वह मौन हो गईं और तुरंत अपने सिर पर पल्लू रख लिया। अजान खत्म होने के बाद उन्होंने अपना भाषण शुरू किया।
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