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Exclusive Interview: पीएम मोदी ने कहा- मैं कभी दबाव में कोई काम नहीं करता

मैं आपको बता दूं कि हमें चुनाव के बाद किसी की जरूरत नहीं होगी। भाजपा भी पहले से ज्यादा संख्या मे आएगी और राजग के दूसरे साथी भी पहले से ज्यादा मजबूत होंगे।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 12:40 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 11:10 AM (IST)
Exclusive Interview: पीएम मोदी ने कहा- मैं कभी दबाव में कोई काम नहीं करता
Exclusive Interview: पीएम मोदी ने कहा- मैं कभी दबाव में कोई काम नहीं करता

नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक प्रशांत मिश्र, संपादक, उत्तर प्रदेश आशुतोष शुक्ल और राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से लंबी बात की। मुख्य अंश :

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 - लेकिन एक छवि निश्चित तौर पर रही है कि मोदी कभी दबाव में काम नहीं करते हैं। लेकिन, जिस तरह हाल के दिनों मे पीएम किसान योजना, टैक्स मे छूट या फिर किसानों, व्यापारियों के लिए पेंशन आदि की घोषणा की गई है तो यह चुनाव के दबाव में नहीं?

जी नहीं। एक बार चीन से होते हुए बराक ओबामा यहां आए थे। वहां ग्लोबल वार्मिंग को लेकर कुछ लक्ष्य तय हुए थे। चीन से उस पर सहमति दे दी थी। मुझसे पूछा गया था कि क्या मोदी जी आप भी दबाव में आ गए..। मैंने कहा था कि मोदी कभी दबाव में कोई काम नहीं करता है। हां एक दबाव है- फ्यूचर जनरेशन का। तीन पीढ़ी बाद जो बच्चा पैदा होगा वह पूछेगा कि पर्यावरण के लिए हमने क्या किया? हम उन्हें अच्छी जिंदगी देना चाहते हैं। हमारा मकसद होना चाहिए कि समाज और देश सबल हो। और इसलिए मेरे जितने फैसले हुए हैं उसमें मूलत: यह ध्यान रखा गया है कि समाज का हर वर्ग सबल हो, मजबूत हो।

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- क्या आप टीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस को भी भविष्य के साथी के रूप मे देख रहे हैं?

मैं आपको बता दूं कि हमें चुनाव के बाद किसी की जरूरत नहीं होगी। भाजपा भी पहले से ज्यादा संख्या मे आएगी और राजग के दूसरे साथी भी पहले से ज्यादा मजबूत होंगे। हमारी टोटल टैली पहले से बढ़ेगी। इसलिए जहां तक सरकार बनाने की बात है हमें बाहर के कसी समर्थन की जरूरत नहीं होगी। लेकिन मैं हमेशा इस मत का रहा हूं कि सरकार चलाने के लिए भले भी बहुमत चाहिए, देश चलाने के लिए सर्वमत होना चाहिए। ऐसे मे हमारा घोर विरोधी भी चाहे वह एक भी सीट जीतकर न आया हो, मैं सबको साथ लेकर चलना चाहता हूं।

- आपकी महत्वाकांक्षी आदर्श ग्राम योजना और एक बार में तीन तलाक परवान नहीं चढ़ पाई।

यह समझना जरूरी है कि आदर्श ग्राम योजना सरकार का कोई कार्यक्रम नहीं था। यह सांसदों से मेरी प्रार्थना थी कि गांव को पहचानो, वहां काम करो तभी संसद में भी गांव का समस्या को सही तरीके से उठा सकोगे। जब काम करना शुरू करोगे तो अपने अनुभव से बताओगे कि कहां कठिनाई आ रही है। जैसे स्वच्छता सरकार के कार्यक्रम की बजाय जनआंदोलन है। उसे सरकार के कार्यक्रम के रूप में मत देखिए। जहां तक तीन तलाक का सवाल है तो इसका जवाब तो कांग्रेस को देना चाहिए। यह तो महिलाओं को हक दिलाने के लिए है। उन्हें बराबरी का हक देने के लिए है। कांग्रेस बताएं कि क्या उन्हें न्याय देंगे।

- ऐसी कोई योजना जिसे लेकर कसक रह गई हो?

देखिए मैं इसलिए काम कर पा रहां हूं क्योंकि मैं कसक को मरने नहीं देता हूं। मै तो इसे दाना पानी डालता रहा हूं। यह कसक ही है जो मुझे दौड़ाती है। और यह कसक हर किसी के अंदर रहनी चाहिए। सुख चैन की जिंदगी में फंस गए तो प्रगति नहीं हो सकती है।

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-370 और 35 ए को लेकर इस बार घोषणा पत्र में फिर से बात की गई है। पार्टी का इसे लेकर रुख कंडीशनल या अनकंडीशनल है।

पहली बात यह है कि यह भाजपा का कमिटमेंट है। उसको करने के जो रास्ते हैं, वह संविधान ने जो निर्धारित किए है, वही है। ऐसे में मुझे संविधान के रास्ते से जाना पड़ेगा। संविधान के रास्ते में जो भी नियम होंगे, उनका पालन करना होगा। उनमें क्या कंडीशन है, उसे आप कंडीशन से जोड़ सकते है। जहां तक बीजेपी का सवाल है, वह हमारा कमिटमेंट है। राम मंदिर और धारा-370 जैसे मुद्दों को लेकर वोटर्स कह रहे है, कि सरकार के पास पांच साल का समय था, लेकिन कुछ हुआ नहीं, हालांकि यह वह लोग है, जिन्हें इसके पीछे के तकनीकी पक्षों की जानकारी नहीं है। आपको हमारी मदद करनी चाहिए, ऐसी टेक्नीकल चीजों को समझाना चाहिए।

-हाल ही के दिनों में राज्यों के साथ कटुता काफी बढ़ गई है। खासकर पश्चिम बंगाल में जिस तरीके से हुआ। ममता बनर्जी ने किया। आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू ने किया। इसे कैसे देखते है।

जहां तक सरकार का सवाल है। सरकार ने सभी राज्यों को साथ लेकर चलने में पहले की तुलना में काफी अच्छा किया है। मै मुख्यमंत्री रख कर आया हूं। ऐसे में मुझे अच्छी तरह से पता है कि देश चलाना है, तो राज्यों को मजबूत करना बेहद जरूरी है। एक मुख्यमंत्री के नाते में मेरा अनुभव है। इसके कारण मै यह कह सकता हूं, कि राज्यों को जितनी ताकत मिल सकती थी, वह मैने दी है। जो विरोध हो रहा है, वह राजनीतिक है। राज्यों के हितों के साथ कोई टकराव नहीं है।

- यूपी के मुख्यमंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा था कि चुनावी लड़ाई 80 बनाम 20 कीं है। आप की राय?

ऐसा है कि मायावती जी ने अभी जो उत्तर प्रदेश में बोला है, उसी की चर्चा कर ले देश।

- पार्टी से जुड़ा एक सवाल है। एक फैसला होता है, कि 75 प्लस को पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। इस बार जिस तरीके से टिकट का बंटवारा हुआ, उससे लगता है, कि 75 प्लस को चुनाव मैदान में भी उतरने से रोक दिया गया। क्या यह नीतिगत फैसला हो गया है।

ऐसा है कि जब नानाजी देशमुख जनसंघ के समय में का म करते थे, उस समय यह फैसला लिया गया था। उस समय साठ साल तक ही सक्रिय राजनीति में रहने की सीमा तय की गई थी। तब खुद नानाजी देखमुख ने साठ साल में सक्रिय राजनीति छोड दी थी। अब स्थिति बदल गई है। साठ तो कम होती है, लेकिन अब इसे 75 तक करने का पार्टी का विचार बना है। इसके अमल की कोशिश हमारे कार्यकर्ता भी कर रहे है। जैसे –जैसे 75 होते जा रहे है, वह खुद ही पद छोड रहे है। गुजरात के मुख्यमंत्री आनंदीबेन ने भी किया था। 75 होने पर छोड़ दिया।

कलराज मिश्रा ने भी किया। इस बार भी हमारे खंडुरी जी हो, शांता कुमार जी हो। ऐसे कई वरिष्ठ नेता है। लेकिन इसका मतलत यह नहीं, कि उनका कोई योगदान कम है। पार्टी में वो उस जगह पर नहीं है, कि उन्हें पद की जरुरत है। अब जैसे अटल जी। उसके पास कोई पद ही नहीं था। पर अटल जी हमारे लिए सर्वेसर्वा थे। जो वरिष्ठ लोग है, वह पद नहीं चाहते हैं। उनका कद पद के कारण नहीं है। वह किसी पद पर नहीं तो इससे उनका योगदान कम नहीं हो जाता है। उनकी तपस्या हमारे लिए हमेशा प्रेरणा रहेगी।

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