Exclusive Interview: गरीबों के नाम पर हमने राजनीति नहीं की, काम किया: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि पांच साल का हमारा ट्रैक रिकार्ड साबित करता है कि निर्णय करने में हम कभी पीछे नहीं रहे।
नई दिल्ली (जेएनएन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्टवक्ता हैं और किंतु परंतु की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते। बड़ी साफगोई से कहते हैं कि वह किसी दबाव को नहीं मानते। यह भी कहते हैं कि जब पहली सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो देश विदेश सबको समझ में आ गया कि यह कितनी दृढ़ सरकार है और जो 26 11 जैसी घटना होने के बाद खामोश नहीं बैठ सकती। 2014 में उनके सत्तारूढ़ होने के बाद से ही राष्ट्रवाद पर बहस छिड़ गई। उन पर संकुचित दृष्टिकोण अपनाने का आरोप लगा लेकिन, मोदी ने अब इस बहस को नई दिशा दे दी है। वह कहते हैं कि केवल पाकिस्तान की बात करने को ही लोग भला राष्ट्रवाद क्यों मान लेते हैं। गरीबों, किसानों और महिलाओं के हित की बात करना भी तो राष्ट्रवाद है। वह प्रश्न पूछते हैं कि लोग इस तरह क्यों नहीं सोचते। उन्हें लगता है कि लोगों का नजरिया व्यापक नहीं। उनका मानना है कि भाषा की शालीनता के साथ जीवन में हास्य होना भी बहुत आवश्यक है। मोदी को आश्चर्य भी होता है और खेद भी कि सामाजिक जीवन में विनोद का लोप हुआ है। सोमवार को प्रधानमंत्री ने दैनिक जागरण के वरिष्ठ कार्यकारी संपादक प्रशांत मिश्र, संपादक, उत्तर प्रदेश आशुतोष शुक्ल और राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से लंबी बात की। मुख्य अंश :
-आप 2014 के चुनाव से इस चुनाव को अलग कैसे देख रहे हैं?
2014 में देश के मतदाताओं के लिए मोदी नया था। उस समय मतदाता निराशा के गर्त में डूबे हुए थे। घोटाले दर घोटाले की खबरों से वोटर तंग आ गया था। पूरा देश तंग था। वो इस सबसे मुक्ति चाहता था। फिर मैं आया। मेरे पास कुल जमा गुजरात का अनुभव था। उसकी सुवास देशभर में पहुंची हुई थी। उसके आधार पर लोगों ने भाजपा और मुझ पर भरोसा जताया। दूसरे, देश तीस साल की मिलीजुली सरकार से नुकसान उठा चुका था। लोग आजिज आ गए थे। देश पूर्ण बहुमत की सरकार चाहता था। इसी का नतीजा है कि भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। पांच साल का हमारा ट्रैक रिकार्ड साबित करता है कि निर्णय करने में हम कभी पीछे नहीं रहे। गरीबों के नाम पर हमने राजनीति नहीं की लेकिन सबसे ज्यादा गरीबों को ताकतवर बनाने के लिए हमने काम किया।
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उन्हें घर देना हो, गैस का चूल्हा देना हो, गरीबों के घर में बिजली कनेक्शन देना हो, शिक्षा का वजीफा देना हो, आयुष्मान भारत योजना लाकर सबको स्वास्थ्य की सुविधा देनी हो, हमारी सरकार ने दी। हमारी सोच विकास की रही है, जितना ध्यान हमने सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर दिया, उतना ही फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर दिया। इसलिए जो समाज का प्रबुद्ध वर्ग है, जो दूर की सोचता है, मिडिल क्लास है, ये लोग किसी के आगे हाथ पसारने वाले लोग नहीं हैं। इस समय पढ़े लिखे मतदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। रोड, रेल और हवाईअड्डे बन रहे हैं और यही लोगों को अपील कर रहा है। देश के हर भूभाग, हर वर्ग के लिए हमने काम किया। हमारे कार्य प्रदर्शन के आधार पर लोग वोट करेंगे। पहली बार देश में प्रो- इनकंबैंसी वेव चल रही है। आप देखियेगा यह बहुत बड़ा परिणाम लाएगी।
-कांग्रेस न्याय योजना लेकर आई है। भाजपा इसे कितनी बड़ी चुनौती मानती है?
पहली बात तो यह है कि देश की जनता और मीडिया को यह बात निष्पक्षता से कहनी चाहिए कि कांग्रेस ने जाने अनजाने में स्वीकार किया है कि उन्होंने 60 साल के शासनकाल में कुछ नहीं किया है, बल्कि अन्याय ही अन्याय किया। वह अपने इस अन्याय के पाप धोने की अब कोशिश कर रहे हैं तो सबसे पहले देश का सिख न्याय मांगेगा कि हमें 1984 के दंगे में न्याय दीजिए। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का नौजवान न्याय मांगेगा कि उसे आपने जो बेरोजगारी का भत्ता देने को कहा था, वो दीजिए। सबसे पहले कर्नाटक व पंजाब के साथ तीन राज्यों का किसान कर्ज मांफी का न्याय मांगेगा। कर्ज माफी तो नहीं मिली, वारंट अलग से आ गये। बैंक ने नया कर्ज देने से मना कर दिया। देश का हर व्यक्ति न्याय मांगेगा। 60 साल के अन्याय का न्याय देंगे क्या कांग्रेस वाले।
-कांग्रेस ने 22 लाख को रोजगार देने का वादा किया है
कभी कभी चुनाव घोषणा पत्र में पता चल जाता है कि जीतने वाली पार्टी कौन सी है और हारने वाली कौन सी है। दुख यह है कि 60 साल तक सरकार में रही पार्टी जिसे सरकार के संसाधानों का ज्ञान है, रीति नीति सबका पता है लेकिन, ऐसी पार्टी जब लुभावने वायदों को रास्ते पर चल पड़ी तो मतलब है कि पराजय से बचने के लिए वह छटपटा रही है।
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-कांग्रेस अपने चुनाव घोषणा पत्र में देशद्रोह की धारा व अफस्पा जैसे कानूनों को हटाने की बात कर रही है। इसे आप कैसे देख रहे हैं?
भारत का कोई भी नागरिक देश की सुरक्षा के साथ इस प्रकार के खिलवाड़ को सहन नहीं कर सकता। कांग्रेस की इस पहल को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। जो भाषा हमेशा पाकिस्तान बोलता है, कांग्रेस ने उसे अपने ही मेनिफेस्टो से एक प्रकार से मान्यता दे दी है। पाकिस्तान यही तो कहता है कि वहां का लोकतंत्र तो नाम मात्र का है, वहां की सरकार को फौज चला रही है। कांग्रेस ने तो भारत के किये कराये पर पानी फेर दिया। उन्होंने तो अफस्पा हटाने की बात कही है।
सेना के जवानों को हम सुरक्षा नहीं देंगे तो उनके खिलाफ कोई भी एफआईआर कर देगा। पाकिस्तान को आतंकवाद की घटनाएं करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह तो यही चाहता है। वह कुछ महिलाओं को पैसा देकर सेना के जवानों पर एफआईआर करा देगा। हमारी सेना को हतोत्साहित करके आतंकवादियों को खुला मैदान देना चाहते हैं क्या। इससे बड़ा कोई अपराध नहीं होगा, जो कांग्रेस करने जा रही है या करने की कोशिश कर रही।
-राहुल गांधी अमेठी के साथ केरल के वायनाड से भी लड़ रहे हैं। क्या आप भी बनारस के अलावा कहीं और से लड़ेंगे?
जहां तक नरेंद्र मोदी का सवाल है तो मूलत: मैं संगठन का व्यक्ति रहा हूं। संगठन का काम करता था। आप लोगों से भी तब अशोक रोड के कार्यालय में मिला करता था। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे चुनावी राजनीति में आना पड़ेगा। लेकिन भाजपा ने तय किया तो मुख्यमंत्री का दायित्व मिला। एमएलए का चुनाव लड़ा। फिर लोकसभा का चुनाव आया। मेरे बारे में सारा निर्णय संगठन करता है। मैं इस बारे में माइंड अप्लाई नहीं करता। पार्टी जो तय करेगी, वही होगा।
-राहुल को वायनाड क्यों जाना पड़ा?
इसका जवाब तो वही दे सकते हैं। उनकी मजबूरी होगी।
-इस बार पूरा चुनाव एक मुद्दे पर हो हो रहा है-मोदी लाओ-मोदी हटाओ। आपका यह विरोध राजनीतिक है, या सांस्कृतिक व सामाजिक?
मोदी हटाओ उनकी मजबूरी है क्योंकि उनके पास देश को देने के लिए न विजन है ,न नीति है और न नेता है। न उनमें किसी भी दल की देशव्यापी प्रजेंस है। सब टुकड़ों में बिखरे हैं। मोदी पर आरोप लगाने के लिए उनके पास कोई विशेष मुद्दा नहीं है। इसलिए उन्हें मोटी मोटी बातें करनी पड़ती है। उनके भीतर ही इतने विवाद हैं कि वे एक हो ही नहीं सकते। हां, केवल मोदी के मुद्दे पर सभी एकजुट हो जाएंगे। मेरे नाम पर उन्हें एक प्लेटफार्म मिल जाता है। उनके भेद दिखाई न दें इसलिए मोदी को निशाना बनाते हैं। चंद्राबाबू नायडू और कांग्रेस आंध्र में लड़ रहे हैं लेकिन तेलंगाना में एक साथ है। देश की जनता के मन में सवाल उठता है कि यह क्या तरीका है।