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    जानिये- Naresh Tikait यूपी गेट पर आकर क्यों हुए मायूस, उड़ गई BKU के बाकी नेताओं की भी नींद

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Mon, 05 Apr 2021 09:43 AM (IST)

    Naresh Tikait At UP Border किसानों के आंदोलन का रविवार को 129वां दिन था लेकिन चारों ही बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों की तेजी से घ ...और पढ़ें

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    भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश टिकैत की फाइल फोटो।

    नई दिल्ली/गाजियाबाद [अवनीश मिश्र]। दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (शाहजहांपुर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर) पर पंजाब, यूपी, राजस्थान और हरियाणा के किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है। किसानों के आंदोलन का रविवार को 129वां दिन था, लेकिन चारों ही बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शनकारियों की तेजी से घटती संख्या ने संयुक्त किसान मोर्चा के साथ भारतीय किसान यूनियन के नेताओं की नींद भी उड़ा दी है।

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    प्रदर्शनकारियों की घटती संख्या से मायूस हुए नेता

    तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-यूपी बॉर्डर (यूपी गेट) पर भी 28 नवंबर से चल रहे धरना-प्रदर्शन में घटती प्रदर्शनकारियों की संख्या से उनके नेता मायूस हो गए हैं। रविवार को यहां हुई पंचायत में मंचासीन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश टिकैत (Naresh Tikait, National Spokesperson of Bharatiya Kisan Union) सहित सभी नेताओं के चेहरे उतरे रहे। यहां मौजूद नेताओं में यह निराशा साफ दिखाई दे रही थी कि घटती किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या कहीं इस आंदोलन की विफलता की शुरुआत तो नहीं है?

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    रविवार को हुई पंचायत में भी नहीं जुटी भीड़

    प्रदर्शन को लेकर आशंकाएं और चिंता उनके चेहरों पर साफ दिखी। रविवार को हुई पंचायत में भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत की मौजूदगी के बावजूद किसानों की भीड़ नहीं जुटी। इस दौरान मात्र हजार-बारह सौ की भीड़ रही। इसमें ज्यादातर पंचायत चुनाव के फायदे की संभावना लेकर पहुंचे। ऐसी स्थिति में नेता प्रदर्शन कितने दिन और कैसे चलेगा? इसको लेकर चिंतित दिखे।

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    18 मार्च की महापंचायत में जुटी थी भीड़

    इससे पहले तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर 18 मार्च को दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की महापंयाचत में भारी भीड़ जुटी थी। इस भीड़ को देखकर महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा था कि केंद्र सरकार किसानों में दो फाड़ कराना चाहती है। इसके लिए केंद्र सरकार हर वह नीति अपना रही है, जिससे इस धरने को कमजोर किया जा सके।

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    उन्होंने प्रदर्शनकारियों से एकजुट होकर धरने को सफल बनाने की अपील की थी। नरेश टिकैत 18 मार्च को यूपी गेट स्थित धरनास्थल पर आए थे। इस दौरान उन्होंने खाप के साथ पंचायत भी की थी। उन्होंने कहा था कि जो लोग आड़े वक्त में साथ छोड़ गए थे, हम उनसे भी गुजारिश करते हैं कि वह भी धरने में शामिल हों। कल ऐसा ना हो की इतिहास उन्हें गलत तरीके से देखे।

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    लाखों की भीड़ सिमटी सैकड़ों में

    बता दें कि 28 नवंबर, 2020 को जब तीनों केंद्रीय कृषि बिलों के खिलाफ धरना प्रदर्शन शुरू हुआ तो चारों बॉर्डर (टीकरी, सिंघु, शाहजहांपुर और गाजीपुर) पर लाखों किसानों की भीड़ जुटी हुई थी। वहीं, 26 जनवरी को दिल्ली में लाल किला पर हुई हिंसा के बाद किसानों की भीड़ घटने लगी। अब तो आलम यह है कि किसी-किसी बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या सिर्फ 200 की संख्या तक आ गई है।

    अब तो भीड़ भी नहीं जुटी पा रहे किसान नेता

    यूपी गेट की ही बात करें तो यहां पर जब भी भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता आते थे तो किसान प्रदर्शनकारियों में इजाफा हो जाया करता था। वहीं, अब बड़े नेता भी भीड़ जुटाने में सक्षम नहीं नजर आते हैं। इसका ताजा नमूना रविवार को यूपी गेट पर हुई पंचायत में देखने को मिला। इस पंचायत में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत भी पहुंचे, लेकिन भीड़ नदारद रही।

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    भीड़ घटने के पीछे किसान नेताओं के दावे नहीं होने वाले हजम

    चारों बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारियों की घटती संख्या के पीछे बार-बार यह दावा किया जा रहा है कि किसान गेहूं की फसल काटने में व्यस्त हैं, लेकिन यह बात हजम होने वाली नहीं है।

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