ईडी के मनमाने रवैये पर दिल्ली हाई कोर्ट का सख्त रुख, 641 करोड़ की ठगी में तीन आरोपितों को जमानत दी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीन सह-आरोपियों को जमानत देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रवैये पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार न करना मनमाना है। आरोपितों पर फर्जी निवेश योजनाओं के माध्यम से 641 करोड़ रुपये ठगने का आरोप है। अदालत ने समानता के आधार पर जमानत दी क्योंकि मुख्य आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया था।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। मनी लांड्रिंग मामले में तीन सह-आरोपितों को जमानत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि गंभीर भूमिका वाले मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार न करने का प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का रवैया स्पष्ट रूप से मनमाना है।
लोगों से 641 करोड़ रुपये ठगे
न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं से भी गंभीर भूमिका वाले एक आरोपित को गिरफ्तार न करने का एजेंसी द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण के कारण आवेदकों को समानता के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। इसके साथ कोर्ट ने आरोपित विपिन यादव, अजय और राकेश करवा को जमानत दे दी। आरोप है कि आरोपितों ने अन्य लोगों के साथ मिलकर फर्जी निवेश स्किम, झूठी नौकरियों और इसी तरह की अन्य गतिविधियों के नाम पर लोगों से 641 करोड़ रुपये ठगे।
बना रखा था प्रबंधन का जाल
सीबीआई की जांच से पता चला कि 937 बैंक खातों में से 12 बैंक खातों का प्रबंधन, संचालन और नियंत्रण आवेदकों सहित व्यक्तियों के एक गिरोह द्वारा किया जा रहा था, जिनके विरुद्ध राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर धोखाधड़ी से संबंधित 16 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। जांच में यह भी पता चला था कि आरोपित अजय और विपिन यादव तथा उनके सहयोगी नई दिल्ली से काम कर रहे थे और उन्होंने सामूहिक रूप से संस्थाओं का एक जाल बनाया था। इसका प्रबंधन, संचालन और नियंत्रण उनके द्वारा पेपैल वाॅयलेट पर रुपये डालने से संबंधित विभिन्न लेनदेन करने के लिए किया जाता था।
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आपराधिक आय में कोई भूमिका नहीं
बैंक खातों की जांच से पता चला कि अपराध की 248.48 करोड़ रुपये की आय में से लगभग 50.91 करोड़ रुपये की राशि सह-आरोपित रोहित अग्रवाल के बैंक खातों में स्थानांतरित की गई थी। जिसने, इसे आगे याची विपिन यादव और अजय द्वारा प्रबंधित और नियंत्रित संस्थाओं के बैंक खातों में धनराशि स्थानांतरित की। यह भी सामने आया कि उक्त आरोपितों ने मुख्य आरोपी रोहित अग्रवाल और राकेश करवा सहित अन्य लोगों से धन प्राप्त किया था। वहीं, याचिकाकर्ता आरोपितों का तर्क था कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया था और अपराध की आय के सृजन में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
सुबूत बताकर जांच में पूरा सहयोग दिया
आरोपितों ने तर्क दिया कि ईडी को यह तय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि किन आरोपितों को गिरफ्तार किया जाए और जांच की जाए। यह भी तर्क दिया कि रोहित अग्रवाल को आज तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। वहीं, ईडी ने तर्क दिया कि आरोपित रोहित अग्रवाल ने स्वेच्छा से अपने बैंक खाते, क्रिप्टोकरेंसी वालेट, मनी लांड्रिंग के तरीके, केवाईसी और अन्य लेन-देन के सुबूत बताकर जांच में पूरा सहयोग दिया।
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राकेश और रोहित की भूमिका एकसमान
हालांकि, याचिकाकर्ताओं को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया मुख्य आरोपित रोहित पर संगठित अपराध सिंडिकेट द्वारा अपराध की आय के संग्रह में शामिल होने का आरोप है। वहीं, याचिकाकर्ता आरोपित राकेश की भूमिका को रोहित के समान ही कहा जा सकता है। इसके बावजूद राकेश को गिरफ्तार किया जा चुका है और रोहित को गिरफ्तार किए बगैर 25 जनवरी 2025 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
अपराध करने की संभावना नहीं
पीठ ने कहा कि सह-आरोपितों की भूमिका काे राेहित से ज्यादा गंभीर नहीं कहा जा सकता है क्योंकि ईडी का कहना था कि अधिकांश धनराशि उसी से आई थी। इतना ही नहीं अपराध की जांच अभी पूरी नहीं हुई है और मामला अभी भी संज्ञान के चरण में है, जबकि अजय और विपिन को 29 नवंबर 2024 को और राकेश को 29 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का अपराध का कोई पूर्व रिकाॅर्ड नहीं है और जमानत देने पर उनके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।
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