दिल्ली HC ने महुआ मोइत्रा की याचिका की खारिज, पूछा-कहां लिखा है कि शिकायतकर्ता को नहीं सुन सकते
दिल्ली हाई कोर्ट ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को लोकपाल सुनवाई में शामिल होने से रोकने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता को सुनने से रोकने का कोई नियम नहीं है। मोइत्रा ने दुबे पर गोपनीयता भंग करने का आरोप लगाया था। यह मामला रुपये लेकर संसद में सवाल पूछने के विवाद से जुड़ा है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को लोकपाल की सुनवाई में शामिल होने से रोकने की मांग की थी। कोर्ट ने तल्ख लहजे में पूछा कि ऐसा कहां लिखा है कि सुनवाई में किसी का पक्ष न सुना जाए।
लोकपाल के समक्ष आवेदन
न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने मोइत्रा की यह मांग ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि कहां लिखा है कि शिकायतकर्ता को नहीं सुना जा सकता है। अगर अभी हम आदेश देंगे तो इसका मतलब होगा कि हम यह मान रहे हैं कि निशिकांत दुबे ने ही जानकारी लीक की है। पीठ ने यह भी कहा कि इस स्तर पर कोई आदेश देना उचित नहीं है। यदि मोइत्रा चाहें तो इस संबंध में लोकपाल के समक्ष आवेदन कर सकती हैं।
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निशिकांत दुबे को न सुनने की मांग
मोइत्रा का आरोप था कि निशिकांत दुबे ने लोकपाल की गोपनीयता संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए मीडिया को दस्तावेज और जानकारी लीक की है। उन्होंने कहा कि 16 सितंबर को जब निशिकांत दुबे को लोकपाल ने सुना, उसके तुरंत बाद एक टीवी चैनल ने ऐसी रिपोर्ट चलाई, जिसमें गोपनीय सामग्री सार्वजनिक कर दी गई। इसी आधार पर उन्होंने अगली सुनवाई यानि छह अक्टूबर में निशिकांत दुबे को न सुने जाने की मांग की।
उपहार लेकर संसद में सवाल पूछे
यह मामला वर्ष 2023 के रुपये लेकर संसद में सवाल पूछने के विवाद से जुड़ा है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने अधिवक्ता जय आनंद देहाद्रई की शिकायत पर लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने रुपये और उपहार लेकर संसद में सवाल पूछे।
निशिकांत दुबे ने मामले में लोकपाल को भी शिकायत की थी। मार्च 2024 में लोकपाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की गहराई से जांच करने का निर्देश दिया था। दो सप्ताह पहले सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट लोकपाल को सौंप दी है।
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