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    अदालत ने दिल्ली पुलिस को जारी किया नोटिस, Alt Balaji से जुड़ा है मामला; वायरल की थी अश्लील सामग्री

    Updated: Tue, 24 Dec 2024 01:54 PM (IST)

    अश्लील सामग्री वायरल करने के मामले में ओटीटी प्लेटफॉर्म अल्ट बालाजी के खिलाफ दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। शिकायतकर्ता ने पाक्सो एक्ट आईटी एक्ट ...और पढ़ें

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    सत्र न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। अश्लील सामग्री प्रसारित करने के मामले में ओटीटी प्लेटफार्म अल्ट बालाजी के खिलाफ विधिक कार्रवाई न करने को लेकर साकेत स्थित सत्र न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।

    चार अगस्त को खटखटाया न्यायालय का दरवाजा 

    शिकायतकर्ता पूर्व केंद्रीय सूचना आयोग कमिश्नर उदय माहुरकर ने ओटीटी प्लेटफार्म के खिलाफ पाक्सो एक्ट, आईटी एक्ट और महिलाओं के अशोभनीय प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की। इस मामले में एफआईआर दर्ज न होने पर उन्होंने चार अगस्त को न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

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    अधिवक्ता विनीत जिंदल ने बताया...

    शिकायतकर्ता उदय महोलकर की ओर से अधिवक्ता विनीत जिंदल ने बताया कि अल्ट बालाजी (अल्ट डिजिटल मीडिया इंटरटेन्मेंट लि.) के खिलाफ अपने प्लेटफार्म पर अश्लील और पोर्नोग्राफिक सामग्री प्रसारित करने के लिए शिकायत दर्ज की गई थी।

    FIR दर्ज न करने के लिए दिल्ली पुलिस को जारी किया नोटिस

    दिल्ली पुलिस ने ओटीटी प्लेटफार्म या उसके निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की। इस पर शिकायतकर्ता ने सीजेएम साकेत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। गत 20 दिसंबर 2024 को कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद ओटीटी प्लेटफार्म और इसकी निदेशक एकता कपूर सहित अन्य के खिलाफ कानून की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई न करने और एफआईआर दर्ज न करने के लिए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।

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    सुनवाई की अगली तारीख छह मार्च 2025 तय की गई

    इसमें शामिल धाराओं में पाक्सो एक्ट की धारा 11, भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 295 और 296, महिलाओं का अभद्र चित्रण (निषेध) अधिनियम की धारा चार और आईटी अधिनियम की धारा 67 शामिल हैं। सुनवाई की अगली तारीख छह मार्च 2025 तय की गई है।

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    युवाओं को नकारात्मक रूप से करते हैं प्रभावित 

    एडवोकेट जिंदल के मुताबिक, एएलटी बालाजी द्वारा प्रसारित सामग्री देश के कानूनों का उल्लंघन करती है और आपराधिक कृत्यों की श्रेणी में आती है। इस कदम का उद्देश्य उन लोगों को जवाबदेह ठहराना है जो हमारे समाज के सांस्कृतिक व नैतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं और युवाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

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