Year Ender 2025: 27 साल बाद BJP की सत्ता में वापसी, MCD में भी लहराया परचम; उपचुनाव में AAP के लिए जगी उम्मीदें
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा ने 27 साल बाद 48 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की, रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री बनीं। आम आदमी पार्टी को हार का सामना करन ...और पढ़ें
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साल 2025 भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी शानदार रहा।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। वर्ष 2025 की शुरुआत चुनावी सरगर्मी के साथ हुई। भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त किया और 27 वर्षों के बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की। रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया। दस वर्षों से अधिक समय के शासन के बाद आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।
वहीं, कांग्रेस को लगातार तीसरी बार एक भी सीट नहीं मिली। दिल्ली की सत्ता खोने के साथ ही आप के हाथ से नगर निगम का शासन भी चला गया। वर्ष 2022 के नगर निगम चुनाव हारने के बाद भी भाजपा ने अप्रैल में अपना महापौर बना लिया। इस तरह दिल्ली में भाजपा ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने में सफल रही।
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वर्ष 2012 में अपने गठन के बाद से दिल्ली की राजनीति में आप का प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है। वर्ष 2013 में कांग्रेस के समर्थन से पार्टी ने पहली बार सरकार बनाई थी। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 49 दिनों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद वर्ष 2015 में 67 और 2020 में 62 सीटें जीतकर दो बार उनकी सरकार बनी।
वहीं, लोकसभा में सभी सात सीटें जीतने के बाद भी भाजपा दिल्ली की सत्ता से दूर थी। वर्ष 1998 में दिल्ली की सत्ता से बाहर होने के बाद उसे वापसी का इंतजार था। वर्ष 2022 में आप ने उसके हाथ से नगर निगम का शासन भी छीन लिया था। राजनीतिक प्रभाव बढ़ने के साथ ही आप विवादों में घिरने लगी।
आबकारी घोटाला सहित कई विभागों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। आबकारी घोटाले में केजरीवाल और उनके कई सहयोगियों को जेल जाना पड़ा। उनके ऊपर मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। भाजपा ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया। उसने मुख्यमंत्री आवास को ''शीश महल'' का नाम देकर आप और केजरीवाल को कठघरे में खड़ा किया।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य बड़े नेताओं ने चुनावी मंच से भ्रष्टाचार, 'शीश महल', यमुना की सफाई, वायु प्रदूषण और नागरिक समस्याओं को जोरदार ढंग से उठाया। आप सरकार पर दिल्ली के विकास को बाधित करने और प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना सहित केंद्र की अन्य कल्याणकारी योजनाओं से दिल्लीवासियों को वंचित रखने का आरोप लगाया।
तीनों पार्टियों ने महिलाओं को प्रति माह आर्थिक सहायता देने और अन्य वर्गों के लिए कई लोकलुभावन वादे किए, लेकिन जीत भाजपा की हुई। केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज सहित आप के कई बड़े नेता चुनाव हार गए। भाजपा को आप की तुलना में लगभग चार प्रतिशत अधिक वोट मिले। लेकिन, सीटों में उसे बड़ा लाभ मिला।
चुनाव प्रचार में मतदाताओं के नाम काटने और जोड़ने को लेकर भी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति हुई। आप ने भाजपा पर मतदाताओं के नाम कटवाने का आरोप लगाकर चुनाव आयोग से शिकायत की। वहीं, भाजपा नेताओं ने आप पर बांग्लादेशियों और रोहिंग्या घुसपैठियों को संरक्षण देने और उनका फर्जी वोट बनवाने का आरोप लगाया।
- वर्ष 2020 की तुलना में आप के वोट शेयर में लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट। वर्ष 2020 में 53.57 प्रतिशत वोट लेकर वह 62 सीटें जीतने में सफल रही थी।
- वर्ष 2020 की तुलना में भाजपा के वोट प्रतिशत में लगभग 8.64 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्ष 2020 में उसे 38.51 प्रतिशत मत और 8 सीटें मिली थीं।
- कांग्रेस को वर्ष 2020 में 4.26 प्रतिशत वोट मिले थे। वर्ष 2025 विधानसभा चुनाव में यह बढ़कर 6.34 प्रतिशत हो गया।
| पार्टी | वोट प्रतिशत (%) | जीती गई सीटें |
|---|---|---|
| भाजपा (BJP) | 47.15 | 48 |
| आप (AAP) | 43.57 | 22 |
| कांग्रेस (Congress) | 6.34 | 0 |
| कुल सीटें | 70 | |
छठ आयोजन से बिहार के मतदाताओं को साधने में सफल रही भाजपा
सरकार ने यमुना किनारे छठ पूजा पर लगे प्रतिबंध को हटाने के साथ ही आयोजन में योगदान दिया। पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहर का पानी रोककर हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज का पानी यमुना में डाला गया, जिससे छठ पूजा के समय श्रद्धालुओं को अपेक्षाकृत साफ पानी मिला। भव्य छठ आयोजन के माध्यम से भाजपा ने पूर्वांचल के मतदाताओं से भावनात्मक रूप से जुड़ने का प्रयास किया, जिसका लाभ उसे बिहार विधानसभा चुनाव में मिला।
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यमुना की सफाई व प्रदूषण पर जारी है राजनीति
चुनाव के बाद भी यमुना की सफाई और वायु प्रदूषण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति जारी है। आप और कांग्रेस भाजपा सरकार पर यमुना की सफाई और वायु प्रदूषण की समस्या दूर करने में विफल रहने का आरोप लगा रही हैं। वहीं, भाजपा सरकार ने वर्ष 2029 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
सिख राजनीति में भ्रष्टाचार बना मुद्दा
नए वर्ष के शुरू में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) का चुनाव होने की संभावना है। इसे लेकर राजनीति तेज हो गई है। डीएसजीएमसी की सत्ता संभालने वाली पार्टी शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली स्टेट) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के नेता एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। डीएसजीएमसी की जनरल हाउस मीटिंग में शिअद बादल के प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना के साथ ही हरविंदर सिंह सरना और मनजीत सिंह जीके पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उनकी सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव पास किया गया है।
चुनाव में हार के बाद बिखराव
आम आदमी पार्टी के लिए साल 2025 अच्छा नहीं रहा। विधानसभा चुनाव में हार आप के लिए बड़ा झटका था। दिल्ली की सत्ता से बेदखल होने का असर पार्टी के विस्तार अभियान पर भी पड़ा। दिल्ली नगर निगम की सत्ता भी आप के हाथ में नहीं रही। अप्रैल में हुए महापौर चुनाव में आप ने अपना प्रत्याशी भी नहीं खड़ा किया। इसके कुछ समय बाद आप के 15 निगम पार्षदों ने अलग पार्टी बना ली और नगर निगम में आप की स्थिति और भी कमजोर हो गई।
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संगठन को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने पार्टी को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। 14 में से 11 जिला अध्यक्ष बदल दिए गए। 250 में से 180 ब्लॉक अध्यक्ष नए लगाए गए। ब्लॉक से नीचे सेक्टर और मंडलम बनाने का काम चल रहा है। करीब पखवाड़े भर पहले एसआईटी के खिलाफ रामलीला मैदान में हुई पार्टी की रैली भी सफल रही।
उपचुनाव में भाजपा को नुकसान
नगर निगम के 12 वार्डों में हुए उपचुनाव में भाजपा को दो सीटों का नुकसान हुआ। इन वार्डों में से नौ पर पहले भाजपा का कब्जा था, लेकिन उपचुनाव में मात्र सात वार्डों में जीत मिली। आप के पास पहले तीन वार्ड थे और उपचुनाव में भी तीन मिले। वहीं, कांग्रेस एक वार्ड जीतकर लाभ में रही। एक सीट आल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक को मिली।

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