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    म्यूचुअल फंड वालों के 13000 करोड़ रुपये स्वाहा! ट्रंप के इस फैसले ने पहुंचाई तगड़ी चोट, बाजार खुलते ही नुकसान

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 07:15 PM (IST)

    ट्रंप प्रशासन के एच-1बी वीजा को लेकर हुए ऐलान के बाद 22 सितंबर को भारत की आईटी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली हुई। म्यूचुअल फंड्स के पास बाजार पूंजीकरण के हिसाब से शीर्ष 10 आईटी कंपनियों के 3.41 लाख करोड़ रुपये के शेयर थे जिनकी वैल्यू घटकर 3.28 लाख करोड़ रुपये रह गई। हालांकि बाद में शेयरों में निचले स्तरों से रिकवरी देखने को मिली।

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    आईटी सेक्टर में हुई बड़ी बिकवाली के चलते निवेशकों को तगड़ा नुकसान हुआ है।

    नई दिल्ली। टैरिफ से लेकर एच-1बी वीजा (US Tariff to H-1B Visa) तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अपने फैसलों से भारत को बार-बार परेशान कर रहे हैं, और इसका सबसे बुरा व तुरंत असर शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है। 19 सितंबर को ट्रंप ने एच-1बी वीजा को लेकर अहम ऐलान कर दिया, जिसके बाद 22 सितंबर को भारत की आईटी कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली हुई।

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    इस बिकवाली के चलते इन कंपनियों में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) की मार्केट वैल्यू को करीब 13,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन के इस कदम से आईटी कंपनियों की प्रॉफेटिबिलिटी और नौकरियों पर सीधा असर होगा, इसके चलते निवेशक घबरा गए और आईटी सेक्टर के शेयरों में जमकर बिकवाली हुई।

    बाजार खुलते से ही हुआ तगड़ा नुकसान

    19 सितंबर तक म्यूचुअल फंड्स के पास बाजार पूंजीकरण के हिसाब से शीर्ष 10 आईटी कंपनियों के 3.41 लाख करोड़ रुपये के शेयर थे। 22 सितंबर को शेयर बाजार खुलने तक इनकी वैल्यू घटकर 3.28 लाख करोड़ रुपये रह गई। हालांकि, बाद में शेयरों में निचले स्तरों से रिकवरी देखने को मिली।

    इन कंपनियों में फंड हाउसेज की हिस्सेदारी

    इन्फोसिस 1.27 लाख करोड़ रुपये के साथ म्यूचुअल फंड हाउसेज की सबसे बड़ी होल्डिंग बनी हुई है, उसके बाद टीसीएस 62,000 करोड़ रुपये और एचसीएल टेक 35,850 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर है। इसके अलावा, फंड हाउसेज ने कोफोर्ज (21,720 करोड़ रुपये), परसिस्टेंट सिस्टम्स (18,900 करोड़ रुपये), एम्फैसिस (13,240 करोड़ रुपये), विप्रो (11,600 करोड़ रुपये), एलटीआईमाइंडट्री (8,189 करोड़ रुपये) और ओरेकल फाइनेंशियल सर्विसेज (4,348 करोड़ रुपये) में निवेश किया है।

    ब्रोकरेज फर्म जे एम फाइनेंशियल ने कहा कि भारत की शीर्ष 10 आईटी कंपनियों के कर्मचारियों में से केवल 1.2-4.1 प्रतिशत ही एच-1बी वीज़ा पर कार्यरत हैं, जिससे कंपनियों के कामकाज व बिजनेस पर ज्यादा असर नहीं होने वाला है।

    ये भी पढ़ें- ट्रंप के H-1B वीजा पर 88 लाख वाले दांव से कितना बच पाएंगी IT कंपनियां? Mphasis-Cyient समेत इन 5 ने किया खुलासा

    "शेयर से जुड़े अपने सवाल आप हमें business@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं।"

    (डिस्क्लेमर: यहां शेयरों को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)