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    ट्रंप के H-1B वीजा पर 88 लाख वाले दांव से कितना बच पाएंगी IT कंपनियां? Mphasis-Cyient समेत इन 5 ने किया खुलासा

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 08:40 AM (IST)

    ट्रंप प्रशासन द्वारा H-1B Visa फीस में वृद्धि का भारतीय आईटी कंपनियों पर संभावित प्रभाव हो सकता है। एमफैसिस पर्सिस्टेंट सिस्टम्स सास्केन टेक्नोलॉजीज साइएंट फर्स्टसोर्स सॉल्यूशंस और कोफोर्ज जैसी कंपनियों ने कहा है कि इस मामले का उनके वित्तीय प्रदर्शन पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। इन कंपनियों ने वीजा पर निर्भरता कम करने और एआई-आधारित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही है।

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    H-1B वीजा महंगा होने से आईटी कंपनियों पर कितना असर पड़ेगा

    नई दिल्ली। ट्रंप प्रशासन ने H-1B Visa फीस को 1 लाख डॉलर तक बढ़ा दिया है। इसका असर भारत की आईटी कंपनियों पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है। इस बीच पांच प्रमुख आईटी कंपनियों ने बताया है कि चल रहे एच-1बी वीजा मामले का उनके फाइनेंशियल परफॉर्मेंस पर क्या असर पड़ेगा। इन कंपनियों में एमफैसिस लिमिटेड, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स लिमिटेड, सास्केन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, साइएंट लिमिटेड, फर्स्टसोर्स सॉल्यूशंस लिमिटेड और कोफोर्ज लिमिटेड शामिल हैं। इस मामले के बीच आज निवेशकों की नजर इन कंपनियों के शेयरों पर भी रहेगी।

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    Mphasis ने क्या कहा

    कंपनी ने कहा है कि इस कदम से इसकी फाइनेंशियल कंडीशन या ऑपरेशन पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनके एच-1बी ऐप्लिकेशंस की संख्या बहुत कम है और उनके अमेरिकी कर्मचारियों का रेशियो भी बहुत कम है जो ऐसे वीजा पर हैं। कैलेंडर वर्ष 2025 में, कंपनी ने केवल 130 ऐसे एच-1बी आवेदन किए हैं, जिनमें से अब तक 78 को मंजूरी मिल चुकी है।

    एम्फैसिस के अनुसार एआई बेस्ड डील्स पर उनके फोकस ने कंपनी को पर्याप्त सिस्टम फ्लेक्सिबल बनाने में मदद की है। पिछले कुछ वर्षों में इसने वीजा पर निर्भरता को लगातार कम किया है। इसने आगे कहा कि वे "सामान्य रूप से बिजनेस" मोड में काम करना जारी रखेंगे, साथ ही यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके एआई-आधारित प्रस्ताव किसी भी चुनौती का समाधान करें।

    Persistent Systems

    अमेरिकी बाजार से काफी कमाई करने वाली पर्सिस्टेंट सिस्टम्स ने इस बात पर जोर दिया कि उनके मौजूदा असेसमेंट के आधार पर, ट्रंप प्रशासन के ऑर्डर का उनके ऑपरेशन या वित्तीय स्थिति पर कोई खास असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।

    पर्सिस्टेंट ने अपनी फाइलिंग में लिखा, "हम इस मामले में हो रहे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखेंगे और आवश्यकतानुसार अपडेट देते रहेंगे।

    Sasken Technologies

    पर्सिस्टेंट की तरह, सास्केन टेक्नोलॉजीज ने भी इस बात पर जोर दिया कि इस ऑर्डर का कंपनी की अमेरिका में अपने ग्राहकों को सर्विस देने की क्षमता पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कंपनी ने आगे कहा कि उनका विदेशी-आधारित बिजनेस कंटिन्यूटी सुनिश्चित करेगा, जबकि उनकी टीमें अपने ग्राहकों के साथ निकट संपर्क में रहेंगी।

    सास्केन के अधिकांश कर्मचारी भारत स्थित डेवलपमेंट सेंटर्स से इंजीनियरिंग आरएंडडी और डिजिटल सर्विसेज में कार्यरत हैं। कंपनी ने कहा है कि इसके नतीजे में सास्केन भू-राजनीतिक या रेगुलेटरी बदलावों के बावजूद, ग्राहकों की जरूरतों को निर्बाध रूप से पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है।

    Cyient

    आईटी सर्विस प्रोवाइडर के मुताबिक इस आदेश के कारण वित्तीय वर्ष 2026 और तत्काल अवधि के लिए उसकी वित्तीय स्थिति पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। पिछले वर्ष, एच-1बी वीजा पर तैनात कर्मचारियों की संख्या छह थी।

    Firstsource Solutions

    आरपीएसजी ग्रुप की कंपनी ने इस बात पर जोर दिया कि इसके ऑपरेशन के लिए एच-1बी ऑपरेशंस पर उसकी "जीरो निर्भरता" है। फर्स्टसोर्स ने आगे कहा कि इस नए आदेश का कंपनी के ऑपरेशन या फाइनेंशियल कंडीशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

    Coforge

    कोफोर्ज ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में उल्लेख किया है कि वित्तीय वर्ष 2025 में कंपनी के कुल रेवेन्यू में अमेरिका का योगदान 53% होगा। हालाँकि, पूरे वर्ष के दौरान, कोफोर्ज ने केवल 65 नए एच-1बी वीजा आवेदन किए, जिनमें से 63 को यूएससीआईएस ने मंजूरी दी।

    कंपनी ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में, कोफोर्ज ने प्रोजेक्ट स्टाफिंग के लिए नए एच-1बी आवेदनों पर अपनी निर्भरता जानबूझकर कम की है, जो नए आवेदनों की कम संख्या में दिखता है।

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    (डिस्क्लेमर: यहां शेयरों की जानकारी दी गयी है, निवेश की सलाह नहीं। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)