CBDT ने कर दिया क्लियर, शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर नहीं है कोई छूट; 31 दिसंबर तक भरना होगा TAX
सीबीडीटी के अनुसार अगर आपने 1 साल से कम होल्ड करके शेयर बेचे हैं या 24 महीने से कम में लैंड या बिल्डिंग से प्रॉफिट कमाया है तो धारा 87ए के तहत टैक्स छूट नहीं मिलेगी जिसमें शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) भी शामिल है। आयकर विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में कई करदाताओं के STCG पर छूट के दावों को अस्वीकार कर दिया।

नई दिल्ली। अगर आपने 1 साल से कम होल्ड करके शेयर बेचे हैं और प्रॉफिट कमाया है या फिर लैंड या बिल्डिंग को 24 महीने से कम रखकर प्रॉफिट हासिल किया है तो सावधान हो जाएं। दरअसल केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कहा है कि टैक्सपेयर्स आयकर अधिनियम की धारा 87ए के तहत उस इनकम पर टैक्स छूट का दावा नहीं कर सकते, जिस पर विशेष दरों पर टैक्स लगाया जाता है, जिसमें शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) भी शामिल है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में कई करदाताओं ने शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर छूट का दावा किया था, लेकिन आयकर विभाग ने उनके अनुरोधों को स्वीकार नहीं किया और टैक्स की मांग की।
गलती से दे दी गयी छूट
आयकर विभाग ने अब ऐसे करदाताओं से 31 दिसंबर, 2025 तक अपना बकाया टैक्स चुकाने को कहा है। उन मामलों में बकाया टैक्स भरना होगा, जहां पहले गलती से छूट दे दी गई। बता दें कि सीबीडीटी ने 19 सितंबर को एक सर्कुलर जारी कर कहा कि कई मामलों में रिटर्न गलत तरीके से प्रोसेस किए गए और विशेष टैक्स रेट्स के अंतर्गत आने वाली इनकम पर छूट दी गई। अब इन गलतियों को सुधारते हुए नई डिमांड जारी की जा रही हैं।
देना पड़ सकता है ब्याज
सर्कुलर में एक और चेतावनी ये दी गई कि भुगतान में किसी भी तरह की देरी पर आयकर अधिनियम की धारा 220(2) के तहत ब्याज लग सकता है। पर आयकर विभाग ने करदाताओं की परेशानी को समझते हुए राहत की पेशकश की है। इसने 31 दिसंबर, 2025 से पहले बकाया टैक्स का भुगतान करने पर ब्याज माफ करने का फैसला किया है।
बढ़ाई गयी एसटीसीजी टैक्स रेट
जुलाई 2024 से, आयकर विभाग धारा 87ए के तहत 7 लाख रुपये से कम आय वाले करदाताओं के लिए शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर छूट के दावों को खारिज कर रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, इन शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर 15 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता रहा, लेकिन वित्त वर्ष 2024-25 से यह टैक्स रेट बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी गई।
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अदालत पहुंचा मामला
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए छूट की सीमा ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 5 लाख रुपए और नई टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख रुपए थी। हालांकि, इस प्रोविजन ने टैक्स लायबिलिटी को शून्य करने में मदद की, लेकिन यह छूट एसटीसीजी जैसी विशेष दरों पर टैक्सेबल इनकम को कवर करने के लिए नहीं थी।
बाद में यह मामला बॉम्बे उच्च न्यायालय तक पहुंचा, जिसमें दिसंबर 2024 में आयकर विभाग से करदाताओं को अपने रिटर्न संशोधित करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
भेजे गए नोटिस
जनवरी 2025 में ऐसे संशोधनों के लिए 15 दिनों की अवधि निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में भी कई करदाताओं को अपने लंबित बकाया का भुगतान करने के लिए नोटिस प्राप्त हुए। अंततः, केंद्रीय बजट 2025 ने यह कहकर सभी भ्रम दूर कर दिए कि धारा 111ए के तहत एसटीसीजी सहित विशेष दर वाली आय, वित्त वर्ष 2025-26 से धारा 87ए के तहत छूट के लिए पात्र नहीं होगी।
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