ये क्या? स्वदेशी नारे के बीच सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश लिमिट बढ़ाने की तैयारी; SBI-PNB समेत इन पर पड़ सकता है असर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वदेशी अपील के बीच सरकार सरकारी बैंकों (PSB) में विदेशी निवेश की सीमा 20% से बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसका उद्देश्य बैंकों को पूंजी जुटाने में सक्षम बनाना है। सरकार अपनी हिस्सेदारी 51% से कम नहीं करेगी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय हालत में सुधार हुआ है जिससे वे विकसित भारत 2047 में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

नई दिल्ली। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए एक बार फिर से स्वदेशी चीजें अपनाने की अपील की। पर अब सरकार सरकारी बैंकों (PSB) में विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है। सरकारी बैंकों में मौजूदा विदेश निवेश (FDI) की लिमिट 20% है, जिसे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार का इरादा सरकारी बैंकों को ऐसे संस्थानों के तौर पर मजबूत करना है जो आसानी से पूँजी जुटा सकें। हालांकि सरकार अपनी हिस्सेदारी 51% से कम नहीं करेगी, जबकि विदेशी हिस्सेदारी को और हिस्सेदारी बढ़ाने की अनुमति देगी, जिससे इन बैंकों का पब्लिक कैरेक्टर बेहतर होगा।
सरकारी बैंकों की फाइनेंशियल हालत में सुधार
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपनी फाइनेंशियल हालत में काफी सुधार किया है। मार्च के अंत तक इनका जॉइंट एनपीए रेशियो ग्रॉस एडवांसेज के 2.58% पर आ गया, जो मार्च 2021 में 9.11% था। प्रॉफिट 1.04 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गया, और डिविडेंड पेमेंट 20,964 करोड़ रुपये से बढ़कर 34,990 करोड़ रुपये हो गया।
ये हैं प्रमुख सरकारी बैंक
- SBI
- PNB
- बैंक ऑफ बड़ौदा
- केनरा बैंक
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
- बैंक ऑफ इंडिया
- इंडियन बैंक
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र
- यूको बैंक
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
- इंडियन ओवरसीज बैंक
प्राइवेट बैंकों के लिए क्या है लिमिट
फिलहाल सरकारी बैंकों में FDI की सीमा 20% है और वोटिंग राइट इससे भी कम - अधिकतम 10% - है। वहीं प्राइवेट बैंकों के मामले में FDI लिमिट 74% है। सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि सरकारी बैंकों के कैरेक्टर और उनके बोर्ड की निर्णय लेने की क्षमता से समझौता किए बिना इस FDI और वोटिंग स्ट्रक्चर में कैसे ढील दी जा सकती है।
बता दें कि वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि सरकारी बैंक अस्तित्व और स्थिरता के फेज से आगे बढ़ चुके हैं और अब बड़ी भूमिका निभाने की स्थिति में हैं।
विकसित भारत 2047 में भूमिका
नागराजू ने कहा था कि सरकारी बैंकों को विकसित भारत 2047 की यात्रा में ग्रोथ, इनोवेशन और लीडरशिप का चैम्पियन बनना होगा। उन्होंने पब्लिक सेक्टर के बैंकों के लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी की आकांक्षा रखने, गवर्नेंस और ऑपरेशन लचीलेपन को मजबूत करने और पारंपरिक तथा उभरते, दोनों उद्योगों में क्षेत्रीय चैंपियन के रूप में अपनी भूमिका का विस्तार करने की आवश्यकता की बात भी कही थी।
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