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Budget 2023: महंगाई और बढ़ती ब्याज दर के बीच क्या लोगों की उम्मीदों को पूरा कर पाएगा बजट

Budget 2023 वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश होने में कुछ ही घंटों का समय बचा है। इस बजट से आम लोगों को क्या उम्मीदें हैं जिसके बारे एक्सपर्ट में अपने विचार व्यक्त किए हैं। आइए जानते हैं। (जागरण फाइल फोटो)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaPublished: Tue, 31 Jan 2023 06:13 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2023 06:13 PM (IST)
Budget 2023 Expert Opinion inflation and interest rate

नई दिल्ली, मनीष पी हिंगर। Budget 2023 केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी 2023 को संसद में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट पेश किया जाएगा। ऐसे में आयकरदाता, विशेष रूप से वेतनभोगी वर्ग कर संबंधी कुछ राहत या आयकर स्लैब में बदलाव लाने के लिए मौजूदा सरकार से काफी उम्मीदें लगाए हुए हैं।

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रेपो दरों में वृद्धि के कारण बढ़ती ब्याज दरों की वर्तमान आर्थिक स्थिति ने ईएमआई में वृद्धि के साथ उधारकर्ताओं को काफी प्रभावित किया है। विशेष रूप से, वेतनभोगी वर्ग ने नकदी प्रवाह की कमी को महसूस करना शुरू कर दिया है और इस प्रकार कुछ राहत पाने के अंतिम उपाय के रूप में वे आगामी बजट में सरकार से कुछ सकारात्मक कदमों की उम्मीद कर रहे हैं जिससे कि उनके लिए वर्ष 2023 आर्थिक रूप से बेहतर वर्ष हो सके। आइए उनकी अपेक्षाओं में से कुछ पर नजर डालते हैं

टैक्स स्लैब में सुधार

वर्तमान में, करदाताओं के पास दो कर व्यवस्थाओं के बीच चयन करके कर दाखिल करने का विकल्प है जो कभी - कभी भ्रामक कार्य बन जाता है। ध्यान दें कि दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत, आपकी आय 2.5 लाख रुपये तक कर से मुक्त है और आपको 5 लाख रुपये की आय तक कोई कर नहीं देना है चूंकि आयकर अधिनियम की धारा 87ए के अंतर्गत आप को 12,500 रुपये  की छूट मिलती है। बढ़ते खर्चों को देखते हुए, करदाताओं की राय है कि मूल कर छूट सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये या उससे अधिक किया जाना चाहिए।

घर खरीदारों के लिए न्यूनतम कर छूट सीमा बढ़ाया जाना

वेतनभोगी करदाताओं का सोचना है कि सरकार को किफायती आवासीय सुविधा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए। वर्तमान में, घर खरीदार धारा 24बी के तहत हाउसिंग लोन ईएमआई पर भुगतान किए जाने वाले वार्षिक ब्याज पर 2 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। इसके अलावा, वे हाउसिंग लोन पर भुगतान की गई मूल राशि के लिए धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का दावा भी कर सकते हैं। आगामी केंद्रीय बजट में, घर खरीदारों को उम्मीद है कि 24बी सीमा को 5 लाख रुपये तक बढ़ाया जाएगा, साथ ही धारा 80सी की सीमा में 3 लाख रुपये तक की वृद्धि होगी ।

पहली बार घर खरीदने वालों के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ाया जाना

भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 80 ईईए के तहत पहली बार घर खरीदने वालों के लिए 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त आयकर कटौती का प्रावधान है। इस कटौती का लाभ उस वित्तीय वर्ष के लिए उठाया जा सकता है जिसमें संपत्ति खरीदी जाती है और इसके अलावा अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये की कर कटौती उपलब्ध है। इस कटौती की पात्रता के लिए संपत्ति की लागत 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए और ऋण राशि रुपये 35 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। हालांकि, यह लाभ केवल 31 मार्च 2022 तक उपलब्ध था । करदाताओं को उम्मीद है कि आगामी वर्षों के लिए भी इसी तरह के लाभ फिर से शुरू किए जाने चाहिए।

गैर वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए धारा 80 जीजी के तहत सीमा में वृद्धि

आयकर अधिनियम की धारा 80 जीजी उन व्यक्तियों द्वारा भुगतान किए गए किराए के लिए कटौती से संबंधित है, जो अपने नियोक्ता से कोई घर किराया भत्ता (एचआरए) प्राप्त नहीं करते हैं या स्वरोजगारी हैं। निम्नलिखित

में जो कम हो उसका अधिकतम कटौती दावा किया जा सकता है:

• व्यक्ति की कुल आय के 10% से कम भुगतान किया गया किराया ।

• प्रति माह 5,000 रुपये।

• व्यक्ति की कुल आय का 25% ।

कटौती का दावा करने के लिए, व्यक्ति को भुगतान किए गए किराए के प्रमाण के रूप में किराये की रसीद के

साथ फॉर्म 10 बीए में घोषणा करनी होगी।

यह देखते हुए कि इन वर्षों में किराए के खर्च में किस प्रकार वृद्धि हुई है, इस खंड में अधिकतम सीमा यानी 5,000/- रु. मासिक बहुत कम है और इसे वर्तमान किराया खर्चों के बराबर बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, महानगरों और गैर- महानगरीय शहरों के लिए अलग-अलग ऊपरी सीमाएं हो सकती हैं।

बच्चों की शिक्षा और छात्रावास व्यय की छूट सीमा में वृद्धि

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 ( 14 ) के तहत, बच्चों की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और भारत में साक्षरता दर में सुधार करने के लिए नियोक्ता से बच्चों की शिक्षा हेतु प्राप्त होने वाला भत्ता 100 रुपए प्रति माह प्रति बच्चा तक करमुक्त है, जो अधिकतम दो बच्चों के लिए है। इसके अतिरिक्त, छात्रावास सुविधाओं के लिए भुगतान किया गया छात्रावास व्यय भत्ता 300 रुपए प्रति माह प्रति बच्चा तक करमुक्त है, जो अधिकतम दो बच्चों के लिए है।

हालांकि, इन सीमाओं को बहुत पहले निर्धारित किया गया था। इस प्रकार, वर्तमान शिक्षा लागत और खर्चों को ध्यान में रखते हुए, ये छूट सीमाएं नगण्य लगती हैं। आज के शैक्षिक खर्चों को ध्यान में रखते हुए इन छूटसीमाओं को व्यवहार्य बनाने के लिए, इन्हें आगामी बजट में बढ़ाया जाना चाहिए।

व्यक्तिगत ऋण पर छूट

भारतीय ऋण बाजार का 35% व्यक्तिगत ऋण और शिक्षा ऋण है। हालांकि आयकर अधिनियम की धारा 80ई के तहत शिक्षा ऋण पर ब्याज पर छूट की सीमा है, लेकिन वर्तमान में, व्यक्तिगत ऋण उधारकर्ताओं को ऐसी कोई प्रोत्साहन या छूट प्रदान नहीं की गई है। इसलिए, यह उम्मीद की जाती है कि आगामी केंद्रीय बजट में, व्यक्तिगत ऋण उधारकर्ताओं को भी कुछ छूट प्रदान की जानी चाहिए।

समान पूंजीगत लाभ करारोपण

भारत में निवेश करने के लिए विभिन्न परिसंपत्ति वर्ग उपलब्ध हैं, प्रत्येक परिसंपत्ति वर्ग की अलग पूंजीगत लाभ संरचना है, जिससे अक्सर करदाताओं के लिए पूंजीगत लाभ पर अपनी कर देयता का आकलन करना मुश्किल होता है।

वर्तमान में, भारत में विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के बीच कर की दरें और उनकी होल्डिंग अवधि समान नहीं है और इसे आगामी बजट में समरूप किए जाने की आवश्यकता है। कृपया ध्यान दें कि विभिन्न परिसंपत्तियों में पूंजीगत लाभ पर उनकी होल्डिंग अवधि के आधार पर अलग - अलग कर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, इक्विटी या इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड में एक वर्ष से अधिक के निवेश को दीर्घकालिक माना जाता है। दूसरी ओर, डेट- ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड में कम-से-कम तीन वर्षों तक की अवधि के लिए निवेश को दीर्घकालिक माना जाता है, जबकि अचल संपत्ति को दीर्घकालिक के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए उसे कम से कम दो साल तक होल्ड करना होता है।

न केवल होल्डिंग अवधि, बल्कि करारोपण की दर भी विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में अलग-अलग है। डेट म्यूचुअल फंड के एलटीसीजी पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% कर लगाया जाता है जबकि इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड के एलटीसीजी को 1 लाख तक की छूट दी गई है और एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख से अधिक लाभ होने पर 10% टैक्स लगाया जाता है।

इसके अलावा समान परिसंपत्ति वर्ग में आने के बावजूद कुछ परिसंपत्तियों के लिए पूंजीगत लाभ कर गणना अलग-अलग है। उदाहरण के लिए रियल एस्टेट निवेश की होल्डिंग अवधि और कर दर आरईआईटी से अलग है। इसी तरह, गोल्ड एमएफ / गोल्ड ईटीएफ / फिजिकल गोल्ड की होल्डिंग अवधि और कर की दर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से अलग है। इसके अलावा, भारतीय इक्विटी के लिए होल्डिंग अवधि और पूंजीगत लाभ गणना अंतरराष्ट्रीय इक्विटीज से अलग है। इस प्रकार, निवेशकों को आगामी केंद्रीय बजट में पूंजीगत लाभ के लिए एक समान कर संरचना की उम्मीद है ताकि इसे समझना आसान हो सके।

व्यक्तिगत कर और व्यक्तिगत वित्त निकटतापूर्वक जुड़े हैं, क्योंकि हर महीने आप जितना पैसा घर ले जाते हैं, उसका भविष्य के लिए खर्च करने, बचाने और निवेश करने की आपकी क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। याद रखें कि कर कानूनों में परिवर्तन हो सकता है, इसलिए अच्छा यह है कि इसकी जानकारी रखें और जरूरत पड़ने पर किसी पेशेवर से सलाह लें। आगामी केंद्रीय बजट 2023-24 में करदाताओं को जो अपेक्षित प्रोत्साहन और छूट प्रदान की जा सकती है, उससे भारतीय करदाताओं को अधिक प्रयोज्य आय प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिसे अधिक निवेश और बचत में जुटाया जा सकता है और करदाताओं के लिए धन के निर्माण में योगदान दिया जा सकता है।

(लेखक फिनटू के संस्थापक हैं, ये उनके निजी विचार हैं।)

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