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    क्या है 'डी डॉलराइजेशन, जिसकी वजह से बढ़ रही सोने की कीमतें, एक्सपर्ट ने समझाया दुनियाभर में चल रहा ये खेल

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 01:13 PM (IST)

    सोने की कीमतों में तेजी का बड़ा कारण बन रहे डी डॉलराईजेशन के बारे में मार्केट एक्सपर्ट अजय ने कहा कि जब कोई भी देश डॉलर से दूर जाता है या दूरी बनाता है तो यह डी डॉलराईजेशन कहलाता है। अमेरिका की नीतियों व मनमानी के चलते डॉलर की ताकत कम होती दिख रही है इसलिए सेंट्रल बैंक डॉलर के मुकाबले सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं।

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    डी डॉलराईजेशन के चलते दुनियाभर के सेंट्रल बैंक जमकर गोल्ड खरीद रहे हैं।

    नई दिल्ली। सोने की कीमतों ने आज फिर से रिकॉर्ड हाई (Gold hits Record High) लगा दिया है। इंटरनेशनल मार्केट में जहां गोल्ड 4000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया है, वहीं देश में सोने का हाजिर भाव 1,22,800 रुपये हो गया है। अब तक आपने सोने में तेजी के कई कारणों के बारे में सुना होगा, इनमें जियो-पॉलिटिकल टेंशन, ब्याज दरों में कमी और डिमांड में मजबूती जैसे अहम कारण शामिल होंगे। लेकिन, सोने में पिछले 5 सालों से लगातार तेजी का एक बड़ा कारण है 'डी डॉलराईजेशन' (De Dollarization) है, जिसके चलते दुनियाभर के सेंट्रल बैंक जमकर गोल्ड खरीद रहे हैं।

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    कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट अजय केडिया ने इस बारे में विस्तार से बताया है, तो आइये आपको बताते हैं आखिर क्या है 'डी डॉलराईजेशन' और यह कैसे सोने की कीमतों में तेजी का बड़ा कारण बन रहा है।

    क्या है De Dollarization?

    अजय केडिया ने बताया कि जब कोई भी देश डॉलर से दूर जाता है या दूरी बनाता है तो यह डी डॉलराईजेशन कहलाता है। दरअसल, हर देश अपने फॉरेक्स रिजर्व में डॉलर या यूएस बॉन्ड रखता है और इसे बढ़ाता है। क्योंकि, कच्चा तेल समेत देश में आयात होने वाले अन्य अहम सामानों का भुगतान सरकार को डॉलर में करना पड़ता है। सालों से डॉलर को लेकर यही रुख चलता आया है। लेकिन, हाल के वर्षों में अमेरिका की नीतियों से डॉलर को लेकर कई देशों का मोहभंग हुआ है। खासकर 2015 और 2016 के बाद से जिस तरह अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए।

    अमेरिका की आदत से परेशान दुनिया!

    रूस के अलावा अमेरिका हर कभी किसी देश पर नए प्रतिबंध थोप देता है इसलिए कई बड़े देशों ने डॉलर से दूरी बनाना शुरू कर दी। अजय ने कहा, अब सवाल है कि डॉलर से दूर जाएं तो निवेश कहां करें...इसके लिए गोल्ड सबसे बड़ा विकल्प बनकर उभरा, इसलिए पिछले 5 सालों में कई देशों के सेंट्रल बैंक्स ने सोने में निवेश करना शुरू किया। ऐसे में डॉलर की ताकत कम होती दिख रही है और इस वजह से अमेरिका कई देशों से चिढ़ा हुआ है।

    अजय केडिया ने कहा कि इंडिया और रूस के बीच लेन-देन अब बिना डॉलर के हो रहा है और दोनों देशों ने ट्रांजेक्शन के लिए वोस्त्रो अकाउंट की शुरुआत कर दी है। ठीक इसी तरह ईरान के साथ भी भारत इसी तर्ज पर व्यापार कर रहा है।

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    अजय केडिया की मानें तो आने वाले दिनों में डॉलर को कोई करंसी रिप्लेस करेगी, हालांकि वह मुद्रा कौन-सी होगी यह बताना अभी मुश्किल है तब तक गोल्ड नाइट वॉचमैन की भूमिका में रहेगा और सेंट्रल बैंक इसमें निवेश जारी रख सकते हैं। यही वजह है कि सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है।