दिवाली से पहले किसानों को झटका! यूरिया हो सकती है महंगी; कीमतों में बढ़ोतरी की सिफारिश
Urea Price Hike दिवाली से पहले किसानों को झटका लग सकता है क्योंकि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) ने यूरिया की कीमत चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है कि यूरिया पर भारी सब्सिडी के कारण इसका अत्यधिक उपयोग हो रहा है जिससे पोषक तत्वों का असंतुलन हो रहा है।

नई दिल्ली। Urea Price Hike: दिवाली से पहले किसानों को बढ़ा झटका लग सकता है। दरअसल, भारत के फसल सलाहकार निकाय, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग यानी CACP ने यूरिया की कीमतों को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने की सिफारिश की है। अगर इसकी सिफराशिकों को मान लिया जाता है तो यह किसानों के लिए बढ़ा झटका हो सकता है। दूसरी ओर किसान भाई पीएम किसान योजना की 21वीं किस्त (PM Kisan Yojana) का इंतजार कर रहे हैं। अब ऐसे में दिवाली से पहले किसानों को तोहफा मिलता है या नहीं यह कुछ ही दिनों में पता चल जाएगा।
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रबी फसलों 2026-27 में मार्केटिंग के लिए अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, CACP ने अपनी गैर-मूल्य सिफारिशों में कहा, "भारत में यूरिया क्षेत्र, जो आयात पर अत्यधिक निर्भर था, अब सरकारी पहलों के कारण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, वर्तमान उर्वरक सब्सिडी संरचना के कारण यूरिया का अत्यधिक उपयोग हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप पोषक तत्वों का असंतुलित उपयोग हुआ है।"
चरणबद्ध तरीके से दाम बढ़ाने की सिफारिश
सीएसीपी ने कहा, "आयोग की सिफारिश है कि यूरिया की कीमत चरणबद्ध तरीके से बढ़ाई जानी चाहिए और यूरिया की कीमतों में वृद्धि के कारण होने वाली सब्सिडी बचत का उपयोग पोषक तत्वों के असंतुलन की समस्या के समाधान के लिए किसानों को पीएंडके उर्वरकों (फॉस्फेटिक और पोटाशिक) पर अधिक सब्सिडी प्रदान करने के लिए किया जाना चाहिए।"
यूरिया पर भारी सब्सिडी देती है सरकार
भारत सरकार यूरिया की कीमत पर भारी सब्सिडी देती है। किसानों को यूरिया 242 रुपये प्रति 45 किलोग्राम बैग के वैधानिक रूप से अधिसूचित MRP पर उपलब्ध कराया जाता है (नीम कोटिंग शुल्क और लागू करों को छोड़कर)।
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सीएसीपी ने पाया कि अत्यधिक सब्सिडी वाले यूरिया के अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप एनपीके अनुपात बिगड़ गया है और अनुशंसित स्तर से कहीं अधिक खपत हुई है, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ जिलों में प्रति हेक्टेयर 500 किलोग्राम से भी अधिक। इसलिए, सुधारात्मक कार्रवाई करना और फसल उपज, मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करना अत्यंत आवश्यक है।
आयात पर निर्भर है भारत
CACP ने कहा कि भारत कच्चे माल और तैयार उर्वरकों दोनों के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है और लगभग 30 प्रतिशत मांग आयात के माध्यम से पूरी की जाती है। हालांकि, पिछले 10 वर्षों में, भारत के यूरिया आयात में गिरावट आई है क्योंकि विभिन्न सरकारी पहलों के कारण घरेलू उत्पादन में तेजी आई है, जिसके परिणामस्वरूप यूरिया उत्पादन में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में प्रगति हुई है।
2015-16 और 2023-24 के बीच, भारत का यूरिया उत्पादन 24.5 मिलियन टन (mt) से बढ़कर रिकॉर्ड 31.4 मिलियन टन हो गया, लेकिन 2024-25 में मामूली रूप से घटकर 30.6 मिलियन टन रह गया। दूसरी ओर, आयात 2015-16 में 8.5 मिलियन टन से घटकर 2024-25 में 5.6 मिलियन टन रह गया, जो 2020-21 में 9.8 मिलियन टन के शिखर पर पहुँच गया था। कुल यूरिया खपत में आयात की हिस्सेदारी 2015-16 में 27.7 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 14.6 प्रतिशत हो गई है।
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