Premium Lighting Products की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग तीन साल में होगी दोगुनी, 15000 करोड़ का है लाइटिंग मार्केट
भारत काडेकोरेटिव लाइटिंग इंडस्ट्री आयात कम करने के लिए घरेलू उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उषा इंटरनेशनल के अधिकारी ने कहा कि अगले तीन वर्षों में घरेलू उत्पादन स्तर मौजूदा स्तर से दोगुना होने की उम्मीद है। कुल लाइटिंग बाजार 15000 करोड़ रुपये है। वर्तमान में चीन से होता है सबसे अधिक आयात। पढ़िए क्या है पूरी खबर।
नई दिल्ली, एजेंसी: भारत की प्रीमियम डेकोरेटिव लाइटिंग इंडस्ट्री, आयात को कम करने के लिए घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस कर रही है।
उषा इंटरनेशनल कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने के मुताबिक ऐसी उम्मीद है कि अगले तीन साल में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग का जो स्तर है वो मौजूदा स्तर से दोगुना हो जाएगा।
लोकल मैन्यूफैक्चरिंग से लागत होगी कम
स्थानीयकरण का मतलब स्थानीय स्तर पर उत्पादन या विनिर्माण घटकों से है। यह फायदेमंद इसलिए है क्योंकि यह घटक या पूरे उत्पाद की लागत में कटौती करता है।
वर्तमान में कितनी होती है इनकी मैन्यूफैक्चरिंग?
उषा इंटरनेशनल के अध्यक्ष एवं व्यवसाय प्रमुख (लाइटिंग ) विकास गांधी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि प्रीमियम लाइटिंग उत्पादों का घरेलू विनिर्माण अभी लगभग 20 प्रतिशत है, जिसके अगले तीन साल में दोगुना होने की उम्मीद है।
विकास गांधी ने बताया कि आवास और आतिथ्य क्षेत्रों में उछाल के साथ बाजार में पुनरुद्धार ने कंपनी को लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया है।
वर्तमान में चीन से होता है अधिकतम आयात
अधिकारी के मुताबिक वर्तमान में ज्यादातर आयात चीन से होता है। विकास गांधी ने कहा कि
सरकारी नीतियां भी अधिक स्थानीय विनिर्माण के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। हम बेहतर घरेलू विनिर्माण और प्रीमियम उत्पादों के मूल्यवर्धन के लिए स्थानीय विक्रेताओं को सशक्त और समर्थन दे रहे हैं
प्रीमियम डेकोरेटिव लाइटिंग में आते हैं ये उत्पाद
झूमर, पेंडेंट लाइट, टेबल लैंप, फ्लोर लैंप, सीलिंग लाइट, दीवार लाइट और आउटडोर लाइट प्रीमियम डेकोरेटिव लाइटिंग कैटेगरी में आते हैं।
कितने करोड़ का लाइटिंग मार्केट?
कुल लाइटिंग मार्केट 15,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें सजावटी और वास्तुशिल्प लाइटिंग 3,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसमें डेकोरेटिव कैटेगरी का अनुमानित मूल्य 800 करोड़ रुपये हो सकता है जो साल दर साल बढ़ रहा है।