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    Karpoori Thakur : कौन हैं भारत रत्न से नवाजे जा रहे कर्पूरी ठाकुर? यहां पढ़ें बिहार के 'जननायक' से जुड़े हर सवाल का जवाब

    Updated: Tue, 23 Jan 2024 11:05 PM (IST)

    Karpoori Thakur Bharat Ratna बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने की घोषणा के साथ ही सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर कौन हैं? वह बिहार में कहां जन्मे और उनका सियासी सफर कैसा रहा? उन्होंने अपने जीवनकाल में किस तरह की राजनीति को आगे बढ़ाया?

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    Karpoori Thakur : कौन हैं भारत रत्न से नवाजे जा रहे कर्पूरी ठाकुर?

    जागरण टीम, नई दिल्ली/पटना। Karpoori Thakur Jayanti : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान मिलेगा। केंद्र सरकार की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई है। इधर, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। पीएम ने जहां कर्पूरी ठाकुर को सामाजिक न्याय का पथप्रदर्शक बताया है। वहीं मुख्यमंत्री ने इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। ऐसे में बिहार की पृष्ठभूमि के कम परिचित लोगों के मन में सवाल उठेगा कि कर्पूरी ठाकुर कौन हैं? आइए बताते हैं आपके ऐसे ही सवालों के जवाब...

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    जननायक बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने

    • कर्पूरी ठाकुर को जननायक कहकर संबोधित किया जाता है। उनका जन्म समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में नाई समाज में 24 जनवरी 1924 को हुआ था।
    • वह साल 1952 में पहली विधायक चुने जाने के बाद आजीवन वह किसी न किसी सदन के सदस्य रहे।
    • 1970-79 के बीच बिहार के दो-दो बार मुख्यमंत्री और बाद में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।
    • अपने जीवनकाल में कर्पूरी ठाकुर के इतने अहम पदों पर रहने बावजूद उनके पास न तो घर था और ना ही कोई गाड़ी। यहां तक कि उनके पास अपनी पैतृक जमीन भी नहीं थे।
    • राजनीति में ईमानदारी, सज्जनता एवं लोकप्रियता ने कर्पूरी को जननायक बना दिया था। कर्पूरी का निधन 64 वर्ष की उम्र में 17 फरवरी 1988 को हुआ था।
    • कर्पूरी ने आजीवन कांग्रेस के विरुद्ध राजनीति की थी। आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार करने में कामयाब नहीं हो पाई।
    • कर्पूरी सर्वोच्च पद पर पिछड़े समाज के व्यक्ति को देखना चाहते थे। कर्पूरी राजनीति में परिवारवाद के प्रबल विरोधी थे।
    • ठाकुन ने जीवित रहने तक उन्होंने अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया।

    कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के क्या हैं सियासी मायने?

    देश में कुछ दिनों बाद लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इससे पहले केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की है। ऐसे में इस फैसले को राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।

    केंद्र सरकार का यह फैसला कई मायनों में अहम है। कारण कि यह वर्ष कर्पूरी ठाकुर का जन्मशताब्दी वर्ष है। सभी दल अपने-अपने हिसाब से उनकी जयंती मनाने के लिए समारोह-कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

    जानकार मानते हैं कि देश के सभी दल, बल्कि खासतौर पर बिहार की राजनीतिक पार्टियां खुद को कर्पूरी ठाकुर की सियासी जमीन और प्रभाव के करीब दिखाने की कोशिश में हैं। चुनावों के नजदीक आने पर ऐसा होना स्वाभाविक भी है।

    इस क्रम में बुधवार को भाजपा ने पटना के साथ दिल्ली में भी बड़ा कार्यक्रम रखा है। विज्ञान भवन में हो रहे इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय गृहमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह होंगे।

    माना जा रहा है कि कर्पूरी के सहारे बिहार में भाजपा ने अपनी चुनावी लाइन को स्पष्ट करने की दिशा में बड़ा संकेत दिया है। इधर, बिहार में पहले से गठबंधन सरकार चला रहे राजद और जदयू भी बड़े कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

    जदयू ने पहले ही कर्पूरी के पैतृक गांव एवं पटना में चार दिनों के कार्यक्रम की तैयारी कर रखी है।

    बिहार में इन कार्यक्रम के जरिए करीब-करीब सभी छोटे-बड़े दल कर्पूरी को अपना बताने की होड़ में है। वह अंत्योदय समाज के प्रति जननायक के योगदान को याद कर रहे हैं। सभी ठाकुर के असली वारिस होने का दावा कर रहे हैं।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया

    भारत रत्न देश का सर्वोच्च सम्मान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी को यह सम्मान देने की घोषणा के बाद उन्हें सामाजिक न्याय का पथप्रदर्शक बताया है। पीएम ने कहा कि कर्पूरी को यह सम्मान उनके योगदान के लिए तो है ही, एक न्यापूर्ण समाज के लिए काम करते रहने के लिए भी हमें प्रेरित करेगा। यहां पढ़ें पूरी खबर

    इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने बिल्कुल सही फैसला सही किया है। जनता दल यूनाइटेड की सालों पुरानी मांग अब पूरी हो गई है। यहां पढ़ें पूरी खबर

    लोकसभा चुनाव से पहले विमर्श तेज

    लोकसभा चुनाव के लिए अलग-अलग खेमों मे चल रही गतिविधि के बीच भारत रत्न सम्मान की घोषणा ने राजनीतिक विमर्श को भी तेज कर दिया है।

    चुनावी वर्ष में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लिए कर्पूरी इसलिए भी प्रासंगिक हो गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह जिस समाज से आते हैं, उसकी बिहार में आबादी सबसे ज्यादा है।

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