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    ठंड से बचने के लिए अंगीठी जलाते हैं तो हो जाएं सावधान, दम घुटने से जा रही जान

    Updated: Mon, 29 Dec 2025 09:02 AM (IST)

    कड़ाके की ठंड से बचने के लिए बंद कमरों में अंगीठी जलाना जानलेवा साबित हो रहा है। सारण में चार और नवादा में दो लोगों की दम घुटने से मौत हो गई, जबकि कई ...और पढ़ें

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    बंद कमरे में आग जलाने से मौत। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पटना। कड़ाके की ठंड से बचने को बंद कमरे में आग की गर्माहट लेने की प्रवृत्ति खतरनाक होती जा रही है। सारण में शुक्रवार देर रात चार लोगों की मौत हो गई तो परिवार के चार अन्य को अतिगंभीर स्थिति में वेंटिलेटर पर रखा गया है। पटना के रूबन मेमोरियल हास्पिटल में भर्ती इन चार में एक की हालत काफी खराब बताई जा रही है।

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    वहीं, शनिवार को नवादा में बंद कमरे में आग जलाने के कारण दो की मौत हो गई। इसका कारण लकड़ी-कोयला या रबड़ जैसी चीजों को बंद कमरे यानी कम आक्सीजन वाली जगह पर जलाना है। कम आक्सीजन के कारण लकड़ी-कोयला पूरी तरह नहीं जल पाता और कार्बन डाई आक्साइड की जगह बिना रंग-गंध वाली कार्बन मोनोआक्साइड (सीओ) नामक जहरीली गैस बनती है।

    यह गैस खून द्वारा आक्सीजन को विभिन्न अंगों तक पहुंचाने वाले हीमोग्लोबिन नामक तत्व से आक्सीजन की तुलना में 200 गुना तेजी से चिपकती है। यानी इंसान को पता भी नहीं चलता और विभिन्न अंगों में आक्सीजन की कमी का दुष्प्रभाव हो जाता है।

    नींद में होने पर व्यक्ति को सिरदर्द, चक्कर, मिचली, उल्टी, थकान, उनींदापन सांस लेने में दिक्कत, भ्रम, बेहोशी जैसे चेतावनी लक्षणों का पता नहीं चलता। व्यक्ति सीधे बेहोश हो जाता है और जान पर बन आती है।

    वहीं, बंद जगह में बैठकर व खड़े होकर तापने वाले भी इसके दुष्प्रभाव से अछूते नहीं हैं। कई बार बिना चेतावनी लक्षणों के बैठे या खड़े व्यक्ति बेहोश हो जाते हैं। यह जानकारी आइजीआइएमएस के जनरल मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. गोविंद प्रसाद ने दी।

    कार्बन मोनो आक्साइड क्यों है इतनी खतरनाक

    कार्बन मोनो आक्साइड की अधिकता वाली जगह में सांस लेने के कुछ ही मिनटों में वह खून में आक्सीजन की जगह ले लेती है। धुआं, बदबू, जलन, खांसी जैसे संकेत नहीं होने के कारण खतरा समझने में देरी होती है।

    शरीर में सबसे पहले आक्सीजन की कमी का दुष्प्रभाव मस्तिष्क पर होता है, जिससे चक्कर, भ्रम, निर्णय क्षमता खत्म होती है और शरीर बाहर निकलने या मदद मांगने की स्थिति में नहीं रहता है।

    खड़े या जागते व्यक्ति भी उनींदापन बढ़ने या दर्द नहीं होने के कारण खतरा नहीं समझ पाते और अचानक बेहोश हो सकते हैं। दिल व सांस पर इसका सीधा असर होता है और मौत हो सकती है।

    इस गैस का जहरीलापन इसी से समझा जा सकता है कि अगर व्यक्ति बच भी जाए तो ध्यान, याददाश्त में कमी, हृदय रोगों की आशंका, फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होना, लगातार सिरदर्द, चिड़चिड़ापन हो सकता है।

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    घर में आग जलाएं तो इन बातों का रखें ध्यान

    - चूल्हा-अंगीठी जलाते समय खिड़की-दरवाजे खुले रखें या एग्जास्ट चलाएं।
    - कमरे, बाथरूम या सोने के बंद कमरे में आग कभी नहीं जलाएं।
    - सर्दियों में अंगीठी जलाकर कभी नहीं सोएं।
    - सूखी लकड़ी जलाएं, गीली लकड़ी, प्लास्टिक, कचरा या रबड़ कभी नहीं जलाएं।
    - पीली या धुआंदार लौ दिखे तो तुरंत हवा आने का रास्ता दें।
    - बच्चों व बुजुर्गों को आग के पास अकेला कतई नहीं छोड़ें।
    - सिरदर्द, चक्कर, मिचली का अहसास हो तो तुरंत ताजी हवा में जाएं और आग बुझाएं।
    - कमरे में धुआं भर जाने पर आग को वहां से तुरंत हटा दें।

    दिखें ये लक्षण तो समझें दिमाग पर असर शुरू

    -अचानक तेज सिरदर्द।
    -चक्कर या सिर हल्का लगना।
    -भ्रम की स्थिति, क्या कर रहे हैं, कहां हैं समझ में नहीं आए।
    -बात करने में लड़खड़ाहट।
    -ध्यान नहीं लगना, सुस्ती।
    -चलने में असंतुलन-लड़खड़ाहट।
    -बिना वजह घबराहट या चिड़चिड़ापन।
    -उनींदापन बढ़ना या आंखें बंद होने लगना।
    -ऐसा हो तो बोरसी-अंगीठी बुझाएं व खिड़की-दरवाजे खोलकर तुरंत खुली हवा में जाएं।
    -प्रभावित व्यक्ति को बिठाएं, लिटाएं व कसे कपड़े ढीलें करें। तुरंत एंबुलेंस को फोन करें और यदि सांस धीमी हो या नहीं चल रही हो तो तुरंत सीपीआर दें।
    -बेहोश व्यक्ति को पानी-चाय नहीं दें और न ही हिलाएं-झकझोरें। होश में आने पर भी डाक्टर से परीक्षण जरूर कराएं।

    लौ से पहचानें, कार्बन मोनो आक्साइड बन रही कि नहीं

    जब लकड़ी-कोयले को जलने के लिए पूरी आक्सीजन नहीं मिले, लकड़ी गीली हो या धुआं को बाहर निकलने की जगह नहीं मिले तो वहां कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा बढ़ सकती है। आग जलने के लिए पूरी आक्सीजन मिल रही है कि नहीं, इसकी पहचान आग या चूल्हे के लक्षण देकर पहचान सकते हैं।

    - नीली लौ यानी जलने के लिए पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन मिल रही है तो सुरक्षित है।
    - पीली, धुआंदार या नारंगी लौ हो तो आक्सीजन कम मिल रही है।
    - ज्यादा धुआं निकलना यानी आक्सीजन की कमी।
    -काला धुआं यानी आक्सीजन की कमी से अपूर्ण दहन।
    - बर्तन, दीवार या कालिख ज्यादा निकलना आक्सीजन की कमी व कार्बन मोनो आक्साइड निकलने का खतरा ज्यादा।
    - लकड़ी पूरी तरह नहीं जले, जलने के बाद काले टुकड़े बचना आक्सीजन की मात्रा कम होना।
    -आग बुझने-सी लगे, लौ बार-बार कमजोर हो तो कमरे में आक्सीजन की कमी का लक्षण